वाहनों की बिक्री घटी, लेकिन लर्निग लाइसेंस को एक माह की वेटिंग Meerut News
वाहनों की बिक्री घटी लेकिन लाइसेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। लंबी वेटिंग का मुख्य कारण आरटीओ में सक्रिय दलालों की भूमिका है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 05:35 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 05:35 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। परिवहन विभाग में आन लाइन व्यवस्था लागू हो जाने के बाद ड्राइ¨वग लाइसेंस तक बनवाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अगर आप सोचते हैं कि दलालों से साबका नहीं पड़ेगा और जल्द लाइसेंस बन जाएगा तो आप मुगालते में हैं। लर्निग लाइसेंस बनवाने के लिए 28 से 35 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि आटोमोबाइल सेक्टर मंदी में है वाहनों की बिक्री घटी हुई है लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लंबी वेटिंग है। ऐसे में अगर आप वाहन चलाने की सोच रहे हैं तो इतना इंतजार करने के लिए तैयार रहें। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर का भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। लर्निग लाइसेंस के लिए ऑन लाइन आवेदन करना होता है। फीस जमा करने के बाद टेस्ट के लिए तिथि का मैसेज आवेदक के मोबाइल पर पहुंचता है। कंप्यूटर पर होने वाले टेस्ट में पास होने के बाद ही लाइसेंस जारी होता है।
केस -1
शास्त्रीनगर निवासी पवन कुमार ने 22 अगस्त को आवेदन किया था उन्हें टेस्ट के लिए 21 सितंबर को बुलाया गया है।
केस - 2
26 अगस्त को जागृति विहार निवासी अभिषेक त्यागी ने आवेदन किया उनका स्लाट 24 सितंबर को बुक हुआ है।
केस-3
केसरगंज के दुकानदार संदीप गुप्ता ने 28 अगस्त को आवेदन किया है उन्हें चार अक्टूबर की तिथि मिली है।
बताते चलें कि टेस्ट के बाद डाक्यूमेंट की प्रोसेसिंग आदि में दो दिन लग जाते हैं और उसके बाद ऑनलाइन ही लर्निग लाइसेंस जारी होता है। जिसे डाउनलोड कर वाहन चलाते समय अपने साथ रखना होता है।
अक्सर आती है समस्या
आरटीओ में लर्निग लाइसेंस की लंबी वेटिंग कोई नई समस्या नहीं है। बीच बीच में ऐसी स्थितियां आती रहती हैं। हालांकि इस समय न तो स्कूलों में सेशन ओपनिंग का समय है और नह ही लाइसेंस के लिए अधिक भीड़ है। यही नहीं वाहनों की बिक्री भी घटी हुई है। ऐसे में इतनी लंबी वेटिंग को लेकर आरटीओ में सक्रिय दलालों की भूमिका बतायी जा रही है। कई दलाल विभाग के अधिकारियों से सेटिंग कर जानबूझ कर लंबी वेटिंग करा देते हैं ताकि जिनको जरूरत है वह रिश्वत देकर लाइसेंस बनवाएं। इस तरह तुरतफुरत लाइसेंस बनवाने के लिए कई दलाल सक्रिय हैं। उधर, एआरटीओ प्रशासन श्वेता वर्मा ने कहा कि ऑनलाइन प्रक्रिया में दलालों का रोल पूरी तरह खत्म हो गया है। लर्निग लाइसेंस के लिए एक दिन में 150 लोगों के टेस्ट होते हैं। मांग इससे ज्यादा की है। इसलिए लंबी वेटिंग चल रही है।
केस -1
शास्त्रीनगर निवासी पवन कुमार ने 22 अगस्त को आवेदन किया था उन्हें टेस्ट के लिए 21 सितंबर को बुलाया गया है।
केस - 2
26 अगस्त को जागृति विहार निवासी अभिषेक त्यागी ने आवेदन किया उनका स्लाट 24 सितंबर को बुक हुआ है।
केस-3
केसरगंज के दुकानदार संदीप गुप्ता ने 28 अगस्त को आवेदन किया है उन्हें चार अक्टूबर की तिथि मिली है।
बताते चलें कि टेस्ट के बाद डाक्यूमेंट की प्रोसेसिंग आदि में दो दिन लग जाते हैं और उसके बाद ऑनलाइन ही लर्निग लाइसेंस जारी होता है। जिसे डाउनलोड कर वाहन चलाते समय अपने साथ रखना होता है।
अक्सर आती है समस्या
आरटीओ में लर्निग लाइसेंस की लंबी वेटिंग कोई नई समस्या नहीं है। बीच बीच में ऐसी स्थितियां आती रहती हैं। हालांकि इस समय न तो स्कूलों में सेशन ओपनिंग का समय है और नह ही लाइसेंस के लिए अधिक भीड़ है। यही नहीं वाहनों की बिक्री भी घटी हुई है। ऐसे में इतनी लंबी वेटिंग को लेकर आरटीओ में सक्रिय दलालों की भूमिका बतायी जा रही है। कई दलाल विभाग के अधिकारियों से सेटिंग कर जानबूझ कर लंबी वेटिंग करा देते हैं ताकि जिनको जरूरत है वह रिश्वत देकर लाइसेंस बनवाएं। इस तरह तुरतफुरत लाइसेंस बनवाने के लिए कई दलाल सक्रिय हैं। उधर, एआरटीओ प्रशासन श्वेता वर्मा ने कहा कि ऑनलाइन प्रक्रिया में दलालों का रोल पूरी तरह खत्म हो गया है। लर्निग लाइसेंस के लिए एक दिन में 150 लोगों के टेस्ट होते हैं। मांग इससे ज्यादा की है। इसलिए लंबी वेटिंग चल रही है।
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