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प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैटों के खिलाफ याचिका, जानिए हाईकोर्ट में कब होगी सुनवाई Meerut News

Pradhan Mantri Awas Yojana प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाए जा रहे फ्लैटों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यहां पर जमीन को लेकर पेंच फंस गया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 12:44 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 12:44 PM (IST)
प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैटों के खिलाफ याचिका, जानिए हाईकोर्ट में कब होगी सुनवाई Meerut News
प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैटों के खिलाफ याचिका, जानिए हाईकोर्ट में कब होगी सुनवाई Meerut News

मेरठ, जेएनएन। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरायकाजी में बनाए जा रहे फ्लैटों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता ने अपनी जमीन बताते हुए उसके निर्माणाधीन ढांचे को ध्वस्त करने की अपील की है। मंगलवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने एमडीए को दस्तावेजों के साथ तलब किया है। इस पर अब 14 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

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अभी यहां के फ्लैटों का नहीं हुआ आवंटन

एमडीए ने कुछ समय पहले शताब्दीनगर, सरायकाजी व लोहियानगर के निर्माणाधीन 1088 फ्लैटों के अंतर्गत पंजीकरण किया था। इसके 534 फ्लैटों का लकी ड्रा से आवंटन भी हो चुका है। हालांकि लकी ड्रा के समय आवंटन से सरायकाजी को दूर कर दिया गया था। दरअसल, उस समय तक एमडीए को जमीन ही नहीं मिल पाई थी। यह भी तय नहीं हो पाया था कि वहां निर्माण हो पाएगा या नहीं।

एमडीए के मुताबिक जमीन अर्बन सीलिंग की है

एमडीए यहां पर जो भी फ्लैट बनवा रहा है। इसको लेकर एक साल से अधिक माथापच्ची हुई है। प्रशासन से जमीन लेने के बाद ही यहां कुछ माह पूर्व ही निर्माण कार्य शुरू हुआ है। एमडीए के एक्सईएन व प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभारी राजीव सिंह ने बताया कि यह जमीन अर्बन सीलिंग की है। एमडीए के पास पर्याप्त दस्तावेज हैं, उसे हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ कर हाईकोट को किया गुमराह

शीला देवी ने अपनी जमीन होने का दावा किया है। उनके अधिवक्ता वीएस चौहान ने बताया कि यह याचिका 19 जुलाई 2018 में दाखिल की गई थी। जब याचिका दाखिल हुई तब आनन-फानन में एमडीए ने वहां पर कार्य शुरू कर दिया। अभी तक एमडीए को जमीन ट्रांसफर भी नहीं हुई है। एमडीए ने दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ करके छायाप्रति जमा की है। सुप्रीम कोर्ट के अर्बन सीलिंग एक्ट को लेकर दिए गए वर्षो पहले एक आदेश के अनुसार भी वादी का ही कब्जा साबित होता है। 


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