चार्जशीट न एफआर... दो अप्रैल की हिंसा के आरोपितों को चुनावी राहत
दो अप्रैल को हुई हिंसा में लोकसभा चुनाव तक चार्जशीट, एफआर आदि कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है। यह चुनावी राहत है जो शासन की तरफ से दी गई है।
मेरठ (जेएनएन)। एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन के विरोध में दो अप्रैल को हुई हिंसा के मुकदमों में नामजद अभियुक्तों को चुनावी राहत मिल गई है। शासन से आए एक आदेश के अनुसार, इन मुकदमों में लोकसभा चुनाव समाप्ति तक न तो एफआर लगेगी और न ही चार्जशीट जाएगी। विवेचना लंबित रखी जाएगी। वहीं, अपनी बेगुनाही का सबूत देने वाले का नाम जांच करके निकाला जाएगा। बता दें कि सभी मुकदमों में अनुसूचित जाति के लोगों को नामजद किया गया था।
करोड़ों की क्षति हुई थी
दो अप्रैल को हुई हिंसा में करोड़ों रुपये की क्षति हुई थी। कचहरी में चली गोलियों में एक युवक की जान भी चली गई थी। हिंसा को लेकर जिले के अलग-अलग थानों में मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि लखनऊ से आए एक आदेश में कहा गया है कि क्राइम ब्रांच जिन हिंसा के मुकदमों की जांच कर रही है, उनकी जांच को आगे न बढ़ाया जाए। किसी की गिरफ्तारी न की जाए और न ही कोर्ट में चार्जशीट जाए। वहीं, एक्सपंज या फिर एफआर लगाने के भी आदेश नहीं है। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव तक इन मुकदमों को ऐसे ही रखना होगा। इससे साफ है कि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने के लिए यह कदम उठाया है।
योगेश वर्मा भी हुए थे 13 मुकदमों में नामजद
बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा के खिलाफ 13 मुकदमे अलग अलग थानों में दर्ज हुए थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने ही हिंसा कराई है। इसलिए उन पर रासुका भी लगाई गई थी। जेल भी भेजा गया था। मुकदमों में तो उन्हें जमानत मिली ही। हाईकोर्ट ने अब रासुका को भी हटा दिया है।
क्या इसलिए ही भेजा गया इन एसपी को
एएसपी डॉक्टर बीपी अशोक को जब एसपी क्राइम मेरठ बनाया गया तो जोरों से चर्चा थी कि इन्हें मुकदमे खत्म करने के लिए भेजा गया है। अब खुलकर सामने आ गया है कि एसपी क्राइम को इन मुकदमों की जांच ज्यों की त्यों रखने के लिए भेजा गया है।
इन्होंने कहा
इन मुकदमों की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। साक्ष्य जुटाने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-अखिलेश कुमार, एसएसपी