वारिस की वतन वापसी में 'दीवार' बना पाकिस्तान, अपना नागरिक मानने से किया इन्कार
उत्तर प्रदेश के शामली की कांधला पुलिस ने पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद वारिस को गिरफ्तार किया था लेकिन जेल से रिहा होने के बाद भी उसका खुद का देश ही उसके लिए समस्या पैदा कर रहा है। इस कारण उसकी पाकिस्तान वापसी नहीं हो पा रही है। वहां स्वजन परेशान हैं।
शामली, जागरण संवाददाता। हैंड ग्रेनेड और बंदूक के साथ पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद वारिस उर्फ राजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया था, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसको पाकिस्तान का नागरिक मानने से ही इन्कार कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि जेल में 19 साल बिताने और रिहा होने के दो साल बाद भी मोहम्मद वारिस की पाकिस्तान में वापसी नहीं हो पा रही है। उसके स्वजन ने दोनों देशों की सरकार से मोहम्मद वारिस को पाकिस्तान भिजवाने की मार्मिक अपील की है। हालांकि इस मामले में शामली के पुलिस- प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है।
बोला बेटा- मेरे पिता को घर पहुंचाया जाए
दैनिक जागरण से बातचीत में मोहम्मद वारिस के बेटे गुलजार वारिस ने कहा कि हम लोग गुजरांवाला, , वजीराबाद पाकिस्तान के रहने वाले हैं। भारत जाने के समय उनके पिता दूध का व्यापार करते थे। हमें मीडिया में प्रकाशित खबरों से पता चला था कि पिता को भारत में गिरफ्तार किया गया है। हमारी जानकारी में आया था कि 2019 में मेरे पिता को जेल से रिहा कर दिया गया है। उसके बाद से हमें अपने पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। हमें अब यह जानकारी मिली है, लेकिन हम अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि वह जिंदा है। गुलजार का दावा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया था। उन्होंने स्वीकार किया कि मोहम्मद वारिस पाकिस्तान नागरिक है और उनके पास पाकिस्तान की आइडी भी है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमें बताया कि भारतीय अधिकारियों से मोहम्मद वारिस को छोड़ने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। गुलजार का कहना है कि मेरे पिता लंबे समय तक भारत की जेल में रह चुके हैं। उसने भारत और पाकिस्तान की सरकार व अधिकारियों से अपील कि है कि उनके पिता को घर पहुंचाने में मदद करें।
- यह था मामला...
कांधला थाना पुलिस ने वर्ष 2000 में मोहम्मद वारिस और तीन अन्य लोगों को हथियार और विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था। मोहम्मद वारिस पर विदेशी नागरिक अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम तथा पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन का आरोप था। वारिस ने कोर्ट में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ। वह वैध पासपोर्ट के माध्यम से भारत आया था। वर्ष 2017 में मुजफ्फरनगर की कोर्ट ने अशफाक उर्फ नन्हे और मोहम्मद वारिस को धारा 121 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। वारिस पर पासपोर्ट एक्ट और विस्फोटक अधिनियम का आरोप सही पाया गया। लगभग 19 वर्ष बाद साल 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वारिस की अपील पर सुनवाई की। 5 अगस्त 2019 को हाईकोर्ट ने वारिस की गिरफ्तारी पर आश्चर्य जताया। दो जजों की पीठ ने मामले पर सुनवाई की और दिसंबर 2019 को वारिस को जेल से रिहा कर दिया गया।
‘अफसर बोले’ पाक तैयार नहीं
हाईकोर्ट के आदेश पर जब मोहम्मद वारिस को रिहा किया गया, तो उसे डिपोट करने के लिए ले जाया गया था। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि पाकिस्तान ने वारिस को अपना नागरिक मानने से इन्कार कर दिया था, इसलिए वारिस की वतन वापसी नहीं हो पाई। फिलहाल वारिस को लेकर स्थानीय अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।