Oxygen Crisis In Meerut: प्राण वायु के संकट के बीच मिसाल बनकर उभरा मेरठ का यह अस्पताल, यहां लबालब है ऑक्सीजन
कोरोना के हाहाकार के बीच ऑक्सीजन ही संजीवनी है। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों और प्रशासन की ताबड़तोड़ भागदौड़ के बावजूद अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है। वहीं दौराला में बना एक ऐसा अस्पताल है जहां ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना के हाहाकार के बीच ऑक्सीजन ही संजीवनी है। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों और प्रशासन की ताबड़तोड़ भागदौड़ के बावजूद अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है। वहीं, दौराला में बना एक ऐसा अस्पताल है, जहां ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। यह अस्पताल अस्पताल अपने आप में एक मिसाल बनकर सामने उभरा है। कैंपस में दस हजार लीटर क्षमता का लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट है, जहां से सभी बेडों तक सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई पहुंच रही है। अकेला अस्पताल है, जहां एक भी मिनट के लिए ऑक्सीजन संकट नहीं खड़ा हुआ। साथ ही, मरीजों को हाई फ्लो ऑक्सीजन देने के लिए 22 उपकरण उपलब्ध हैं। आपातस्थिति को देखते हुए 160 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं दौराला में बने आर्यावर्त अस्पताल की।
प्रबंधक डा. मलय शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों के लिए 16 लीटर की गति से ऑक्सीजन देने से स्थिति रिकवर होती है। अस्पताल के कैंपस में दस हजार लिक्वड ऑक्सीजन का कैप्सूल खड़ा है, जिसमें रुड़की की एक कंपनी से रोजाना टैंकर पहुचता है। एक लीटर लिक्विड ऑक्सीजन से 22 लीटर गैस बनती है। यहां ऑक्सीजन की शुद्धता 99 फीसद से ज्यादा आंकी गई है, जबकि आटोमैटिक जनरेशन प्लांट में कम होती है। वर्तमान में जिले में संचालित सभी कोविड केंद्रों में आक्सीजन की बड़ी कमी है।
रेजीडेंट डाक्टर मिलें तो और होगी मरीजों की सेवा
कोरोना की वजह से कुछ साथियों के संक्रमित होने की स्थिति में मानव संसाधन की कमी के बीच योद्धा की तरह जूझते डा. मलय शर्मा ने मेडिकल कालेज प्रशासन से रेजीडेंट डाक्टरों की मांग की है। उनका कहना है कि 40 कोविड बेडों की अनुमति मिली है। प्रशासन के समन्वय से 150 बेड का कोविड अस्पताल बना लिया जाएगा। कैंपस में कोविड के 160 मरीज भर्ती किए गए हैं। इसमें से वो मरीज ज्यादा हैं, जिनको कहीं भर्ती नहीं किया गया। अस्पताल ने मेडिकल कालेज से ऐसे वेंटीलेटरों की मांग की है, जो लंबे समय से इस्तेमाल में नहीं लिए जा रहे हैं।