विरोध सबका अधिकार, पर दिल्ली की घटना लोकतंत्र की हत्या
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। इस घटना को लेकर जिले के किसान संगठनों ने सरकार से निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की मांग भी की है।
मेरठ, जेएनएन। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। इस घटना को लेकर जिले के किसान संगठनों ने सरकार से निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की मांग भी की है। अधिकांश किसान संगठनों का कहना है कि यह घटना केवल पुलिस पर हमला या सरकार का विरोध नहीं है, बल्कि सीधे-सीधे लोकतंत्र की हत्या है। कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान व पुलिस के ऊपर हमला किसी भी हाल में सही नहीं ठहराया जा सकता। भाकियू भानु गुट का मानना है कि देश की अखंडता व लोकतंत्र के साथ बिल्कुल भी समझौता नहीं किया जा सकता। भाकियू टिकैत संगठन के जिलाध्यक्ष ने घटना को कृषि आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार की साजिश का हिस्सा बताया है।
इन्होंने कहा-
लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराने वालों में शामिल युवक भाजपा से संबंध रखता है। सरकार ने साजिश के तहत कृषि आंदोलन को गुमराह किया है। सरकार को निष्पक्ष जांच करते हुए अराजक तत्वों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-मनोज त्यागी, जिलाध्यक्ष, भाकियू टिकैत भानु संगठन इस घटना की कड़ी भर्त्सना व निदा करता है। कृषि कानूनों का विरोध या सरकारी नीति से सहमत न होना अलग बात है। लेकिन इसकी आड़ में देश की अखंडता के साथ बिल्कुल भी समझौता नहीं किया जा सकता।
-राजीव अधाना, पश्चिमी उप्र अध्यक्ष, भाकियू भानु हमारे संगठन ने किसान हितों के लिए अपना समर्थन दिया था। राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में किसी भी कोताही की जितनी निदा की जाए, वह कम है। सरकार से मांग है कि इस घटना की जांच कर बलवाइयों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
-कुलदीप त्यागी, अध्यक्ष, भारतीय किसान आंदोलन कुछ किसान नेताओं ने उकसाने और भड़काने का निदनीय कार्य किया है। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर लोकतंत्र की हत्या हुई है। इस पूरी घटना के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सभी किसान नेता जिम्मेदार हैं। इस घटना से दुनिया के सामने भारत की छवि खराब हुई है।
-राजपाल सिंह, मंडल अध्यक्ष, हिद मजदूर किसान समिति