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अखाड़े में पटखनी के बाद पहनी पुलिस की वर्दी

जीवन भी दंगल की तरह ही है। इसमें कभी पटखनी देने का मौका मिलता है तो कभी पटखनी खानी भी पड़ती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 09:30 AM (IST)
अखाड़े में पटखनी के बाद पहनी पुलिस की वर्दी
अखाड़े में पटखनी के बाद पहनी पुलिस की वर्दी

मेरठ, जेएनएन। जीवन भी दंगल की तरह ही है। इसमें कभी पटखनी देने का मौका मिलता है तो कभी पटखनी खानी भी पड़ती है। किसान परिवार में जन्मी शीतल तोमर ने इस पटखनी को ही अपना जीवन बना लिया। पांच भाई-बहनों में जब शीतल तोमर ने पहलवानी का रुख किया तो गदगद पिता की आंखों में शुरुआती चिता और गौरव दोनों ही झलका। कुछ ही समय में पहलवान बेटी के दांव देख उनकी आंखों में पदकों-सी चमक दिखने लगी। चौ. चरण सिंह विवि के कुश्ती हाल में दांव लगाना सीखने के बाद शीतल ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तक पदक जीते और साल 2017 में राजस्थान के जयपुर में सब-इंस्पेक्टर बनकर नारी सशक्तीकरण का उदाहरण भी पेश किया।

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पिता से मिली पहलवानी

जिले के पंचगांव निवासी शीतल किसान दंपती सोमपाल पाल सिंह तोमर और सरोज देवी की बेटी हैं। सोमपाल सिंह को पहलवानी शौक था जो उन्हें अपने पांच बच्चों में केवल शीतल में ही दिखा। पिता का मार्गदर्शन और परिवार का साथ मिला तो शीतल ने कक्षा 11 में ही वर्ष 2005 में कोच डा. जबर सिंह सोम से विवि परिसर में पहलवानी के दांवपेच सीखने शुरू कर दिए थे। कुछ समय बाद पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन शीतल ने अपनी उपलब्धियों से उन्हें श्रद्धासुमन अíपत करना जारी रखा। जूनियर एशियन रेसलिग चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता और साउथ एशियन गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता शीतल तोमर चार बार भारत केसरी, महिला चंबल केसरी और भारत कुमारी सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं।

लगन ऐसी की अखाड़ा भी हुआ घर

शीतल हर दिन करीब नौ किलोमीटर दूर विवि परिसर में प्रशिक्षण व अभ्यास करने आतीं। वर्ष 2009 से मेरठ सहित आसपास के क्षेत्रों में दंगल में कुश्ती भी लड़ने लगीं। सुबह पांच बजे उठकर अखाड़े में आना, तीन-चार किमी की दौड़, सामान्य वार्मअप और अभ्यास, दो-तीन पहलवानों से जोर-आजमाइश करना, पीटी करना आदि उनकी दिनचर्या में शामिल रहा। सुबह अखड़े में पहुंचने के बाद शाम के अभ्यास के बाद ही घर लौटती। दोपहर का खाना स्वजन ही पहुंचा जाते। लाकडाउन में घर में ही अभ्यास चला और अब फिर से सीसीएसयू कुश्ती हाल में प्रशिक्षण शुरू कर दिया है।

जूनियर नेशनल से व‌र्ल्ड रेसलिग तक

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2009 में हुई सब-जूनियर नेशनल में शीतल ने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद तकरीबन हर साल विभिन्न प्रतियोगिताओं में शीतल ने पदक जीते। पदकों का रंग प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा के साथ बदलता रहा। वर्ष 2013 में थाइलैंड में हुई जूनियर एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक के साथ अंतरराष्ट्रीय पदक भी अपने नाम कर लिया। उसी साल जूनियर व‌र्ल्ड रेसलिग में पांचवें स्थान पर रहीं। 2017 में सीनियर एशियन इंडोर मार्शल आर्ट गेम्स में कांस्य जीता। वर्ष 2019 में नेपाल में हुए साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।


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