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Oxygen Crisis In Meerut: सांसों की डोर थामने के ये जतन, आक्‍सीजन की आस में सूख रहा आंखों का पानी

मेरठ में ऐसे दिन भी देखने को मिलेंगे किसी शायद सोचा भी नहीं था। कोरोना संकट में अपनों को बचाने के लिए स्वजन के रातों की नींद और दिन का चैन उस प्राण वायु को हासिल करने के लिए हाथ-पैर चलाने और इंतजार करने में ही जा रहा है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sun, 02 May 2021 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 09:30 PM (IST)
Oxygen Crisis In Meerut: सांसों की डोर थामने के ये जतन, आक्‍सीजन की आस में सूख रहा आंखों का पानी
मेरठ में अपनों को बचाने की कोशिश में आक्‍सीजन का इंतजार जारी है।

मेरठ, जेएनएन। Oxygen Crisis In Meerut मेरठ में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मुहैया कराने के तमाम जतनों के बीच घर में प्राण वायु के सहारे चलती सांसों को हर दिन एक अदद सिलेंडर का इंतजार रहता है। स्वजनों के रातों की नींद और दिन का चैन उस प्राण वायु को हासिल करने के लिए हाथ-पैर चलाने और इंतजार करने में ही जा रहा है। काम-काज छोड़कर लोगों को आक्सीजन मिलने की उम्मीद में एक प्लांट से दूसरे प्लांट तक चक्कर काटना पड़ रहा है। व्यक्तिगत आक्सीजल सिलेंडर अब तक अग्रवाल गैस प्लांट से ही भरे जा रहे थे। वहां शनिवार देर रात सिलेंडर भरने की प्रक्रिया शुरू हुई जो सुबह सात बजे तक चली। उसके बाद रविवार देर रात तक आक्सीजन मिलने की उम्मीद में पूरे दिन वहीं गुजार दिया।

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हर रोज की मशक्‍कत

रविवार से पूठा रोड स्थित माहेश्वरी गैस प्लांट से भी लोगों को आक्सीजन मिलने लगी तो वहां भी लंबी कतार नजर आई। सुबह की खेप के बाद यहां शाम पांच बजे से दोबारा आक्सीजन मिलनी शुरू हुई तो दूसरे प्लांट तक खबर पहुंचते ही लोग वहां से भागकर पूठा रोड पहुंचे। छह जगह से यहां पहुंचा, मिलने की उम्मीद पर गाजियाबाद में इंदिरापुरम के रहने वाले समीर अपनी दादी विमला शर्मा के लिए आक्सीजन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। गाजियाबाद, दिल्ली और मेरठ के विभिन्न प्लांट पर आक्सीजन की तलाश करते हुए रविवार को परतापुर के उद्योगपुरम स्थित अग्रवाल गैस प्लांट पहुंचे। जब पहुंचे तो आक्सीजन नहीं मिल रही लेकिन देर शाम तक मिलने की उम्मीद दिखी तो वह वहीं पर रुक गए। समीर ने बताया कि काम-काज छोड़कर हर दिन इसी तरह पूरे दिन आक्सीजन खोजना पड़े कोई मरीज को कैसे राहत दिला सकता है।

जिंदगी बचाने का अंतिम उपाय

इसी परेशानी के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं तो 35 हजार रुपये लेकर आक्सीजन सिलेंडर घर पर भी पहुंचाने को तैयार हैं। अब जिंदगी बचाने को वह भी अंतिम उपाय हो सकता है लेकिन वह उपाय सब नहीं ले सकते हैं। अस्पताल ने अब खुद आक्सीजन लाने को बोलामेरठ में ही सरधना के रहने वाले रितिक त्यागी अपने बड़े भाई अंकुर त्यागी के लिए आक्सीजन सिलेंडर पाने के लिए भटक रहे हैं। अंकुर त्यागी हिमालय अस्पताल में भर्ती हैं। अभी कोविड की रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन सांस में दिक्कत होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल ने अब तक सिलेंडर दिया भी लेकिन रविवार को आक्सीजन सिलेंडर का स्वयं इंतजाम करने के लिए कह दिया। सरधना से पहले कंसल गए और वहां से कुछ एक गैस प्लांटों पर खोजने के बाद परतापुर पहुंचे। आक्सीजन सिलेंडर मिलने की उम्मीद बंधी लेकिन कब मिलेगी यह किसी को नहीं पता। जब तक रिपोर्ट नहीं आती तब तक अस्पताल में आक्सीजन उन्हें ही देना पड़ सकता है। अगर हर दिन इसी तरह घंटों इंतजार के बाद आक्सीजन मिलेगी तो वह कितना ले पाएंगे यह भी जानकारी नहीं है।

बेटा बच जाता तो भूख-प्यास भी मिट जाती

जानी के निटक नानू गांव के रहने वाले महावीर कोविड पीड़ित छोटे बेटे के लिए सुबह से ही उद्योगपुरम में पूरे दिन आक्सीजन मिलने का इंतजार किया। आठ दिनों से अस्पताल में भर्ती छोटे बेटे संजीव को आक्सीजन के सहारे ही रखा गया है। महावीर के अनुसार हर दिन किसी न किसी गैस प्लांट से आक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम करते हैं। वह स्वयं एक प्लांट पर नंबर लगाए बैठे हैं जबकि भतीजा देवदत्ता अन्य गैस प्लांटों पर आक्सीजन की तलाश में भटकते रहते हैं। दिन भर गैस प्लांट पर ही रहने के दौरान खान-पान का पूछने पर भावुक महावीर ने कहा बेटा किसी तरह ठीक हो जाए तो मेरी भूख-प्यास अपने आप ही ठीक हो जाएगी। दूसरा बेटा बहराइच में लेक्चरर हैं और इन दिनों चुनावी ड्यूटी में कार्यरत हैं। बुजुर्ग पिता छोटे बेटे का जीवन बचाने को प्राण वायु की तलाश में भटक रहे हैं।


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