एक का भी इलाज नहीं..ऐसे शुरू हुआ है आयुष्मान भारत
आयुष्मान भारत योजना को लांच हुए चार दिन हो गए हैं लेकिन मेरठ में अभी तक इस योजना के तहत एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 01:22 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 01:35 PM (IST)
मेरठ (संतोष शुक्ल)। एक योजना जो ढाई लाख लोगों के मुफ्त इलाज का तोहफा लेकर आई है, वह शुरू के तीन दिनों में एक भी मरीज नहीं बुला सकी। छह सरकारी एवं दर्जनभर प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान भारत की डेस्क सूनी पड़ी मिलीं। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर कंप्यूटर एवं साफ्टवेयर तक उपलब्ध नहीं हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने का हश्र है, जिसे पूरी दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्र की एक बड़ी क्रांति कहा जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने दिया था तोहफा
मेडिकल कालेज में 23 सितंबर को केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ढाई लाख लोगों को मुफ्त इलाज का तोहफा दिया। तीन दिन बीतने के बावजूद मेडिकल कालेज समेत 18 अस्पतालों में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ जबकि इसे लेकर प्रशासन तीन माह से तैयारी कर रहा था। 2011 की जनगणना के आधार पर जिले से करीब ढाई लाख पात्रों को छांटा गया। ताबड़तोड़ बैठकों के साथ स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया गया। 18 अस्पतालों में आयुष्मान मित्रों की नियुक्तियां की गईं। इन सभी केंद्रों पर एक कंप्यूटर, बायोमीटिक मशीन एवं अन्य संसाधन दिए जाने थे।
निजी अस्पतालों में भी नहीं पहुंचे मरीज
केएमसी, लोकप्रिय, आनंद अस्पताल, अजय, यशलोक एवं संतोष समेत तमाम अस्पताल पैनल में शामिल हैं, किंतु मंगलवार तक यहां भी कोई मरीज नहीं पहुंचा। मरीज समझ नहीं पा रहे कि उन्हें पहले सरकारी केंद्र पर जाना है या प्राइवेट पर। अस्पतालों की मानें तो प्रशासन इस योजना का प्रचार-प्रसार ठीक से नहीं कर सका, इसीलिए मरीज नहीं पहुंचे।
सरकारी केंद्रों में तो कुछ भी नहीं
दावा है कि पंजीकृत हर मरीज को 30 मिनट में इलाज मिलेगा। इसके लिए मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल, डफरिन महिला अस्पताल व ग्रामीण क्षेत्रों में सरधना, मवाना एवं दौराला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल की गई। तीनों सीएचसी में कंप्यूटर व साफ्टवेयर ही उपलब्ध नहीं हैं। मरीज दिनभर पूछताछ के लिए पहुंचते रहे, किंतु उन्हें कार्ड एवं इलाज कुछ नहीं मिला। स्टाफ कायाकल्प पुरस्कार के लिए व्यस्त रहा।
सरकार दस फीसद अतिरिक्त शुल्क देगी
एनएबीएच सर्टिफिकेट वाले अस्पतालों को सरकार दस फीसद अतिरिक्त शुल्क देने को तैयार है। निजी अस्पतालों को लुभाने के लिए नई रेट लिस्ट जारी की गई है, जिसमें तमाम रोगों के लिए सरकार 1.60 लाख रुपए तक भुगतान करेगी।
इन्होंने कहा
जेम पोर्टल से कंप्यूटर खरीदे गए, जिसकी डिलीवरी देर से मिली। सीएचसी पर पूरे उपकरण इंस्टाल नहीं किए जा सके हैं। अन्य स्थानों पर साफ्टवेयर में गड़बड़ी आ गई थी। इसी सप्ताह योजना लय में आ जाएगी।
-डा. पूजा शर्मा, डिप्टी सीएमओ
जनोपयोगी योजना के साथ हैं, किंतु सरकार पूरी जिम्मेदारी से इसे लागू करे तो बेहतर। सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों के लिए रेट लिस्ट में संशोधन किया गया, जो अच्छा है। तीन दिन बाद भी मरीज को अपनी योजना का पता नहीं है।
-डा. सुनील गुप्ता, निदेशक, केएमसी
केंद्रीय मंत्री ने दिया था तोहफा
मेडिकल कालेज में 23 सितंबर को केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ढाई लाख लोगों को मुफ्त इलाज का तोहफा दिया। तीन दिन बीतने के बावजूद मेडिकल कालेज समेत 18 अस्पतालों में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ जबकि इसे लेकर प्रशासन तीन माह से तैयारी कर रहा था। 2011 की जनगणना के आधार पर जिले से करीब ढाई लाख पात्रों को छांटा गया। ताबड़तोड़ बैठकों के साथ स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया गया। 18 अस्पतालों में आयुष्मान मित्रों की नियुक्तियां की गईं। इन सभी केंद्रों पर एक कंप्यूटर, बायोमीटिक मशीन एवं अन्य संसाधन दिए जाने थे।
निजी अस्पतालों में भी नहीं पहुंचे मरीज
केएमसी, लोकप्रिय, आनंद अस्पताल, अजय, यशलोक एवं संतोष समेत तमाम अस्पताल पैनल में शामिल हैं, किंतु मंगलवार तक यहां भी कोई मरीज नहीं पहुंचा। मरीज समझ नहीं पा रहे कि उन्हें पहले सरकारी केंद्र पर जाना है या प्राइवेट पर। अस्पतालों की मानें तो प्रशासन इस योजना का प्रचार-प्रसार ठीक से नहीं कर सका, इसीलिए मरीज नहीं पहुंचे।
सरकारी केंद्रों में तो कुछ भी नहीं
दावा है कि पंजीकृत हर मरीज को 30 मिनट में इलाज मिलेगा। इसके लिए मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल, डफरिन महिला अस्पताल व ग्रामीण क्षेत्रों में सरधना, मवाना एवं दौराला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल की गई। तीनों सीएचसी में कंप्यूटर व साफ्टवेयर ही उपलब्ध नहीं हैं। मरीज दिनभर पूछताछ के लिए पहुंचते रहे, किंतु उन्हें कार्ड एवं इलाज कुछ नहीं मिला। स्टाफ कायाकल्प पुरस्कार के लिए व्यस्त रहा।
सरकार दस फीसद अतिरिक्त शुल्क देगी
एनएबीएच सर्टिफिकेट वाले अस्पतालों को सरकार दस फीसद अतिरिक्त शुल्क देने को तैयार है। निजी अस्पतालों को लुभाने के लिए नई रेट लिस्ट जारी की गई है, जिसमें तमाम रोगों के लिए सरकार 1.60 लाख रुपए तक भुगतान करेगी।
इन्होंने कहा
जेम पोर्टल से कंप्यूटर खरीदे गए, जिसकी डिलीवरी देर से मिली। सीएचसी पर पूरे उपकरण इंस्टाल नहीं किए जा सके हैं। अन्य स्थानों पर साफ्टवेयर में गड़बड़ी आ गई थी। इसी सप्ताह योजना लय में आ जाएगी।
-डा. पूजा शर्मा, डिप्टी सीएमओ
जनोपयोगी योजना के साथ हैं, किंतु सरकार पूरी जिम्मेदारी से इसे लागू करे तो बेहतर। सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों के लिए रेट लिस्ट में संशोधन किया गया, जो अच्छा है। तीन दिन बाद भी मरीज को अपनी योजना का पता नहीं है।
-डा. सुनील गुप्ता, निदेशक, केएमसी
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