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बारिश से धुला प्रदूषण..लंदन जैसी बही हवा

रविवार को हल्की बारिश का असर दूसरे दिन नजर आया। मेरठ की हवा यूरोपीय देशों की तरह शुद्ध हो गई। दीपावली के दिन रात में एक्यूआइ चार सौ पार कर गया वहीं बारिश के बाद सोमवार शाम पाच बजे एक्यूआइ 76 और रात नौ बजे 71 हो गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 08:30 AM (IST)
बारिश से धुला प्रदूषण..लंदन जैसी बही हवा
बारिश से धुला प्रदूषण..लंदन जैसी बही हवा

मेरठ, जेएनएन। रविवार को हल्की बारिश का असर दूसरे दिन नजर आया। मेरठ की हवा यूरोपीय देशों की तरह शुद्ध हो गई। दीपावली के दिन रात में एक्यूआइ चार सौ पार कर गया, वहीं बारिश के बाद सोमवार शाम पाच बजे एक्यूआइ 76 और रात नौ बजे 71 हो गया। पिछले तीन माह के दौरान पीएम2.5 की मात्रा 18 अंकों के साथ रिकार्ड स्तर पर आ गई। लंबे समय बाद सोमवार को लोगों ने साफ हवा में सास ली। पर्यावरणविद्दों का कहना है कि साफ हवा ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी। स्माग के साथ प्रदूषण का स्तर फिर जाएगा। पटाखों की वजह से रविवार को वायु प्रदूषण का स्तर मानक से आठ गुना हो गया। पीएम 2.5 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। आतिशबाजी से गंधक, पोटाश, सल्फर, कार्बन डाई आक्साइड, मोनोआक्साइड और अन्य खतरनाक रासायनिक कण हवा में पहुंच गए। शहरभर में धुंध बढ़ गई। हवा में इतना ज्यादा प्रदूषण था कि बारिश होने के आठ घटे बाद हवा साफ होनी शुरू हुई। अगले 24 घटे बाद हवा पूरी तरह साफ हो गई। पीएम2.5 की औसत मात्रा 300 से गिरकर 76 माइक्रोग्राम पहुंच गया। उधर, पार्टीकुलेट मैटर हवा में बिखरने से सांस के मरीजों का संकट बढ़ा। डाक्टरों ने बताया कि हवा में तैरता नाइट्रोजन एवं सल्फर के कण अम्ल बनकर बरस गए। सल्फ्यूरिक एवं नाइट्रिक एसिड की वजह से जहा बीमारिया बढ़ती हैं, वहीं चर्म रोग का भी खतरा बढ़ा। क्लीनिकों में सास के मरीज पहुंच रहे हैं। पटाखों के प्रदूषण से सास के मरीजों में एलर्जी और अटैक मिल रहा है। सोमवार रात एक्यूआइ का स्तर 400 से 75 तक पहुंचने की वजह से हवा में आक्सीजन की मात्रा बढ़ी मिली। इन हवाओं में लंबी सास लेने से फेफड़े स्वस्थ होते हैं।

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15 नवंबर शाम पाच बजे एक्यूआइ 16 नवंबर को शाम पाच बजे एक्यूआइ

जयभीमनगर-345 76

पीएम2.5 न्यूनतम-176 18 बागपत-425 118

बुलंदशहर-426 203

गाजियाबाद-466 220

मुजफ्फरनगर-319 108

इनका कहना है

प्रदूषित हवा की वजह से एलíजक रानाइटिस, साइनोसाइटिस, नजला, गले में खराश और सास के मरीज बढ़ रहे हैं। इसमें सल्फर व नाइट्रोजन सबसे खतरनाक है। पीएम2.5 की मात्रा नाक में एलर्जी कर सास की नलियों में सूजन करती है। यह अस्थमा का बड़ा कारण है।

डा. संतोष मित्तल,

सास रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कालेज प्रदूषण की वजह से आंखों में खुजली, पानी आने, लालिमा एवं सूखापन के लक्षण बढ़े हैं। साफ हवा नाक, आख एवं स्किन सभी के लिए फायदेमंद है। आखों को खुजलाएं नहीं, इससे बैक्टीरिल संक्रमण हो सकता है। प्रदूषण से बचें। दिन में तीन बार आखों को धोएं।

डा. अमित गर्ग, नेत्र रोग विशेषज्ञ


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