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प्रदर्शन ने घटाई वेस्ट की हिस्सेदारी, दो चेहरों को ही मोदी मंत्रिमंडल में स्थान

मोदी मंत्रिमंडल की दूसरी पारी में पश्चिम उप्र का रुतबा घटा है। 2014 में जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश से तीन मंत्री बनाए गए वहीं इस बार दो ही चेहरों को तवज्जो मिली।

By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 10:04 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 10:04 AM (IST)
प्रदर्शन ने घटाई वेस्ट की हिस्सेदारी, दो चेहरों को ही मोदी मंत्रिमंडल में स्थान
प्रदर्शन ने घटाई वेस्ट की हिस्सेदारी, दो चेहरों को ही मोदी मंत्रिमंडल में स्थान
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। मोदी मंत्रिमंडल की दूसरी पारी में पश्चिम उप्र का रुतबा घटा है। 2014 में जहां पश्चिमी उप्र से तीन मंत्री बनाए गए, वहीं इस बार दो ही चेहरों को तवज्जो मिली। जबकि इस बार पार्टी पश्चिमी उप्र पर ज्यादा मेहरबान होने का संकेत दे चुकी थी। माना जा रहा है कि इस क्षेत्र की निर्धारित 14 में से सात सीट गंवाने की वजह से भी मंत्रिमंडल में पश्चिमी उप्र की हिस्सेदारी कम रह गई।
संगठन और संघ का भरोसा जीता बालियान ने
भाजपा ने संगठन के लिहाज से पश्चिमी उप्र को 14 सीटों में बांटा है। गत लोस चुनाव में भाजपा इन सभी सीटों पर विजयी रही थी। 2014 में नोएडा से जीते डा. महेश शर्मा मोदी की टीम में थे, जो इस बार टिकट पाने से लेकर जीतने तक पार्टी में अंतर्विरोध का सामना करते रहे। गाजियाबाद से रि. जनरल वीके सिंह को भी टिकट देने पर विरोध की आवाजें उठीं, लेकिन उनका रसूख और भारी अंतर से जीत ने मंत्रिमंडल तक पहुंचाया। इधर, केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री रहे डा. सत्यपाल को इस बार टीम मोदी में जगह नहीं मिली, लेकिन मुजफ्फरनगर के सांसद डा. संजीव बालियान संगठन और संघ का भरोसा जीतने में सफल हुए।
बुलंदशहर और मेरठ के सांसदों का नाम चर्चा में नहीं
इसी बहाने पार्टी उन्हें पश्चिमी उप्र के दिग्गज जाट नेता चौ. अजित सिंह की काट के रूप में भी प्रमोट करेगी। उधर, बागपत की बेहद कड़ी सीट पर जयंत चौधरी को हराकर डा. सत्यपाल ने सभी को चौंका दिया। उन्होंने क्षेत्र में विकास कार्य भी कराए, लेकिन मंत्रिमंडल तक पहुंचने की जमीनी व राजनीतिक गुणागणित में चूक गए। बुलंदशहर और मेरठ के सांसदों का नाम मंत्रिमंडल की चर्चा में भी नहीं आ सका।
पश्चिम को और देने के मूड में थी भाजपा
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो गत वर्ष 11 व 12 अगस्त को मेरठ में आयोजित प्रदेश कार्यकारिणी में पश्चिमी उप्र को विशेष तवज्जो देने की बात कही गई थी। लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों का परिणाम आने के साथ ही पश्चिम उप्र मंत्रिमंडल की रेस में पिछड़ गया। माना जा रहा था कि अगर इस बार 2014 जैसे परिणाम होते तो पश्चिमी उप्र से चार से पांच चेहरों को तवज्जो मिलती या कैबिनेट में लिया जाता। जहां पूर्वाचल से नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, डा. महेंद्रनाथ पांडे और स्मृति ईरानी जैसे बड़े नामों ने शपथ ली, वहीं पश्चिमी उप्र में किसी को कैबिनेट में स्थान नहीं मिला।

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