सिर्फ 37 आयुष्मान कार्ड फर्जी..यह बात कुछ हजम नहीं हुई Meerut News
आरटीआइ में केवल 37 फर्जी शिकायत कार्ड सामने आएं है। जो कि यह सोचनीय विषय है। लेकिन वहीं अस्पतालों के खिलाफ कुल 445 शिकायतें दर्ज हैं।
मेरठ, जेएनएन। आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार की नई कड़ियां जुड़ती जा रहीं हैं। जहां मेरठ के अस्पतालों के प्रति शासन ने 20 गंभीर शिकायतों पर जांच बिठा दी है, वहीं 37 कार्ड फर्जी पाए जाने पर निरस्त कर दिए। दस लोगों का समान नाम होने पर कार्ड जारी कर दिया गया। उधर, अस्पतालों के खिलाफ 445 शिकायतें दर्ज की गई हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना पिछले साल देशभर में लागू की गई। आरटीआइ कार्यकर्ता मनोज चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग से दस बिंदुओं पर जानकारी तलब की। विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक योजना में कई पैमाने पर अनियमितता मिली है। करोड़पतियों को भी लाभार्थी बना दिया गया। विभाग ने माना है कि 37 आयुष्मान कार्डों को निरस्त करना पड़ा, जबकि दस लोगों के समान नाम होने से कार्ड में नाम जुड़ गया। हालांकि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी का दावा है कि दो लाख 11 हजार से ज्यादा लाभार्थियों में से 30 फीसद फर्जी व मानक के विरुद्ध बनाए गए हैं। उन्होंने इतनी बड़ी लिस्ट में सिर्फ तीन दर्जन नाम आने पर प्रश्न खड़ा किया है। अस्पतालों के खिलाफ इलाज में मनमानी की तमाम शिकायतें सरकार के पास पहुंची हैं। इधर, एक आयुष्मान मित्र ने एक कार्ड पर 14 सदस्यों का नाम जोड़ा, जिस पर एफआइआर दर्ज की गई है।
छह अस्पतालों को पैनल से हटाया
नेशनल एंटी फ्राड टीम की नजर में मेरठ की साख अच्छी नहीं है। टीम ने तीन माह पहले मेरठ में कई अस्पतालों में अनियमितता पकड़ा। जिले में अब तक छह अस्पतालों को डी-पैनल किया जा चुका है। स्टेट हेल्थ एजेंसी की अगुआई में तीन सदस्यीय टीम को सभी 61 अस्पतालों के मानकों की नए सिरे से जांच के लिए कहा। टीम सिर्फ दो अस्पतालों तक पहुंची।
मेडिकल कॉलेज में ब्लडप्रेशर की दवा फेल
मेरठ, जेएनएन। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में भी दवा नकली मिले, तो मरीज कहां जाए? ड्रग स्टोर से रक्तचाप की दवा की सेंपलिंग की गई थी, जो जांच में फेल हो गई। प्राचार्य ने तत्काल दवा पर रोक लगाते हुए कंपनी का भुगतान रोक लिया। उधर, आपरेशन थिएटर से लेकर फर्श की सफाई में प्रयोग किए जाने वाला फिनायल भी फेल मिला।
ड्रग इंसपेक्टर पवन कुमार शाक्य ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 140 दवाओं की सेंपलिंग की जा चुकी है, जिसमें से 60 की रिपोर्ट जारी की गई। इसमें मेडिकल कालेज के ड्रग स्टोर से ली गई बीपी की दवा टोरवास्टेटिक की गुणवत्ता फेल मिली। जांच रिपोर्ट आने से पहले हजारों मरीज इस दवा का सेवन कर चुके थे। ड्रग विभाग ने रिपोर्ट देखते हुए मेडिकल कालेज से एंटीबायोटिक और दर्द निवारक अन्य 11 दवाओं का सेंपल भरा। हालांकि इसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। गत दिनों सर्जरी विभाग में एक इंजेक्शन के प्रयोग से कई मरीज बेहोश हो गए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट अब भी पेंडिंग है।
सीएमएस डा. धीरज राज ने बताया कि ब्लडप्रेशर की दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी से जवाब-तलब किया गया है। ड्रग विभाग की रिपोर्ट बताती है कि इस साल आठ दवाओं की जांच रिपोर्ट फेल मिल चुकी है।
इसमें मेडिकल कालेज की दो दवाएं हैं। उधर, सीएमओ कार्यालय के ड्रग स्टोर से भी कई दवाओं का सेंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है।
सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि अब तक 37 कार्ड फर्जी मिले हैं, जबकि दस लोगों के समान नाम होने से कार्ड बना दिए गए। तीन टीमें अस्पतालों की निगरानी कर रही हैं। छह अस्पताल डी-पैनल किए गए हैं, हालांकि अस्पतालों के प्रति शिकायतें मिल रही हैं।