अब मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता भी कराएगा एएफआइ
एथलीट कभी बूढ़ा नहीं होता है। एथलीट्स में इसी भावना को जागृत रखने के लिए वर्ल्ड एथलेटिक मास्टर एथलेटिक की शुरूआत की थी।
मेरठ, जेएनएन। एथलीट कभी बूढ़ा नहीं होता है। एथलीट्स में इसी भावना को जागृत रखने के लिए वर्ल्ड एथलेटिक्स ने मास्टर एथलेटिक्स की शुरुआत की थी। समय के साथ इन प्रतियोगिताओं में गड़बड़ी शुरू हो गई। गड़बड़ी करने वाले लोगों से प्रतियोगिता को बचाने के लिए वर्ल्ड एथलेटिक्स ने एथलेटिक फेडरेशन आफ इंडिया को ही मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप आयोजित कराने की जिम्मेदारी दे दी है। इस कड़ी में एएफआइ के अंतर्गत पंजीकृत उत्तर प्रदेश एथलेटिक एसोसिएशन और जिला एथलेटिक एसोसिएशन मेरठ भी मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप आयोजित कराएगी।
35 के ऊपर वाले हैं मास्टर एथलीट
20 साल तक जूनियर और उसके ऊपर सीनियर एथलीट होते हैं। 30 से 35 साल तक अधिकतर एथलीट अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों से विदा ले लेते हैं। इसके बाद भी बहुत से ऐसे एथलीट होते हैं जो सक्रिय रहते हैं। 35 साल से ऊपर के एथलीट्स को मास्टर एथलीट की श्रेणी में रखा गया है। मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप में 35 साल से ऊपर पांच-पांच साल की आयु वर्ग का ग्रुप है जिनमें खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। इसमें अधिकतम आयु निर्धारित नहीं है। सौ साल से ऊपर के भी एथलीट हैं तो उनकी आयु के ग्रुप की प्रतिस्पर्धा होती है। इसमें शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखा जाता है। एथलेटिक के सभी इवेंट व नियम सामान्य एथलेटिक के ही समान होते हैं। उदाहरण के तौर पर डिस्कस हर आयु वर्ग के लिए दो किलो की ही होती है।
मेरठ में हैं कई मास्टर एथलीट
मास्टर एथलेटिक प्रतियोगिताओं में मेरठ के एथलीट बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं। 800 मीटर के धावक वीर पाल सिंह, 400 मीटर में रविद्र भराला, 5,000 मीटर के धावक धरम पाल सिंह, शाटपुट के नरेंद्र मलिक, 1500 मीटर के ओमबीर सिंह आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने एथलेटिक में मेरठ का नाम रोशन करने के बाद मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप में भी ढेरों पदक जीते। ऊंची कूद में स्व. विनोद कुमार का प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है।
हो गए थे कई संगठन
मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप आयोजन के लिए किसी को आधिकारिक जिम्मेदारी नहीं मिलने के कारण हिमाचल, जयपुर, कर्नाटक आदि मे कुछ लोगों ने मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप आयोजित करानी शुरू कर दी। दावा करने वाले अधिक होने के कारण एथलीट्स को पदक जीतने पर मिलने वाली पुरस्कार राशि भी मिलनी बंद हो गई। अब केवल एएफआइ ही इसका आयोजन करेगी और वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम को भेजेगी। वर्ल्ड चैंपियनशिप जून 2022 में फिनलैंड के टैंपर में होगी। इनका कहना-
मास्टर एथलेटिक की प्रतियोगिता हम पहले भी करा सकते थे लेकिन अब हमें इसका अधिकार मिल गया है। एक जगह पर एक ही खेल के लिए अलग-अलग संगठन बनाने की बजाय एएफआइ ने पंजीकृत संस्थाओं को जिम्मेदारी प्रदान की है। अब हम जिला स्तर की प्रतियोगिता कराकर टीम बनाएंगे जिससे प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर होते हुए एथलीट अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे।
-अनु कुमार, सचिव, जिला एथलेटिक संघ मेरठ