बिजली लूट की मिली सरकारी छूट, बुनकर कनेक्शनों पर बकाया 3500 करोड़
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2006 में बुनकरों को सस्ती बिजली की सुविधा दी थी। शासनादेश की शर्तो का उल्लंघन करके बड़ी-बड़ी फैक्टियों के लाखों के बिजली बिल सब्सिडी में डाल दिए गए।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 05:01 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 05:01 PM (IST)
मेरठ, [अनुज शर्मा]। बुनकर कनेक्शन के नाम पर प्रदेश में 12 साल से मची सस्ती बिजली की लूट के बाद सब्सिडी का 3500 करोड़ रुपया हथकरघा विभाग पर बकाया है। सब्सिडी के विवाद में काटे गए पावरलूम फैक्टियों के कनेक्शन फिर से जोड़ने और फैक्ट्री को सस्ती बिजली से चलाने की अनुमति हथकरघा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने दी है। लेकिन, पावर कारपोरेशन को यह मंजूर नहीं है। उसने हथकरघा विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, पीवीवीएनएल भी इस आदेश का परीक्षण करा रहा है।
खेल खुला तो हंगामा मच गया
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2006 में बुनकरों को सस्ती बिजली की सुविधा दी थी। इसके तहत हथकरघा और पावरलूम बुनकरों को विशेष कनेक्शन जारी कि गए थे। पांच हजार बुनकर कनेक्शन वर्ष 2012 तक बढ़कर 1.25 लाख तक पहुंच गए थे। जहां बुनकर कनेक्शनों के नाम पर शोरूम और अन्य स्थानों पर बिजली का उपभोग किया गया, वहीं शासनादेश की शर्तो का उल्लंघन करके बड़ी-बड़ी फैक्टियों के लाखों के बिजली बिल सब्सिडी में डाल दिए गए। खेल खुला तो हंगामा मच गया। बड़ी संख्या में पावरलूम फैक्टियों के कनेक्शन काटे गए।
मशीनों के बिजली भार की सीमा भी समाप्त की
पावरलूम फैक्टियों के मालिकों ने हाई कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट के आदेश पर हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव रमारमण ने इन 31 याचिकाकर्ताओं की समस्या का निस्तारण कर दिया। उन्होंने टीएफओ, डबलिंग मशीन, शटल लेस पावरलूम समेत तमाम अत्याधुनिक मशीनों को बिजली सब्सिडी के लिए पात्र घोषित कर दिया, लेकिन आदेश में छूट वाली बिजली के लिए इन मशीनों के बिजली भार का निर्धारण नहीं किया। उन्होंने फैक्टियों के संयुक्त सर्वे रिपोर्ट पर आपत्तियां की और पावर कारपोरेशन की कार्रवाई को निरस्त करके फैक्टियों को बिजली सब्सिडी की सुविधा देने का आदेश दिया है।
पावर अफसर दुविधा में
अपर मुख्य सचिव के आदेश को लेकर पावरलूम फैक्ट्री मालिक बिजली सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। बिजली अफसरों का कहना है कि शासनादेश में स्पष्ट है कि एक मशीन पर उसके आकार के मुताबिक अधिकतम आधा और एक हार्सपावर की बिजली सब्सिडी दी जा सकती है, जबकि फैक्ट्री मालिक पांच और दस हार्स पॉवर तक की मशीनों पर भी पूरी बिजली सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव के आदेश पर पावर कारपोरेशन ने आपत्ति की है। वहीं पीवीवीएनएल अलग से उक्त आदेश का विधिक परीक्षण करा रहा है।
12 को बांध लिए अपर मुख्य सचिव ने हाथ
पावर कारपोरेशन ने अभी पहले आदेश पर अमल शुरू नहीं किया था कि अपर मुख्य सचिव ने 22 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई 12 फरवरी को सुनवाई की। जिसमें पावरलूम फैक्ट्री मालिकों के साथ साथ पीवीवीएनएल से मुख्य अभियंता कामर्शियल संजय आनंद जैन और एक्सईएन संजय शर्मा भी शामिल थे। बिजली अफसरों ने पूर्व आदेश पर भी आपत्ति की। उन्होंने कहा कि किसी भी मशीन को आप छूट की बिजली की सूची में शामिल तो कर सकते हैं लेकिन उसे मिलने वाली अधिकतम बिजली का भार एक एचपी से ज्यादा नहीं हो सकता। यदि असीमित बिजली भार की छूट दी जायेगी तो बिजली का दुरुपयोग होगा और सब्सिडी की राशि बेतहाशा बढ़ जायेगी। पहले से ही विभाग का 3500 करोड़ से अधिक बकाया है। बिजली अफसरों की माने तो अपर मुख्य सचिव ने इस बार आदेश से पहले शासनादेश और उसकी पत्रवली का अध्ययन करने की घोषणा करके सुनवाई खत्म कर दी।
इन्होंने कहा
अपर मुख्य सचिव के आदेश का हम परीक्षण करा रहे हैं। लखनऊ स्तर पर भी संबंधित विभाग से आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। हम भी अपना इनपुट इसमें शामिल करेंगे। अभी सब्सिडी का पुराना 3500 करोड़ रुपया हथकरघा विभाग पर बकाया है।
- आशुतोष निरंजन, एमडी पीवीवीएनएल
अपर मुख्य सचिव को गुमराह किया जा रहा था। हमने शासनादेश और अधिकतम बिजली छूट को स्पष्ट किया। जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने कोई नया आदेश करने से इंकार कर दिया।।
- संजय शर्मा, एक्सईएन
शासनादेश और विद्युत टिब्यूनल के आदेश के आधार पर हमने 31 याचिकाओं का निस्तारण किया है। उक्त आदेश पर पावर कारपोरेशन ने स्पष्टीकरण मांगा है। टिब्यूनल 75 किलोवाट तक के बुनकर कनेक्शन की अनुमति दे रहा है। बिजली कंपनियों में भी आदेश को लेकर एकरूपता नहीं है। पावरलूम के सहायक उपकरणों की क्षमता भी स्पष्ट नहीं है। जल्द यह संशय दूर होगा। बुनकर कनेक्शन के नाम पर बिजली की लूट नहीं करने दी जाएगी।
- रमा रमण, अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग
खेल खुला तो हंगामा मच गया
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2006 में बुनकरों को सस्ती बिजली की सुविधा दी थी। इसके तहत हथकरघा और पावरलूम बुनकरों को विशेष कनेक्शन जारी कि गए थे। पांच हजार बुनकर कनेक्शन वर्ष 2012 तक बढ़कर 1.25 लाख तक पहुंच गए थे। जहां बुनकर कनेक्शनों के नाम पर शोरूम और अन्य स्थानों पर बिजली का उपभोग किया गया, वहीं शासनादेश की शर्तो का उल्लंघन करके बड़ी-बड़ी फैक्टियों के लाखों के बिजली बिल सब्सिडी में डाल दिए गए। खेल खुला तो हंगामा मच गया। बड़ी संख्या में पावरलूम फैक्टियों के कनेक्शन काटे गए।
मशीनों के बिजली भार की सीमा भी समाप्त की
पावरलूम फैक्टियों के मालिकों ने हाई कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट के आदेश पर हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव रमारमण ने इन 31 याचिकाकर्ताओं की समस्या का निस्तारण कर दिया। उन्होंने टीएफओ, डबलिंग मशीन, शटल लेस पावरलूम समेत तमाम अत्याधुनिक मशीनों को बिजली सब्सिडी के लिए पात्र घोषित कर दिया, लेकिन आदेश में छूट वाली बिजली के लिए इन मशीनों के बिजली भार का निर्धारण नहीं किया। उन्होंने फैक्टियों के संयुक्त सर्वे रिपोर्ट पर आपत्तियां की और पावर कारपोरेशन की कार्रवाई को निरस्त करके फैक्टियों को बिजली सब्सिडी की सुविधा देने का आदेश दिया है।
पावर अफसर दुविधा में
अपर मुख्य सचिव के आदेश को लेकर पावरलूम फैक्ट्री मालिक बिजली सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। बिजली अफसरों का कहना है कि शासनादेश में स्पष्ट है कि एक मशीन पर उसके आकार के मुताबिक अधिकतम आधा और एक हार्सपावर की बिजली सब्सिडी दी जा सकती है, जबकि फैक्ट्री मालिक पांच और दस हार्स पॉवर तक की मशीनों पर भी पूरी बिजली सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव के आदेश पर पावर कारपोरेशन ने आपत्ति की है। वहीं पीवीवीएनएल अलग से उक्त आदेश का विधिक परीक्षण करा रहा है।
12 को बांध लिए अपर मुख्य सचिव ने हाथ
पावर कारपोरेशन ने अभी पहले आदेश पर अमल शुरू नहीं किया था कि अपर मुख्य सचिव ने 22 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई 12 फरवरी को सुनवाई की। जिसमें पावरलूम फैक्ट्री मालिकों के साथ साथ पीवीवीएनएल से मुख्य अभियंता कामर्शियल संजय आनंद जैन और एक्सईएन संजय शर्मा भी शामिल थे। बिजली अफसरों ने पूर्व आदेश पर भी आपत्ति की। उन्होंने कहा कि किसी भी मशीन को आप छूट की बिजली की सूची में शामिल तो कर सकते हैं लेकिन उसे मिलने वाली अधिकतम बिजली का भार एक एचपी से ज्यादा नहीं हो सकता। यदि असीमित बिजली भार की छूट दी जायेगी तो बिजली का दुरुपयोग होगा और सब्सिडी की राशि बेतहाशा बढ़ जायेगी। पहले से ही विभाग का 3500 करोड़ से अधिक बकाया है। बिजली अफसरों की माने तो अपर मुख्य सचिव ने इस बार आदेश से पहले शासनादेश और उसकी पत्रवली का अध्ययन करने की घोषणा करके सुनवाई खत्म कर दी।
इन्होंने कहा
अपर मुख्य सचिव के आदेश का हम परीक्षण करा रहे हैं। लखनऊ स्तर पर भी संबंधित विभाग से आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। हम भी अपना इनपुट इसमें शामिल करेंगे। अभी सब्सिडी का पुराना 3500 करोड़ रुपया हथकरघा विभाग पर बकाया है।
- आशुतोष निरंजन, एमडी पीवीवीएनएल
अपर मुख्य सचिव को गुमराह किया जा रहा था। हमने शासनादेश और अधिकतम बिजली छूट को स्पष्ट किया। जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने कोई नया आदेश करने से इंकार कर दिया।।
- संजय शर्मा, एक्सईएन
शासनादेश और विद्युत टिब्यूनल के आदेश के आधार पर हमने 31 याचिकाओं का निस्तारण किया है। उक्त आदेश पर पावर कारपोरेशन ने स्पष्टीकरण मांगा है। टिब्यूनल 75 किलोवाट तक के बुनकर कनेक्शन की अनुमति दे रहा है। बिजली कंपनियों में भी आदेश को लेकर एकरूपता नहीं है। पावरलूम के सहायक उपकरणों की क्षमता भी स्पष्ट नहीं है। जल्द यह संशय दूर होगा। बुनकर कनेक्शन के नाम पर बिजली की लूट नहीं करने दी जाएगी।
- रमा रमण, अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग
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