मेडिकल में सिजेरियन तो डफरीन में सामान्य प्रसव हो रहे ज्यादा Meerut News
प्रसव के मामले में शहर के दो बड़े सरकारी चिकित्सा केंद्रों के आंकड़े काबिले-गौर हैं। मेडिकल कॉलेज में सिजेरियन प्रसव ज्यादा हो रहे हैं वहीं डफरिन में नार्मल डिलीवरी ज्यादा हुईं।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। नार्मल डिलीवरी मां और शिशु दोनों के लिए बेहतर है, लेकिन अब सिजेरियन प्रसव का चलन बढ़ता जा रहा है। कुछ दंपती भी मुहूर्त देखकर सिजेरियन प्रसव कराने को तैयार रहते हैं, तो कुछ चिकित्सकों पर भी बच्चे या मां को खतरा बताकर सिजेरियन का दबाव बनाने के मामले सामने आते हैं। इस सबके बीच शहर के दो बड़े सरकारी चिकित्सा केंद्रों के आंकड़े काबिले-गौर हैं। मेडिकल कॉलेज में सिजेरियन प्रसव ज्यादा हो रहे हैं, वहीं जिला महिला चिकित्सालय डफरिन में ज्यादातर प्रसव सामान्य हुए।
विभाग सक्रिय पर रिजल्ट तो मिले
स्वास्थ्य विभागकर्मी गांव-गांव पहुंचकर गर्भवती महिलाओं की सेहत की नियमित जांच करने के साथ पौष्टिक आहार देते हैं। इसके बाद भी जिला महिला चिकित्सालय में औसतन 66 फीसद, वहीं मेडिकल कॉलेज स्थित एसवीबीपी अस्पताल में महज 47 फीसद नार्मल डिलीवरी हुईं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 99 फीसद नार्मल डिलीवरी हुईं।
इनका कहना है
पहले एनेस्थीसिया, ब्लड बैंक की इतनी सुविधा नहीं थी। ऐसी जांचें नहीं थीं, जिनसे गर्भस्थ शिशु की स्थिति का पता चले। एनीमिया, बीमारी, संक्रमण, बीपी, शुगर व गर्भ में शिशु के उल्टा होने से सर्जरी करनी पड़ सकती है। मेडिकल में रेफर किए गए केस आते हैं, ऐसे में सर्जरी ज्यादा है। कई दंपती मुहूर्त देखकर भी डिलीवरी कराते हैं, जो ठीक नहीं।
- डा. अभिलाषा गुप्ता, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग विभाग, मेडिकल कालेज
इन वजहों ने भी बढ़ाई सर्जरी
गर्भस्थ शिशु में आक्सीजन व खून की कमी, धड़कन अनियमित होने, शिशु के उल्टा होने और महिला में एनीमिया से भी सिजेरियन प्रसव बढ़ता है। रक्तचाप, डायबिटीज भी सर्जरी की बड़ी वजह है।
सीएचसी पर प्रसव का आंकड़ा
12 केंद्रों में अगस्त 2019 तक
कुल प्रसव 5761
सिजेरियन प्रसव 56
जिला महिला अस्पताल में सर्जरी की जल्दी नहीं
वर्ष कुल प्रसव सिजेरियन प्रसव
2015 3988 31.25 फीसद
2016 4519 32.15 फीसद
2017 5273 32.87 फीसद
2018 4627 34.50 फीसद
2019 2295 34.40 फीसद
मेडिकल कालेज में यह हाल
माह कुल प्रसव सिजेरियन प्रसव
अगस्त 320 51.87 फीसद
जुलाई 297 52.42 फीसद
जून 263 49.00 फीसद