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सीसीएसयू मेरठ: दीक्षा समारोह के दौरान की जाने वाली इन गतिविधियों पर उठ रहे तरह-तरह के सवाल

विश्‍वविद्यालय में छात्रों की पढ़ाई पूरी होने के बाद दीक्षा समारोह किया जाता है जिसमें छात्र- छात्राओं को दीक्षा के साथ पदक भी प्रदान किया जाता है लेकिन दीक्षा समारोह के दौरान कई तरह की गतिविधियां इस समारोह को बोझिल बनाने के साथ औपनिवेशिक काल की याद भी दिलाती हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 12:47 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 12:47 PM (IST)
सीसीएसयू मेरठ: दीक्षा समारोह के दौरान की जाने वाली इन गतिविधियों पर उठ रहे तरह-तरह के सवाल
विश्‍वविद्यालय में छात्रों की पढ़ाई पूरी होने के बाद दीक्षा समारोह किया जाता है।

मेरठ, जेएनएन। हर विश्‍वविद्यालय में छात्रों की पढ़ाई पूरी होने के बाद दीक्षा समारोह किया जाता है, जिसमें छात्र- छात्राओं को दीक्षा के साथ पदक भी प्रदान किया जाता है, लेकिन दीक्षा समारोह के दौरान कई तरह की गतिविधियां इस समारोह को बोझिल बनाने के साथ औपनिवेशिक काल की याद भी दिलाती हैं। खासकर दीक्षा के दौरान पहने जाने वाले गाउन को लेकर आपत्‍ति उठाई जाती है। ऐसी आपत्‍ति सतपुरुष बाबा फुलसंदे ने दर्ज कराया है। जिसमें उन्‍होंने प्रदेश के सभी कुलपतियों से दीक्षा की चाल बदलते हुए इसे भारतीय संस्‍कृति से जोड़ने की अपील भी की है।

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23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय का दीक्षा समारोह है। दीक्षा समारोह में पहले छात्र- छात्राएं गाउन पहनते थे, लेकिर तत्‍कालीन राज्‍यपाल और कुलाधिपति रामनाईक ने गाउन की जगह पर पटका पहनने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद भी अभी पटका और दीक्षा समारोह की और औपचारिकता बोझिल है। जिसे लेकर बिजनौर के रहने वाले सतपुरुष बाबा फुलसंदे ने सभी कुलपतियों से अपील की है कि वह दीक्षा में भारतीय संस्‍कृति को तरजीह दें। जिसमें उनकी सलाह है कि विवि के कुलपति और कुलाधिपति स्‍वदेशी तिरंगे वस्‍त्रों व मस्‍तक पर तिलक कर मेधावियों को वैदिक रीति से दीक्षा समारोह कराएं। विदेशी मानसिकता के प्रतीक गाउन को हटाए। सुबह हवन कर छात्र- छात्राओं को दीक्षा दिलाएं। इससे छात्रों को एक सकारात्‍मक संदेश भी मिलेगा।

संगीत में महारत लिए हैं सतपुरुष

सतपुरुष बाबा फुलसंदे ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से संगीत गायन में परास्‍नातक की डिग्री हासिल की है। राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर हिंदी, वेद, ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। भगवान शिव की रुद्रवीणा पर दैनिक गायन भी करते हैं। आध्‍यात्‍मिक चिंतन के तौर पर वह देश के अलग अलग जगह पर प्रवचन भी करते हैं।


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