शहीदों को नमन कर कोरोना से जीतने का संकल्प
कोरोना काल में क्रांति दिवस अलग-अलग तरीके से मनाया गया।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना काल में क्रांति दिवस अलग-अलग तरीके से मनाया गया। शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। वर्चुअल माध्यम से शहीदों के योगदान को याद किया। साथ ही कोरोना के विरुद्ध चल रही जंग में एकजुट होकर लड़ने का संकल्प भी लिया।
भारतीय संस्कृति के विरोधी थे अंग्रेज
चौधरी चरण सिंह विवि में क्रांति दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि अंग्रेज भारतीय संस्कृति के विरोधी थे। यह दो संस्कृतियों के बीच युद्ध था। काली पल्टन मंदिर से नए संघर्ष की शुरुआत हुई। आज हम कोविड-19 के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं। इस दौरान मनोबल नहीं गिरने देना है। प्रो. विघ्नेश त्यागी ने कहा कि इतिहास में 10 मई 1857 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। क्रांति का दमन करने के दौरान ब्रिटिश क्राउन को भारत में काफी बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा था। इससे पहले कुलपति प्रो. एनके तनेजा, प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने महापुरुषों की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम में विवि के प्रोफेसर और रजिस्ट्रार भी शामिल रहे।
क्रांति दिवस पर बही काव्य की धारा
काव्यशाला, कलम और इंटेक की ओर से आनलाइन काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इतिहासकार एके गांधी ने क्रांति दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। डा. एके भटनागर ने शहीदों को याद किया। इसके बाद काव्य की धारा बही। ईश्वर चंद गंभीर ने सुनाया कि जो राज कर गए हैं तूफां पे आंधियों पर। झेले हैं बड़े जोखिम फौलादी छातियों पर। आओ दीये जलाएं उनकी समाधियों पर। सत्यपाल सत्यम ने सुनाया कि भगत सिंह क्यों नहीं पैदा हुए, आंगन तुम्हारे में। डा. रामगोपाल भारतीय की पंक्तियां कुछ यूं रहीं कि है यही आरजू फिर जनम लेंगे हम, इस धरा के लिए इस गगन के लिए। हिदी की राह में फिर फना होंगे हम, फिर तिरंगा मिलेगा कफन के लिए। कृष्ण कुमार बेदिल ने सुनाया कि तूफान में कश्ती हो तो पतवार ये कलम, मैदान में दुश्मन हो तो यलगार ये कलम। इतिहास है गवाह कि जब जब थी जरूरत, बन जाए है तब तब मेरी तलवार ये कलम। सुमनेश सुमनेश ने सुनाया कि बाहर भीतर की साजिश के सब मंसूबे तोड़ेंगे, देशद्रोह आतंकवाद को कहीं न जिंदा छोड़ेंगे।
शहीदों को किया नमन
शहीद धन सिंह कोतवाल को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के छात्रों ने नमन किया। छात्र नेता विनीत चपराना के नेतृत्व में छात्रों ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए माल्यार्पण किया। कंकरखेड़ा में आनंद आश्रम श्रद्धापुरी में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, यूथ हास्टल एसोसिएशन आफ इंडिया की ओर शहीदों की याद में हवन किया गया। कोरोना काल में महासभा के अध्यक्ष आनंद कुमार जौहरी अकेले रहे।