मेरठ में प्रदूषण बढ़ा, ग्रीन पटाखे भी नहीं बिकेंगे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्रशासन का लाइसेंस देने से इन्कार
मेरठ शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर दिनभर मानक से काफी ज्यादा रहा। जिला प्रशासन को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समीर एप का आंकड़ा उपलब्ध कराया गया। जिसके मुताबिक मेरठ की हवा का एक्यूआइ 320 के आसपास बताया गया।
मेरठ, जागरण संवाददाता। मेरठ में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ा हुआ है कि यहां जिला प्रशासन ने दीपावली पर ग्रीन पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाने की अनुमति देने से भी इन्कार कर दिया है। इसके विरोध में पटाखा व्यापारी सुबह से लेकर देर शाम तक जिलाधिकारी कार्यालय में धरने पर बैठे रहे। सिटी मजिस्ट्रेट और अन्य अफसरों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। व्यापारियों ने सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई। जिला प्रशासन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्वच्छ हवा की स्थिति में ही ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दी जा सकती है। फिलहाल समीर एप के मुताबिक मेरठ की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है।
350 तक पहुंचा एक्यूआइ
मेरठ शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर दिनभर मानक से काफी ज्यादा रहा। जिला प्रशासन को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समीर एप का आंकड़ा उपलब्ध कराया गया। जिसके मुताबिक मेरठ की हवा का एक्यूआइ 320 के आसपास बताया गया। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के शाम चार बजे जारी किए गए बुलेटिन में मेरठ का एक्यूआइ 313 रहा। हालांकि मेरठ के विभिन्न केंद्रों पर एक्यूआइ का उतार-चढ़ाव दिनभर जारी रहा। दिन में यह 350 से ज्यादा तक पहुंचा।
बिक्री की अनुमति को धरना
हवा में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया और ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति और लाइसेंस जारी करने से इन्कार कर दिया। जिमखाना मैदान में पटाखों की दुकानें लगाने वाले व्यापारी ग्रीन पटाखा की बिक्री की अनुमति लेने कलक्ट्रेट पहुंचे थे। अनुमति न मिलने से नाराज होकर वे जिलाधिकारी कार्यालय के भीतर ही जमीन पर धरना देकर बैठ गए। उन्हें समझाने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट अमित भट्ट पहुंचे। व्यापारी अतुल खुराना, भानू जैन, वैभव बंसल, राहुल जैन, किशन गिरी आदि ने मोबाइल एप दिखाकर दावा किया कि मेरठ का एक्यूआइ 154 है। सरकारी समीर एप के आंकड़े सही नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि आगरा, हापुड़, गाजियाबाद में ग्रीन पटाखा की बिक्री की अनुमति दे दी गई है। व्यापारियों ने उधार पर पैसा उठाकर बिक्री के लिए सामान खरीदा है। यदि बिक्री की अनुमति नहीं मिलती है तो उन्हें भारी नुकसान होगा। व्यापारी बर्बाद हो जाएंगे। बात नहीं बनी तो व्यापारियों ने एडीएम सिटी दिवाकर सिंह के पास पहुंचकर भी गुहार लगाई। दोपहर बाद सिटी मजिस्ट्रेट फिर से व्यापारियों के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि पूछताछ कर ली गई है। गाजियाबाद में पटाखा बिक्री की अनुमति नहीं दी गई है। व्यापारी नहीं माने तो उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट मंगाकर निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
प्रदूषण की गंभीर स्थिति बताने गया कर्मचारी चार घंटे में भी नहीं लौटा
जिलाधिकारी कार्यालय पर सोमवार को धरना दे रहे व्यापारियों को मोबाइल पर प्रदूषण की गंभीर स्थिति बताने को मेरठ का एक्यूआइ प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय गया कर्मचारी चार घंटे में भी नहीं लौटा। सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर शस्त्र अनुभाग से एक क्लर्क को पत्र लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय भेजा गया। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि वे देर शाम तक उक्त क्लर्क की वापसी की प्रतीक्षा करते रहे लेकिन क्लर्क चार घंटे बाद भी नहीं लौटा।
इन्होंने कहा
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है। हवा स्वच्छ होगी। उसका एक्यूआइ 200 से कम रहेगा, तभी ग्रीन पटाखे की अनुमति दी जा सकती है। सोमवार को मेरठ का एक्यूआइ 300 से ज्यादा रहा। इस स्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती है।
दिवाकर सिंह, एडीएम सिटी
व्यापारियों की मांग को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। पत्र भेज दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर ही पटाखा बिक्री की अनुमति पर निर्णय लिया जाएगा।
अमित भट्ट, सिटी मजिस्ट्रेट