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जो सेहत से करे प्यार, वो आर्गेनिक फूड से कैसे करे इन्कार

कोरोना ने सबसे ज्यादा बदलाव खानपान पर डाला है। लोग खानपान के प्रति पहले से ज्यादा सतर्क हुए हैं। फास्ट फूड और विदेशी खाद्य पदार्थो से सजी आधुनिक रसोई ने एक बार फिर दादी-नानी वाली पारंपरिक रसोई का रूप ले लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 06:03 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 06:03 AM (IST)
जो सेहत से करे प्यार, वो आर्गेनिक फूड से कैसे करे इन्कार
जो सेहत से करे प्यार, वो आर्गेनिक फूड से कैसे करे इन्कार

मेरठ, जेएनएन। कोरोना ने सबसे ज्यादा बदलाव खानपान पर डाला है। लोग खानपान के प्रति पहले से ज्यादा सतर्क हुए हैं। फास्ट फूड और विदेशी खाद्य पदार्थो से सजी आधुनिक रसोई ने एक बार फिर दादी-नानी वाली पारंपरिक रसोई का रूप ले लिया है। रसोई में औषधि और भारतीय मसालों ने प्रवेश कर लिया है। इसके साथ ही आर्गेनिक सब्जी, फल, दाल, अनाज और सिरका की मांग भी पहले से काफी बढ़ गई है। आज विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर बदलते खानपान और जैविक खाद्य पदार्थो की बात करना जरूरी है, जिसका वर्तमान रसोई में विशेष स्थान है। विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1945 में हुई।

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खानपान के शौकीन अब स्वाद के साथ-साथ सेहत को भी तवज्जो दे रहे हैं। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैविक खेती करने वालों और उत्पाद खरीदने वालों की संख्या में पिछले दो वर्ष में अच्छा इजाफा हुआ है। जैविक उत्पाद की बढ़ती मांग को देखते हुए शहर के आसपास के कई गांवों में इनकी खेती की जा रही है। इसमें सर्वाधिक मांग सब्जी, दाल, गेहूं, चावल, सिरका और शहद की है। सेहत को ध्यान में रखते हुए लोग डेढ़ से दोगुनी कीमत देकर जैविक उत्पाद खरीद रहे हैं। बढ़ रही है दाल और सब्जी की मांग

मनीष कुमार शर्मा पिछले दस साल से छज्जुपुर गांव में जैविक खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना काल में जैविक सब्जी और दालों की मांग में 40 से 50 फीसद का इजाफा हुआ है। वह टमाटर और शिमला मिर्च अपने फार्म हाउस में उगा रहे हैं। अरहर, मलका, मसूर, मूंग, चना, छोले, दलिया, हल्दी और मसाले वह बुंदेलखड से मंगवाकर बेच रहे हैं। मनीष बताते हैं कि अब वह कई किसानों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं, क्योंकि आने वाले समय में आर्गेनिक फूड की मांग और बढ़ेगी। जैविक सिरका स्वाद के साथ सेहत भी

दैनिक जागरण के किसान संपर्क अभियान, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी और नवोन्मेषी कृषक सम्मेलन में सम्मानित हो चुके झिटकरी गांव के नरेश सिरोही पिछले सात वर्षो से जैविक सिरका तैयार कर रहे हैं। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही गले की खराश, लिवर को स्वस्थ रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के काम भी आता है। नरेश जामुन, सेब और गन्ने के अलावा अंगूर, लीची, एलोवेरा, आंवला, अनार, अनानास, खजूर और आलू बुखारा से जैविक सिरका तैयार करते हैं। नरेश बताते हैं कि कोरोना काल में सिरके की मांग 50 से 60 फीसद बढ़ गई है। इस समय दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश तक उनका बनाया सिरका पसंद किया जा रहा है। इस व्यवसाय को समझते हुए लोग जैविक सिरका बनाने का प्रशिक्षण भी लेने लगे हैं।

50 फीसद अधिक पौष्टिक होते हैं आर्गेनिक फूड

जो खाद्य पदार्थ बिना किसी केमिकल, कीटनाशक और फर्टिलाइजर का इस्तेमाल किए उगाए जाते हैं, उसे आर्गेनिक फूड कहा जाता है। यह खाद्य पदार्थ सामान्य खाद्य पदार्थ से 50 फीसद अधिक पौष्टिक होते हैं। आर्गेनिक फूड में मौजूद पोषक तत्व दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर की समस्या, माइग्रेन, मधुमेह और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों बचाते हैं, और इनमें फैट भी नहीं होता है। इससे वजन को भी नियंत्रित रखा जा सकता हैं।

-डा. भावना गांधी, खानपान विशेषज्ञ


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