चिंताजनक : सालभर में एक भी दिन नसीब नहीं हुई शुद्ध हवा
यह बात भले चौंकाने वाली लगती हो लेकिन मेरठवासियों के लिए यह चिंता का बड़ा विषय है। सालभर में एक भी दिन शहरवासियों को शुद्ध हवा नसीब नहीं हुई।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 11:01 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 11:01 AM (IST)
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। यह बात भले ही हैरान करने वाली है और अटपटी भी लगती हो लेकिन यह सच है। मेरठवासियों को सालभर में एक भी दिन शुद्ध हवा नसीब नहीं हो सकी। जनवरी-18 से जनवरी-19 तक प्रदूषण मानकों से डेढ़ गुना तक रहा। इस दरम्यान एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब शहर की हवा सांस लेने लायक रही हो। इतने ज्यादा प्रदूषण में सामान्य व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। अस्थमा और श्वांस रोगियों के लिए यह स्थिति गंभीर है। जनवरी 2019 के जारी आंकड़ों में गत वर्ष जनवरी की तुलना में एयर क्वालिटी इंडेक्स 20 प्रतिशत बढ़ा हुआ है।
एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम से जांची हवा
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय द्वारा केसर गंज और बेगमपुल में एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम लगाए हैं। दोनो स्थानों पर हर तीसरे दिन प्रदूषण का स्तर मापा जाता है। बोर्ड द्वारा एक जनवरी-18 से 31 जनवरी-19 तक जारी आंकड़ों में पीएम-10 का स्तर मानक से डेढ़ गुना रहा है। सीपीसीबी के मानकों में पीएम-10 स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि इस दरम्यान किसी भी दिन पीएम 160.4 से कम नहीं रहा।
22 फरवरी-18 को रही शुद्ध हवा
सबसे शुद्ध हवा 22 फरवरी-18 को (एक्यूआइ 140 और पीएम-10, 160.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) रही। सबसे अधिक प्रदूषित हवा 19 नवंबर-18 को (पीएम-10 का स्तर 230) रही। यहां तक कि बारिश के सीजन में भी हवा की गुणवत्ता औसतन खराब रही।
ऐसे लिया जाता है प्रदूषण का आंकड़ा
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा मैनुअली डाटा कलेक्शन किया जाता है। एक दिन बेगम पुल और उसके अगले दिन केसर गंज से डाटा लिया जाता है। मशीनों में लगने वाला फिल्टर पेपर आठ-आठ घंटे के अंतराल पर बदला जाता है। इसका प्रयोगशाला विश्लेषण कर वातावरण में 24 घंटों के अंतराल में पीएम 10, एसओटू, एनओटू की औसत मात्र का आकलन करते हैं। इन आंकड़ों का सामूहिक एनालिसिस कर एयर क्वालिटी इंडेक्स निकाला जाता है।
आंकड़ों में पीएम 2.5 का जिक्र नहीं
सरकार जन-जागरूकता के लिए सरकार वायु प्रदूषण की पल-पल की जानकारी उपलब्ध करा रही है लेकिन स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय के अधिकारी ये आंकड़े उजागर करने से बचते हैं। मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में प्रदूषण के सबसे खतरनाक अवयव पीएम 2.5 को बताया जा रहा है लेकिन मेरठ का कार्यालय यह आंकड़ा नहीं दे रहा है। डेटा एनालिस करने वाले वैज्ञानिक डा.योगेंद्र से फोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
स्वाइन फ्लू रोगियों के लिए घातक है बढ़ता प्रदूषण
शहर के सैकड़ों लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं। कुछ काल के गाल में जा चुके हैं। वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनिल कुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस सबसे पहले नाक और गले पर और अंत में फेफड़ों पर अटैक करता है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के चलते हवा में आक्सीजन की कमी और दूषित गैसों की मात्र बढ़ जाती है। पीएम-10 और प्रदूषित गैसें सांस के जरिए शरीर के अंदरूनी अंगों में जमा होती रहती हैं। स्वाइन फ्लू के मरीज को पहले सांस लेने में तकलीफ होती है। प्रदूषण के चलते आक्सीजन की मात्र कम होने से स्थिति और बिगड़ जाती है। डा. अनिल का कहना है, स्वाइन फ्लू से प्रभावित व्यक्ति को बुखार कम करने के लिए बिना चिकित्सक की सलाह के एंटीबायोटिक दवा नहीं लेनी चाहिए।
इनका कहना है
खराब सड़कें,जाम और बढ़ते वाहन प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह हैं। अचानक मौसम में बदलाव से हवा की दिशा और गति में आने वाला परिवर्तन भी प्रदूषण बढ़ाने में भूमिका निभा रहा है।
- आरके त्यागी,क्षेत्रीय अधिकारी,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम से जांची हवा
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय द्वारा केसर गंज और बेगमपुल में एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम लगाए हैं। दोनो स्थानों पर हर तीसरे दिन प्रदूषण का स्तर मापा जाता है। बोर्ड द्वारा एक जनवरी-18 से 31 जनवरी-19 तक जारी आंकड़ों में पीएम-10 का स्तर मानक से डेढ़ गुना रहा है। सीपीसीबी के मानकों में पीएम-10 स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि इस दरम्यान किसी भी दिन पीएम 160.4 से कम नहीं रहा।
22 फरवरी-18 को रही शुद्ध हवा
सबसे शुद्ध हवा 22 फरवरी-18 को (एक्यूआइ 140 और पीएम-10, 160.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) रही। सबसे अधिक प्रदूषित हवा 19 नवंबर-18 को (पीएम-10 का स्तर 230) रही। यहां तक कि बारिश के सीजन में भी हवा की गुणवत्ता औसतन खराब रही।
ऐसे लिया जाता है प्रदूषण का आंकड़ा
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा मैनुअली डाटा कलेक्शन किया जाता है। एक दिन बेगम पुल और उसके अगले दिन केसर गंज से डाटा लिया जाता है। मशीनों में लगने वाला फिल्टर पेपर आठ-आठ घंटे के अंतराल पर बदला जाता है। इसका प्रयोगशाला विश्लेषण कर वातावरण में 24 घंटों के अंतराल में पीएम 10, एसओटू, एनओटू की औसत मात्र का आकलन करते हैं। इन आंकड़ों का सामूहिक एनालिसिस कर एयर क्वालिटी इंडेक्स निकाला जाता है।
आंकड़ों में पीएम 2.5 का जिक्र नहीं
सरकार जन-जागरूकता के लिए सरकार वायु प्रदूषण की पल-पल की जानकारी उपलब्ध करा रही है लेकिन स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय के अधिकारी ये आंकड़े उजागर करने से बचते हैं। मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में प्रदूषण के सबसे खतरनाक अवयव पीएम 2.5 को बताया जा रहा है लेकिन मेरठ का कार्यालय यह आंकड़ा नहीं दे रहा है। डेटा एनालिस करने वाले वैज्ञानिक डा.योगेंद्र से फोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
स्वाइन फ्लू रोगियों के लिए घातक है बढ़ता प्रदूषण
शहर के सैकड़ों लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं। कुछ काल के गाल में जा चुके हैं। वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनिल कुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस सबसे पहले नाक और गले पर और अंत में फेफड़ों पर अटैक करता है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के चलते हवा में आक्सीजन की कमी और दूषित गैसों की मात्र बढ़ जाती है। पीएम-10 और प्रदूषित गैसें सांस के जरिए शरीर के अंदरूनी अंगों में जमा होती रहती हैं। स्वाइन फ्लू के मरीज को पहले सांस लेने में तकलीफ होती है। प्रदूषण के चलते आक्सीजन की मात्र कम होने से स्थिति और बिगड़ जाती है। डा. अनिल का कहना है, स्वाइन फ्लू से प्रभावित व्यक्ति को बुखार कम करने के लिए बिना चिकित्सक की सलाह के एंटीबायोटिक दवा नहीं लेनी चाहिए।
इनका कहना है
खराब सड़कें,जाम और बढ़ते वाहन प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह हैं। अचानक मौसम में बदलाव से हवा की दिशा और गति में आने वाला परिवर्तन भी प्रदूषण बढ़ाने में भूमिका निभा रहा है।
- आरके त्यागी,क्षेत्रीय अधिकारी,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें