विजय ज्योति का स्वागत करेगी जेसोर विजेता पाइन डिव
वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की जेसोर छावनी पर भारतीय सेना की पाइन डिवीजन ने फतह की थी। पाइन डिव के जनरल आफिसर कमाडिंग मेजर जनरल दलबीर सिंह के समक्ष पाकिस्तान की 107 इंफेंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर हयात खान ने आत्मसमर्पण किया था।
अमित तिवारी, मेरठ : वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की जेसोर छावनी पर भारतीय सेना की पाइन डिवीजन ने फतह की थी। पाइन डिव के जनरल आफिसर कमाडिंग मेजर जनरल दलबीर सिंह के समक्ष पाकिस्तान की 107 इंफेंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर हयात खान ने आत्मसमर्पण किया था। उनके साथ 81 पाकिस्तानी अधिकारी, 130 जेसीओ और 3,476 जवानों ने बड़ी संख्या में हथियार डाले थे।
उसी विजय के प्रतीक के तौर पर स्वर्णिम विजय ज्योति देश भर में घूमते हुए बुधवार को एक बार फिर मेरठ छावनी पहुंच रही है। इसका स्वागत पाइन डिव के वरिष्ठ पदाधिकारी आर्टी ब्रिगेड में करेंगे और मेरठ छावनी से विजय ज्योति वापस दिल्ली के लिए रवाना होगी।
चार दिसंबर को शुरू हुआ था आपरेशन
पाइन डिव ने चार दिसंबर को तड़के बायरा से घुसना शुरू किया था। ब्रिगेडियर जेएस घराया की अगुवाई में 42 इंफेंट्री ब्रिगेड ने पाकिस्तानी 107 ब्रिगेड को पहले ही झटके में जायरा से अफ्रा-झिगरगाछा तक पीछे हटने को विवश कर दिया। पीछे हटते हुए दुश्मन ने रास्तों में एंटी टैंक माइन बिछा दिए थे। जीओसी मेजर जनरल दलबीर सिंह ने 42 ब्रिगेड को अफ्रा के उत्तर पश्चिम स्थित अरपारा की ओर बढ़ने को कहा। दूसरी ओर ब्रिगेडियर एचएस संधु की अगुवाई में 350 इंफेंट्री ब्रिगेड को भी बढ़ाया। वहा भी दुश्मन के घेरे को देखते हुए जीओसी ने ब्रिगेडियर तिवारी की अगुवाई में 32 ब्रिगेड को भी आगे बढ़ा दिया। 32 ब्रिगेड ने पूरी ताकत झोंक दी और छह दिसंबर को सुबह 10 बजे दुश्मन के सुरक्षा घेरे में सेंध लगाने में सफल रहे। 32 ब्रिगेड ने तीन अन्य यूनिटों के साथ अफ्रा से छह किमी दूर चौगाछा-जेसोर रोड पर दुश्मन के सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया। सात दिसंबर को सात पंजाब ने जेसोर एयरफील्ड पर भी कब्जा कर लिया।
फौज बढ़ी, दुश्मन भागा
सात दिसंबर को जेसोर और झेनिदा पर जीत के बाद जनरल रैना ने ढाका की ओर कूच किया। मेजर जनरल दलबीर सिंह ने 32 ब्रिगेड को खुलना की ओर बढ़ने को कहा। पिछली मात से बौखलाई पाकिस्तानी 107 ब्रिगेड ने 32 ब्रिगेड को आगे बढ़ने से रोकने में पूरी ताकत झोंक दी। बावजूद इसके वह भारतीय जवानों को रोक नहीं सके। महज चार दिन में 32 ब्रिगेड ने दुश्मन को 40 किमी पीछे धकेलते हुए खुलना से 14 किमी दौलतपुर पहुंच गई। 16 दिसंबर तक यहीं से दुश्मन के छक्के छुड़ाते रहे। खुलना में तैनात पाकिस्तानी ब्रिगेड जेसोर फतह वाली छह-सात दिसंबर की रात ही खुलना छोड़कर ढाका की ओर पीछे हट गई थी। पाइन डिव के साथ 32 ब्रिगेड भी मेरठ छावनी में तैनात है।