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किसान आंदोलन में सजने लगा सियासी मंच, टिकैत के बहाने भाजपा की घेरेबंदी में जुटे विरोधी दल

Farmer Movement in Western UP किसानों की मांग को लेकर बढ़ा आंदोलन अब राजनीतिक रनवे पर चल पड़ा है। भाकियू नेता राकेश टिकैत से मिलने के बहाने विरोधी दल भाजपा की घेरेबंदी में जुट गए हैं ।

By Edited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 01:54 PM (IST)
किसान आंदोलन में सजने लगा सियासी मंच, टिकैत के बहाने भाजपा की घेरेबंदी में जुटे विरोधी दल
पश्चिम उप्र में किसान आंदोलन का राजनीतिक असर।

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। पश्चिम उप्र में किसान आंदोलन का राजनीतिक असर दिखने लगा है। किसानों की मांग को लेकर बढ़ा आंदोलन अब राजनीतिक रनवे पर चल पड़ा है। भाकियू नेता राकेश टिकैत से मिलने के बहाने विरोधी दल भाजपा की घेरेबंदी में जुट गए हैं। महाराष्ट्र में भाजपा के साथ लंबी पारी खेलने वाली शिवसेना भी आंदोलन में पहुंचकर भाजपा की घेरेबंदी तेज कर दी है। इस आंदोलन में सियासी दल 2022 विस चुनावों की संभावनाएं खंगालने लगे हैं। वहीं, किसान आंदोलन की हर करवट पर नजर रखने वाली भाजपा अपने सभी पत्ते नहीं खोल रही है। सपा, आप व शिवसेना भी टिकैत से मिली, रालोद व कांग्रेस तलाश रही खोई जमीन

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आप को भी मिली सियासी डगर

रालोद का लोटा-नमक वाला फार्मूला परवान नहीं चढ़ा, लेकिन चौ. अजित सिंह को हराना बड़ी भूल बताकर भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी। आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव होने हैं, ऐसे में किसान आंदोलन की बैसाखी पर रालोद इस चुनाव में दौड़ना चाह रही है। रालोद पश्चिम उप्र में जमीन गंवाने के बाद नए सिरे से खड़ी होना चाह रही है। उस आम आदमी पार्टी प्रदेश की उन सीटों पर होमवर्क बढ़ा रही है, जहां भाजपा ज्यादा मजबूत नहीं है। और सपा और बसपा की भी दीवार दरक रही है। आप इन सीटों पर जीत की लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। जिसकी डगर किसान आंदोलन से होकर सूबे में पहुंचेगी। आप नेता संजय सिंह, मनीष सिसौदिया और सोमनाथ भारती प्रदेश की कानून व्यवस्था और शिक्षा पर सवाल खड़े कर माहौल बनाने में कोई चूक नहीं कर रहे हैं।

टिकैत की परिक्रमा में जुटे दल

कृषि बिल के विरोध में किसान दो माह से ज्यादा लंबे समय से धरने पर हैं। 26 जनवरी को दिल्ली में बवाल के बाद आंदोलन की शक्ल बदल गई। गाजीपुर बार्डर पर पुलिस की घेरबंदी के बीच किसानों के लिए राकेश टिकैत के आंसू छलकते ही सियासत नई दिशा बह निकली। जहां टिकैत का कद किसानों के बीच अचानक बढ़ गया, वहीं राजनीतिक दल पारा भांपते हुए टिकैत के पास पहुंच गए। साथ ही, मुजफ्फरनगर समेत पश्चिम के कई जिलों में किसानों की पंचायतों ने हलचल बढ़ा दी। उत्तर प्रदेश में विस चुनावों से पहले राजनीतिक जमीन बनाने के लिए जुटी आम आदमी पार्टी भी टिकैत से मिल आई। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया धरने में पहुंचे, तो आप पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पंचायतों की नब्ज टटोलते देखे गए। सपा और कांग्रेस ने धरने का खुला समर्थन कर किसानों के बीच राजनीति का मंच सजा लिया, वहीं खोई जमीन पाने के लिए रालोद ने महापंचायतों का पारा चढ़ाया। उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने नरेश टिकैत से मिलकर पुराना कनेक्ट जोड़ने का प्रयास किया।

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