Move to Jagran APP

पश्चिमी उप्र में बेंच की मांग को लेकर क्‍या कहते हैं बार काउंसिल ऑफ यूपी के नवनिर्वाचित चेयरमैन? पढ़े पूरी रिपोर्ट

बार काउंसिल ऑफ यूपी के नवनिर्वाचित चेयरमैन रोहिताश्व कुमार अग्रवाल से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि बेंच के लिए जरूरत पड़ी तो मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:28 PM (IST)
पश्चिमी उप्र में बेंच की मांग को लेकर क्‍या कहते हैं बार काउंसिल ऑफ यूपी के नवनिर्वाचित चेयरमैन? पढ़े पूरी रिपोर्ट
पश्चिमी उप्र में बेंच की मांग को लेकर क्‍या कहते हैं बार काउंसिल ऑफ यूपी के नवनिर्वाचित चेयरमैन? पढ़े पूरी रिपोर्ट

राजेंद्र शर्मा, मेरठ। बार काउंसिल ऑफ यूपी के नवनिर्वाचित चेयरमैन रोहिताश्व कुमार अग्रवाल का कहना है कि पश्चिमी उप्र में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए चेयरमैन बनने के बाद भी उनका संघर्ष पहले की तरह ही जारी रहेगा। बेंच आंदोलन को जन-जन तक ले जाकर अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। पश्चिमी उप्र की जनता के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। जनता को सस्ता व सुलभ न्याय नहीं मिल पा रहा है। अपने मामलों की सुनवाई के लिए लोगों को सैकड़ों किमी की यात्रा कर परेशानी सहनी पड़ती है। दूसरी बार चेयरमैन बने रोहिताश्व अग्रवाल ने को जागरण संवाददाता राजेंद्र शर्मा से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

loksabha election banner

- हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उप्र के अध्यक्ष रहते हुए आपने पश्चिम में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को प्रमुखता से उठाया था। क्या चेयरमैन बनने के बाद भी पश्चिम में बेंच की स्थापना के लिए प्रयास करेंगे?

मेरठ बार एसोसिएशन का अध्यक्ष होने के नाते पांच बार केंद्रीय संघर्ष समिति का अध्यक्ष रहा। इस दौरान बेंच की लड़ाई कोमजबूती से लड़ा। हड़ताल कर कार्य बहिष्कार किया। कानून मंत्री व गृहमंत्री तक से मिले। संसद में मामला उठा। अब भी बेंच के लिए मजबूती से लड़ेंगे और अंजाम तक पहुंचाएंगे।

- इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़े अधिवक्ता पश्चिमी उप्र में बेंच की स्थापना का विरोध करते रहे हैं। ऐसे में आप उन्हें कैसे मनाएंगे?

हम इलाहाबाद के अधिवक्ताओं को विरोध करने से नहीं रोक सकते, लेकिन अपनी मांग को तो उचित स्थान तक पहुंचा सकते हैं। पश्चिम में बेंच की स्थापना के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। यह अधिवक्ताओं की नहीं, पूरे पश्चिमी उप्र की जनता की लड़ाई है। हम बेंच के लिए फिरअभियान चलाएंगे। बिना हड़ताल के यह जन -जन तक पहुंचेगा। जनता को यह बताया जाएगा कि बेंच की स्थापना क्यों जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने पश्चिमी उप्र में बेंच की स्थापना के मामले पर पूर्व में कहा है कि यह न्यायपालिका से संबंधित मामला है। क्या आप हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे। 

बेंच स्थापना को लेकर पहले भी कई बार स्थिति साफ हो चुकी है। जसवंत सिंह आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट दी थी। केवल आगरा एवं मेरठ में स्थान विवाद के चलते यह नहीं हो पाया। बेंच के लिए हाईकोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखना पड़ा तो लिखेंगे। जरूरत पड़ी तो उनसे मुलाकात भी की जाएगी।

माना जा रहा है कि पश्चिमी उप्र में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना बिना प्रधानमंत्री की पहल के संभव नहीं है। क्या प्रधानमंत्री से मिलने का प्रयास करेंगे?

उत्तर प्रदेश, बिहार व जम्मू-कश्मीर ऐसे राज्य हैं, जहां बेंच की स्थापना के लिए किसी प्रस्ताव आदि की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार सीधे ही बेंच की घोषणा कर सकती है। पश्चिमी उप्र में बेंच की स्थापना के लिए वह कानून मंत्री, गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे। हमारा प्रयास होगा कि हर हाल में बेंच की स्थापना हो।

कोरोनाकाल में क्या युवा अधिवक्ताओं की मदद के लिए भी कोई पहल करेंगे?

कोरोना के चलते अधिवक्ताओं के समक्ष वास्तव में विकट स्थिति आई है। केवल युवा ही नहीं अन्य अधिवक्ता भी परेशानी में हैं। अधिवक्ताओं की 250-300 करोड़ की धनराशि न्यासी समिति के पास है। अधिवक्ताओं की मदद के लिए जमा चल रहे इस फंड को सरकार से रिलीज कराया जाएगा। मदद के लिए अन्य प्रयास भी किए जाएंगे। बीमार अधिवक्ताओं की आर्थिक मदद भी की जाएगी।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.