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मेरठ में नहीं जलेगी पराली, प्रदूषण भी रुकेगा, ऐसे काम करेगी ट्रेस मल्चर मशीन Meerut News

मेरठ में किसान अब खेतों में पराली नहीं जलाएंगे। किसानों ने गन्ना अवशेष पराली के प्रबंधन को समझते हुए ट्रेस मल्चर मशीन से खेतों में ही मल्चिंग करना शुरू कर दिया है। मेरठ की छह समितियों को भी ट्रेस मल्चर मशीनें प्राप्त हुई हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 11:01 AM (IST)
मेरठ में नहीं जलेगी पराली, प्रदूषण भी रुकेगा, ऐसे काम करेगी ट्रेस मल्चर मशीन Meerut News
मेरठ में फसल अवशेष प्रबंधन से उत्पादकता में वृद्धि संग प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की पहल शुरू की है।

मेरठ, जेएनएन। जिले के किसानों ने गन्ना अवशेष पराली के प्रबंधन को समझते हुए ट्रेस मल्चर मशीन से खेतों में ही मल्चिंग करना शुरू कर दिया है। गन्ने के अवशेष या सूखी पत्तियों को जलाने की बजाय उन्हें खेतों में ही ट्रेस मल्चर मशीन से मल्चिंग किया जा रहा है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण रोकने के साथ खेत की उर्वरा क्षमता भी बढ़ेूगी। गन्ना विभाग की इस पहल ने गन्ना किसानों को पराली के प्रदूषण से बचाने का कार्य किया है। प्रदेश की सभी 126 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। इसमें मेरठ की छह समितियों को भी ट्रेस मल्चर मशीनें प्राप्त हुई हैं।

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जिले में पहुंची 12 ट्रेस मल्चर

उप गन्ना आयुक्त मेरठ राजेश मिश्र ने बताया कि गन्ना विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन से उत्पादकता में वृद्धि के साथ प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की पहल शुरू की है। गन्ना किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह गन्ने की सूखी पत्ती जलाने की बजाय उसका उपयोग भूमि में ही उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए करें। इसके लिए गन्ना विभाग की ओर से प्रदेश की सभी 126 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। इसमें प्रत्येक गन्ना समिति को दो ट्रेस मल्चर मशीनें सौंपी गई हैं। इस तरह से मेरठ की छह गन्ना समितियों में कुल 12 ट्रेस मल्चर मशीनें प्राप्त हुई हैं।

किसानों को किराये पर मिलेंगी मशीनें

प्रदेश में 45 लाख गन्ना किसान हैं। जिसमें अधिकतर लघु व सीमांत किसान हैं। इन सभी किसानों के लिए यह मशीनें खरीद पाना असंभव है। इसके पीछे कारण है कि यह ट्रेस मल्चर मशीनें काफी महंगी हैं और इनकी कीमत ढाई लाख रुपये से अधिक है। ऐसे में गन्ना विभाग ने किसानों को समितिवार किराये पर देने के लिए व्यवस्था बनाई है। गन्ना आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने प्रत्येक यंत्र का प्रति घंटा किराया भी निर्धारित किया है। इन यंत्रों के किराये से प्राप्त होने वाली धनराशि का प्रयोग यंत्रों के रखरखाव में करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश गन्ना समितियों को दिए गए हैं।

इस तरह से बनेगी खाद

गन्ना काटने के बाद ट्रेस मल्चर के प्रयोग से खेत में पडी सूखी पत्तियों को टुकड़ों में काटकर भूमि में मिला दिया जाता है। जो बहुत जल्दी सड़कर खाद के रूप में बदल जाती है। इस विधि को ट्रेस मल्चिंग कहते हैं। इससे भूमि में ओर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी बढ़ती है। जिससे उसकी उर्वरा क्षमता में वृद्धि होकर अधिक उपज प्राप्त होती है। ट्रेस मल्चिंग के कारण फसल में खरपतवार नहीं होते व पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है। वहीं, सूखी पत्ती जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से भी बचाव होता है।

12 प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध कराने की योजना

गन्ना आयुक्त ने बताया कि भविष्य में फार्म मशीनरी बैंक में ट्रैक्टर सहित 12 प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाने की योजना है। जिससे किसानों के समय व श्रम की बचत होगी।


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