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मोहर्रम की दस तारीख..शबीहे जुलजुनाह निकाल जंजीरों से किया मातम

मवाना में मोहर्रम की दस तारीख पर शुक्रवार को इमामबारगाहों में मजलिसें हुईं। प्रतिबंध के चलते सादगी से शबीहे जुलजनाह बरामद हुआ। मोहल्ला तिहाई में इमामबाड़े के पास सोगवारों ने जंजीरों से मातम कर खुद को लहुलुहान कर लिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 10:57 PM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 10:57 PM (IST)
मोहर्रम की दस तारीख..शबीहे जुलजुनाह निकाल जंजीरों से किया मातम
मोहर्रम की दस तारीख..शबीहे जुलजुनाह निकाल जंजीरों से किया मातम

मेरठ, जेएनएन। मवाना में मोहर्रम की दस तारीख पर शुक्रवार को इमामबारगाहों में मजलिसें हुईं। प्रतिबंध के चलते सादगी से शबीहे जुलजनाह बरामद हुआ। मोहल्ला तिहाई में इमामबाड़े के पास सोगवारों ने जंजीरों से मातम कर खुद को लहुलुहान कर लिया। उधर, शाम के समय कोविड प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए चंद सोगवारों ने मुबारिकपुर रोड स्थित कर्बला में जाकर ताजियों को सुपुर्दे खाक कर रस्म निभाई।

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आज योमे आशूरा मोहर्रम की दस तारीख को सभी अजाखानों में मजलिसें हुई। कदीमी मजलिस ईमाम बारगाह पंजेतनी शाहपुर गढ़ी में हुई। मजलिस के बाद नमाजे जुमा हुई और मजलिस के उपरांत शबीहे जुलजनाह बरामद हुआ। जिसकी सोगवारों ने जियारत की। सोगवारों ने जंजीरें से मातम कर खुद को लहुलुहान कर लिया। शाम पांच बजे सभी इमाम बारगाहों के ताजिए सादगी व शांतिपूर्ण ढंग से कोविड प्रोटोकाल के मद्देनजर मुबारिकपुर रोड स्थित कर्बला में सुपुर्दे खाक किए। सपा नेता कंबर जैदी व कासिम जैदी ने बताया कि कोविड प्रोटोकाल को ध्यान में रखकर ही मजलिस व अन्य आयोजन किया गया है।

पूर्व विधायक ने की जुलजनाह की दावत

मोहल्ला तिहाई में सपा पूर्व विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि ने जुलजनाह की दावत की। इस मौके पर कम्बर जैदी, कासिम जैदी, कामिल जैदी, हैदर जैदी, रियाज अकबर, नईम हैदर, कमाल हैदर, बिट्टन, टीटू जैदी, शौबी जैदी, अली अब्बास, ईरम, शबलू, राशिद जैदी, मुराद अली व बबलू आदि मौजूद रहे।

इमामबाड़ों में पहुंच की नोहाख्वानी : किठौर में शुक्रवार को ईसापुर गांव में कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर मोहर्रम के जुलूस से पूरी तरह परहेज रहा। सिर्फ चंद लोगों ने इमामबाड़ों में पहुंच नोहाख्वानी की।

इस्लामिक तवारीख के मुताबिक अरबी साल के पहले महीने मोहर्रम उलहराम की दस तारीख को इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद के नातियों हसन और हुसैन को मैदाने कर्बला में जंग के दौरान यजीद के द्वारा शहीद कर दिया गया था। तभी से मुस्लिम समाज इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाता है। बहुत से मुस्लिम मोहर्रम की दस और ग्यारह तारीख का रोजा भी रखते है, लेकिन शिया मुस्लिम प्रति वर्ष इस मौके पर ताजियादारी के साथ जुलूस निका शोक मनाते हैं। इस दौरान बस्ती से इमामबाड़ों तक या हुसैन की सदाएं गूंजती रहती हैं। नोहाख्वानी भी की जाती है। मगर इस बार पूर्व वर्ष की भांति कोरोना प्रकोप के मद्देनजर सरकारी आदेश के अनुपालन में जुलूस नहीं निकाला। बल्कि सिर्फ चंद लोगों घरों में एव छत से आमाल किए। चंद सोगवारों ने इमामबाड़े में पहुंचकर नोहाख्वानी की। रहीसुल, राजा •ौदी, मेहराज, शौकीन हसन आदि उपस्थित रहे।


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