Fight Against Corona: नई एंटीबायोटिक रोक सकती है कोविड मरीजों में साइटोकाइन स्टार्म, मेरठ में दी जाएगी यह दवा
कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर मेडिकल साइंस में कारगर प्रयोग हुए। प्लाज्मा थेरपी ने जहां कई की जिंदगी बचा ली वहीं इबोला की दवा रेमिडीसीवीर भी मरीजों को वेंटीलेटर से बचा रही है।
मेरठ, जेएनएन। Fight Against Corona कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर मेडिकल साइंस में कारगर प्रयोग हुए। प्लाज्मा थेरपी ने जहां कई लोगों की जिंदगी बचा ली, वहीं इबोला की दवा रेमिडीसीवीर भी मरीजों को वेंटीलेटर पर जाने से बचा रही है। इसी बीच, शासन ने एक एंटीबायोटिक दवा के प्रयोग को हरी झंडी दी है, जो जल्द ही मेडिकल कालेज में उपलब्ध होगी। चिकित्सकों ने बताया कि ये दवा मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली के ज्यादा एक्टिव होने यानी साइटोकाइन स्टार्म को रोकती है, जिससे गंभीर मरीज मल्टी आर्गन फेल्योर से बच सकेंगे।
कोविड वार्ड के प्रभारी डा. सुधीर राठी ने बताया कि टोसिलीजूमैब नामक एंटीबायोटिक दवा लखनऊ के पीजीआई और केजीएमयू में दी जा रही हैं। शासन को पत्र लिखकर इस दवा की मांग की गई है। जल्द ही यह दवा मेडिकल कालेज के कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। हालांकि कई शोधों में यह दवा कोविड मरीजों में निमोनिया रोकने में फेल मिल रही है। किंतु साइटोकाइन स्टार्म रोकने में इसका प्रभाव बेहतर बताया जा रहा है। डाक्टरों ने बताया कि इलाज के प्रोटोकाल में कई बदलाव किए गए हैं। कई दवाएं शामिल कर हटाई भी गईं।
खासकर, टेमीफ्लू और एड्स की दवाओं का प्रयोग रोक दिया गया है। उधर, इस समय मेडिकल कालेज में 12 मरीज रेमिडीसीवीर पर हैं, जिसकी कीमत करीब 40 हजार रुपए है। इस इंजेक्शन को मरीजों को खरीदना पड़ रहा है। डा. राठी ने बताया कि सामान्य यानी लक्षण रहित मरीजों को कोई दवा देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन गले में दर्द और बुखार पर एजिथ्रोमाइसीन, और पैरासिटामाल दिया जा रहा। अब रेमिडीसीवीर के साथ टोसिलीजूमैब दवा का भी इंतजार है।