अब मेडिकल कोर्स में मुश्किल होगी दाखिले की राह
एमबीबीएस में प्रवेश की प्रक्रिया बदल रही है। इस बार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नीट से ही मेडिकल एम्स और जिपमर में प्रवेश होंगे।
मेरठ, जेएनएन। एमबीबीएस में प्रवेश की प्रक्रिया बदल रही है। इस बार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नीट से ही मेडिकल, एम्स और जिपमर में प्रवेश होंगे। मेडिकल की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को पूरे साल में एक अवसर मिलेगा। इस बदलाव से मेडिकल की राह और मुश्किल होने वाली है। ऐसे में अभ्यर्थियों को और मेहनत करने की जरूरत है। अगले महीने नवंबर में नीट की अधिसूचना जारी होगी। मई 2020 में नीट की परीक्षा प्रस्तावित है। इसमें पूरे देश में मेडिकल की एक परीक्षा होगी। अभी तक अभ्यर्थी एक साल में मेडिकल की तीन परीक्षा देते थे। नीट, एम्स और जिपमर के माध्यम से एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश मिलता था। नीट के रैंक के आधार पर एएफएमसी में भी प्रवेश मिलता था। एम्स और जिपमर अलग-अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करते थे। एम्स में एमबीबीएस की 1207 सीट हैं। जिपमर में 200 सीट हैं। एम्स और जिपमर की परीक्षा पैटर्न में अंतर था। मेडिकल में इस साल से एक परीक्षा होने से छात्रों को अब ये विकल्प नहीं मिलेंगे। उन्हें एक ही परीक्षा में बैठना पड़ेगा। नीट में एम्स के शामिल होने से परीक्षा कठिन भी हो सकती है। मेरठ से पिछले सालों में मेडिकल की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले अभ्यर्थियों की मानें तो इससे छात्रों के सामने चुनौती बढ़ेगी। मेडिकल की तैयारी कराने वाले शिक्षक कर्मवीर सिंघल का कहना है कि एक परीक्षा होने से प्रश्नों का स्तर उच्च होगा। गंभीरता से तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह अच्छा होगा। --- मेडिकल शिक्षा के लिए बेहतर कदम नीट और एम्स अलग-अलग होने से छात्रों को सुविधा रहती थी। मेरी नीट में अच्छी रैंक नहीं आई थी, लेकिन एम्स में 31वां रैंक आने से एम्स में प्रवेश मिल गया। मेडिकल की एक परीक्षा होने से मेरे जैसे छात्रों को नुकसान हो सकता है। एम्स, नीट और जिपमर में पैटर्न अलग रहता था। एक परीक्षा होने से संभव है कि कठिनाई कम हो जाए। मेडिकल शिक्षा में अच्छे छात्र आएंगे। तुक्का लगाने वाले बाहर हो जाएंगे। पैटर्न बदलने के साथ एक साल में दो परीक्षा होनी चाहिए। हर्ष गुप्ता, एमबीबीएस प्रथम वर्ष, एम्स देवघर --- नीट का सेंटर मेरठ पड़ा था, परीक्षकों की वजह से मुझे पूरा समय नहीं मिल पाया। इसकी वजह से परीक्षा में तनाव की स्थिति रही। नीट में अच्छा नहीं कर पाया, लेकिन एम्स में मौका मिला और दाखिला मिला। मेडिकल में दो परीक्षा होने की वजह से यह हो पाया। अब एक साल में एक परीक्षा होने से अन्य अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिल पाएगा। एक पेपर होने से छात्रों को नुकसान होगा। हालांकि एक परीक्षा होने से परीक्षा में गड़बड़ी नहीं होगी। समकित, एमबीबीएस द्वितीय वर्ष, एम्स नागपुर