अब पर्यावरण को जहरीला नहीं कर पाएंगे कोल्हू, एनजीटी ने तय की ये गाइडलाइन
मुजफ्फरनगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 36 गुड़ भ_ियों को दिए नोटिस। कोल्हू संचालन की गाइडलाइन की कार्रवाई शुरू।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। सर्दी का मौसम शुरू होते ही कोल्हुओं की भ_ियां धुआं उगलने लगती हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोल्हू संचालन की गाइडलाइन तय की हैं। तमाम संसाधनों और मानकों को पूर्ण किए बिना इनका संचालन नहीं हो सकेगा। इसका मकसद पर्यावरण का प्रदूषण कम करना है।
आबादी के निकट हो रहा था संचालन
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बुढ़ाना क्षेत्र के साथ पूरे जिले में कोल्हू जैसी गुड़ भियों का निरीक्षण किया। इनमें कई अवैध रूप से आबादी के निकट चलती पाई गईं, जिनसे पर्यावरण को खतरा है। ऐसी 36 गुड़ भियों को नोटिस दिए हैं। इसे लेकर लोगों में आक्रोश था। इन्हें बंद कराने के लिए बुढ़ाना, जानसठ और सदर तहसील प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं।
ईंधन में होगा बैगास का इस्तेमाल
गन्ने पेराई के बाद निकलने वाले बैगास को इधर-उधर फेंकने के बजाय कोल्हू में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। मैली, भी की राख को कृषि भूमि में कंडीशनर के तौर पर प्रयोग करना होगा। इससे पर्यावरण और भू-गर्भ की स्थिति सुधरेगी। औसतन एक कोल्हू की भी और धुएं से पार्टिकुलैट मैटर 700 से 800 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर निकलती है। नए नियमों का पालन करा इसे 500 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर तक लाना होगा।
180 दिन पेराई करते हैं कोल्हू
जिले की खतौली, बुढ़ाना, सदर और जानसठ क्षेत्र में करीब 600 कोल्हू संचालित होते हों। कोल्हुओं पर पेराई अवधि 150 से 180 दिन होती है। इसके चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाइडलाइन को लेकर कार्रवाई में जुटा है।
इन्होंने बताया
जिलेभर में संचालित 36 36 गुड़ भ_ियों को नोटिस दिए हैं। इन्हें बंद कराया जाएगा। कोल्हूओं के संचालन को लेकर एनजीटी की गाइडलाइन पर भी कार्रवाई शुरू की गई है। शुरू हो चुके कोल्हुओं की जांच कराई जा रही है।
-अंकित सिंह, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, मुजफ्फरनगर