Move to Jagran APP

सफाई वाला: अब सफाई के बाद सैनिटाइजेशन कराना ही पड़ेगा और इसकी डिमांड जनता भी करेगी

अब कचरा उठाने नाले-नालियों की सफाई के बाद सैनिटाइजेशन कराना ही पड़ेगा और इसकी डिमांड जनता भी करेगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 05:47 PM (IST)
सफाई वाला: अब सफाई के बाद सैनिटाइजेशन कराना ही पड़ेगा और इसकी डिमांड जनता भी करेगी
सफाई वाला: अब सफाई के बाद सैनिटाइजेशन कराना ही पड़ेगा और इसकी डिमांड जनता भी करेगी

मेरठ, [दिलीप पटेल]। कोरोना महामारी ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि अब कचरे की सफाई के साथ-साथ सैनिटाइजेशन भी जरूरी रहेगा। नगर निगम में अभी तक इसके लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं था। केवल कचरा उठाने, झाड़ू लगाने, नाले-नालियों की सफाई करना ही स्वच्छता में शामिल था लेकिन अब नगर निगम को सैनिटाइजेशन के लिए बजट में प्रावधान करना होगा। अर्थात नगर निगम पर अतिरिक्त भार बढ़ गया है। वित्तीय व्यवस्था किस तरह की जाए, इसपर नगर निगम के अफसरों ने मंथन भी शुरू कर दिया है। दरअसल, सरकार ने भी संकेत दे दिया है कि कोरोना महामारी के साथ जीने की आदत डालनी होगी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सैनिटाइजेशन जरूरी है। अधिकारी यह मानकर चल रहे हैं कि अब कचरा उठाने, नाले-नालियों की सफाई के बाद सैनिटाइजेशन कराना ही पड़ेगा और इसकी डिमांड जनता भी करेगी।

loksabha election banner

लॉकडाउन से पहले नगर निगम में बैठकों का दौर शुरू होता था तो केवल स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर चर्चा होती थी। मॉडल सड़क, फुट ओवरब्रिज, डिजिटल लाइब्रेरी, नौंचदी हॉट बाजार न जाने कौन-कौन से प्रस्ताव तैयार किए गए थे लेकिन कोरोना महामारी ने एक झटके में सब बदल दिया। अब बैठकों में सैनिटाइजर, सफाई और निगम की आय बढ़ाने की चिंता व्यक्त की जाती है। कहते हैं कि समय बलवान होता है। यह दौर कोरोना से निपटने का है। नगर निगम अफसरों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर चर्चा की तो वह बोल पड़े कि अभी भूल जाइए। सब कुछ समय और बजट पर निर्भर है। प्रस्ताव तो भेजे जा चुके हैं, निर्णय सरकार को लेने हैं। अभी शहर को स्मार्ट बनने में भले समय लगे लेकिन इतना जरूर है कि सफाई की तस्वीर जरूर बदल गई है। लोगों ने सफाई के साथ रहना सीख लिया है।

नए साहब की खटारा गाड़ी

नगर निगम में नए सहायक साहब आए हैं, जिनको आने-जाने के लिए एम्बेसडर कार दी गई। साहब की पहली पो¨स्टग हैं। एम्बेसडर कार मिली तो शहर घूमने का मन बना लिया। चालक को बुलाया और निकल पड़े। साइकिल सी रफ्तार, हिलती ढुलती स्टेयरिंग देख साहब गाड़ी में ही पसीने-पसीने हो गए। कई ब्रेकर पार करने से पहले ही इंजन बंद हो गया। रास्ते भर दरवाजों ने कान पका दिए। फिर क्या था, कार की खूबियों से वाकिफ होते देर न लगी। गुस्साए साहब गेस्ट हाउस लौट गए और कार से हाथ जोड़ लिए। अपना दुखड़ा भी उच्च अधिकारियों से कह डाला। नए अफसर की बात सुनकर उच्च अधिकारियों को भी अपनी भूल का एहसास हुआ। कह दिया कि गेस्ट हाउस में ही गाड़ी खड़ी रखो। कुछ दिन दूसरे सहायक साहब के साथ चलो। नई गाड़ी दी जाएगी। अब उन्हें कौन बताए कि खजाना खाली है।

किसी काम को करने के लिए अगर मन में ठान लिया जाए और पूरी ईमानदारी से उसे किया जाए तो सफलता के अवसर बेहद बढ़ जाते हैं। कुछ ऐसी ही इच्छाशक्ति के साथ गांवड़ी में डंप कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम ने कदम बढ़ाए थे। नतीजा सामने है। कई लाख टन कचरे का पहाड़ समाप्त होने को है। शुरुआत में बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट का विरोध हुआ। राजनीतिक गलियारों में चर्चा हुई कि 70 लाख के प्लांट से क्या कचरा निस्तारित होगा। हालांकि नगर आयुक्त ने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई। तमाम विरोध के बावजूद वह अपने निर्णय पर अडिग रहे। विरोध परास्त हुआ और गांवड़ी कूड़ा निस्तारण प्लांट से अब नई उम्मीद जगी है। राजनीतिक गलियारे में भी एक विश्वास बढ़ा है। तभी सांसद ने चिट्टी लिखी है। गांवड़ी साफ हुआ अब लोहिया नगर में कचरे का पहाड़ साफ करो, यही इच्छाशक्ति शहर को स्वच्छ बनाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.