प्रदूषण और फ्यूल सेवर किट करेगी प्रदूषण और ईधन का बचाव
अगर आप पेट्रोल-डीजल की बचत के साथ प्रदूषण से भी छुटकारा चाहते हैं तो थोड़ा इंतजार कीजिए। जल्द ही बाजार में एक डिवाइस आने वाली है, जो आपकी दोनों समस्याओं का समाधान कर देगी। परिवहन निगम मेरठ में तैनात राजेश गुप्ता ने फ्यूल सेवर और प्रदूषण नियंत्रण किट तैयार की है। इसकी मदद से 90 प्रतिशत प्रदूषण कम होगा। साथ ही वाहन का 50-70 प्रतिशत माइलेज बढ़ जाएगा। डिवाइस के मार्च-2019 में बाजार में आने की उम्मीद है।
मेरठ । अगर आप पेट्रोल-डीजल की बचत के साथ प्रदूषण से भी छुटकारा चाहते हैं तो थोड़ा इंतजार कीजिए। जल्द ही बाजार में एक डिवाइस आने वाली है, जो आपकी दोनों समस्याओं का समाधान कर देगी। परिवहन निगम मेरठ में तैनात राजेश गुप्ता ने फ्यूल सेवर और प्रदूषण नियंत्रण किट तैयार की है। इसकी मदद से 90 प्रतिशत प्रदूषण कम होगा। साथ ही वाहन का 50-70 प्रतिशत माइलेज बढ़ जाएगा। डिवाइस के मार्च-2019 में बाजार में आने की उम्मीद है।
परिवहन निगम में 30 वर्ष से मैकेनिक इंचार्ज के पद पर कार्य कर रहे राजेश ने अपने अनुभव से इस डिवाइस को तैयार किया। डिवाइस तैयार करने के बाद उन्होंने नवंबर-2011 में पेटेंट के लिए अप्लाई किया। 2013 में भारत सरकार द्वारा पब्लिश हो चुका है। इसकी फर्स्ट इंफोरमेशन टेस्टिंग रिपोर्ट आ चुकी है, जो सही रही। वहीं बेंगलुरु में एक कंपनी द्वारा इसका फाइनल प्रोसेस अंतिम चरण में है।
ऐसे होगा प्रदूषण कम
वाहनों से निकलने वाले धुएं से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइ ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन गैसें निकलती हैं। डिवाइस लगाने के बाद इंजन को डी-कोर्बोनाइज्ड किया जाता है, जिससे गैसें कम निकलती हैं। वाहन में चार से आठ घंटे तक डिवाइस लगाने के बाद प्रदूषण को 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इसका खर्च दो से ढाई हजार रुपये आता है, जोकि तीन से चार हजार किलोमीटर तक कार्य करता है।
70 प्रतिशत तक बढ़ेगा माइलेज
इंजन में डिवाइस लगाने के बाद यह पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग कर देगी। इंजन में कंबक्शन पूर्ण रूप से होगा, जिससे इंजन की क्षमता बढ़ जाती है। इस डिवाइस द्वारा वाहन का माइलेज 50 से 70 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
10 से 20 हजार आएगा खर्च
राजेश गुप्ता ने बताया कि इस डिवाइस को वाहन में लगाने का खर्च इंजन की क्षमता के अनुसार आएगा। दो पहिया वाहन में इसका खर्च करीब 10 हजार और चौपहिया वाहन में करीब 20 हजार रुपये तक का खर्च आएगा। इस डिवाइस को जेनरेटर, किसानों के यंत्र में भी लगा सकते हैं।
टेस्टिंग रिपोर्ट में हिट डिवाइस
टेस्टिंग के दौरान बेंगलुरु की कंपनी ने कारों में इस डिवाइस को लगाया। इसके बाद रिजल्ट बिल्कुल ठीक मिले हैं। प्रदूषण में कमी आई और फ्यूल भी बचने लगा है। डिवाइस बनाने वाले राजेश कुमार का कहना है कि मेरठ में डिवाइस को वाहनों में लगाने के लिए सेंटर खोले जाएंगे और लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी।
आठ साल में तैयार हुई डिवाइस
इस डिवाइस को बनाने में वह 2003 से लगे हुए हैं। साल-2011 में यह डिवाइस बनकर तैयार हुई। उन्होंने कई बार डिवाइस को बनाने में कई बदलाव किए। आखिरकार अब डिवाइस को बनाकर बेंगलुरु की कंपनी को सौंप दिया गया है।
लखनऊ से की इंजीनिय¨रग
साल 1987 में डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनिय¨रग करने के बाद परिवहन निगम में सेवा देनी शुरू की। इसके बाद उन्होंने साल 2000 में डिप्लोमा इन मैटेरियल इंजीनिय¨रग किया। फिलहाल वह मेरठ डिपो में मैकेनिक इंचार्ज के तौर पर कार्यरत हैं।
सेवा प्रबंधक ने की तारीफ
मेरठ डिपो के सेवा प्रबंधक एस.एल शर्मा ने उनके इस कार्य के लिए साल 2017 में प्रोत्साहन पत्र भी दिया था। जिसके बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने इस डिवाइस को बाजार में उतारने की ठानी।
ऐस की गई टेस्टिंग
बेंगलुरु की कंपनी ने इस डिवाइस को पेट्रोल की ओमनी कार में लगाया। इसके बाद इसकी टेस्टिंग की गई। डिवाइस लगाने के बाद वाहन से निकलने वाली गैसों की क्षमता में कमी आई। जिससे प्रदूषण कम हुआ।
डिवाइस लगाने से पहले
कार्बन मोनो ऑक्साइड - 00.312
हाइड्रोकार्बन - 00063
कार्बन डाइ ऑक्साइड - 3.73
ऑक्सीजन - 15.16 डिवाइस लगाने के बाद
कार्बन मोनो ऑक्साइड - 00.0002
हाइड्रोकार्बन - 00003
कार्बन डाइ ऑक्साइड - 00.45
ऑक्सीजन - 5.32