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प्रदूषण से देश में सर्वाधिक शिशुओं की जान गंवा रहा है यह राज्‍य, इस तरह घुट रही सांस

यूपी में हर तीन मिनट में एक शिशु की मौत। पीएम-2.5 भी बना रहा महामारी। श्वसन तंत्र में संक्रमण से केरल से 25 गुना बच्चे यूपी में मर चुके हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 05:20 PM (IST)
प्रदूषण से देश में सर्वाधिक शिशुओं की जान गंवा रहा है यह राज्‍य, इस तरह घुट रही सांस
प्रदूषण से देश में सर्वाधिक शिशुओं की जान गंवा रहा है यह राज्‍य, इस तरह घुट रही सांस

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। नई दिल्ली-एनसीआर में हर तीन मिनट में एक शिशु की मौत...यह भयावह आंकड़ा है। फेफड़ों के निचले भाग में संक्रमण से बड़ी संख्या में शिशुओं की जान गई। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च और ग्लोबल बर्डेन आफ डिसीज की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में फेफड़ों के संक्रमण से प्रति लाख पांच वर्ष तक के 110 से ज्यादा शिशुओं की मौत हुई। वायु प्रदूषण से देश में सर्वाधिक मौतें उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई हैं।

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प्रदूषण का प्रभाव

नई दिल्ली में सेंटर फार साइंस एंड इन्वायरमेंट ने गाजियाबाद, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गुरुग्राम जैसे शहरों में वायु प्रदूषण के प्रभावों का आंकड़ा बनाया। 20 दिसंबर को नई दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में पर्यावरण विशेषज्ञों ने प्रजेंटेशन दिया। आइसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से ज्यादा पीएम-1 और पीएम-2.5 से शिशुओं के निचले श्वसन तंत्र में संक्रमण हुआ। बच्चों में एक्यूट ब्रांकाइटिस, ब्रांकाइटिस और निमोनिया में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 0-5 वर्ष और 5-14 वर्ष की उम्र के बच्चों की मौत में फेफड़े के निचले हिस्से का संक्रमण बड़ी वजह है।

क्यों है बच्चों की सेहत पर रिस्क

  1. बच्चे वयस्कों की तुलना में दो गुना तेजी से सांस लेते हैं, जिससे प्रदूषण सीधे उनके फेफड़ों में पहुंचता है। पीएम2.5 फेफड़ों में चिपककर एलर्जी और सूजन बनाता है
  2. पीएम1 बाल से 70 गुना, जबकि पीएम2.5 बाल से 40 गुना बारीक होता है। ये रक्त कोशिकाओं में पहुंच जाते हैं। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उनमें निमोनिया, पल्मोनरी हैपरटेंशन जैसी बीमारियां जल्द पकड़ती हैं।
  3. बच्चों के फेफड़े ज्यादा नाजुक और बढ़ने की अवस्था मे होते हैं। प्रदूषण की वजह से 18 वर्ष की उम्र तक यूरोपीय बच्चों की तुलना में 20 फीसद छोटा रह जाता है

17 साल में नहीं रुक रहा फेफड़ों का संक्रमण

पांच वर्ष तक के शिशुओं की मौत में डायरिया, निमोनिया, मलेरिया, खसरा, मेनेंजाइटिस, पैदाइशी बीमारी बड़ी वजह है। किंतु नई शोध रिपोर्ट में श्वसन तंत्र के निचले हिस्सों में संक्रमण बड़ा कारण मिला। 2010 से 2018 के बीच डायरिया में 17 फीसद, वहीं लंग्स संक्रमण में सिर्फ 13 फीसद गिरावट रही।

फेफड़ों के संक्रमण से मौत का आंकड़ा

प्रदेश प्रति लाख में 0-5 वर्ष के कितने शिशुओं की मौत

उत्तर प्रदेश            -111.58

उत्तराखंड              -36.35

बिहार                    -105.95

पंजाब                   -39.55

हरियाणा              -56.44

असम                  -78.53

दिल्ली                 -41.81

गुजरात               -39.16

मध्य प्रदेश         -85.55

तमिलनाडु         -9.94

केरल-4.38

बाहरी प्रदूषण में घुटी सांस

प्रदेश बाहरी प्रदूषण से मौत-प्रति एक लाख में

उत्तर प्रदेश              72.66

राजस्थान                67.47

बिहार                     59.63

दिल्ली                  41.62

पंजाब                 30.14

उत्तराखंड             29.82

जम्मू कश्मीर         34.73

मध्य प्रदेश           35.6

तमिलनाडु            6.85

केरल                1.97

इनका कहना है

वायु प्रदूषण से सर्वाधिक मौतें यूपी और राजस्थान में दर्ज हुई हैं। यूपी में पांच वर्ष तक की उम्र में एक लाख में 111 शिशुओं की जान चली गई। श्वसन तंत्र के निचले हिस्से में संक्रमण से प्रति तीन मिनट में एक शिशु की मौत हो रही है।

-डा. अनुरिता राय चौधरी, वैज्ञानिक, सेंटर फार साइंस एंड इन्वायरमेंट  


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