Milkha Singh Passes Away: मेरठ के युवाओं से कह गए थे फ्लाइंग सिख... 'आप बनिए दूसरा मिल्खा सिंह'
मेरठ में दीवान पब्लिक स्कूल के ही संजय शर्मा को दिल्ली एयरपोर्ट से मिल्खा सिंह के साथ आने और वापस उन्हें एयरपोर्ट तक छोडऩे का अवसर मिला था। संजय शर्मा बताते हैं कि मिल्खा सिंह जी से उनकी तमाम बिंदुओं पर बात हुई।
अमित तिवारी, मेरठ। Milkha Singh Passes Away फ्लाइंग सिख के नाम से पहचाने जाने वाले और हर एथलीट के प्रेरणा स्रोत मिल्खा सिंह इस दुनिया में नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 का इलाज करा रहे मिल्खा सिंह ने शुक्रवार देर रात अंतिम सांस ली। महान शख्सियत, बेहतरीन खिलाड़ी और उसे भी अच्छे इंसान के आशीर्वाद की यादें मेरठ के युवाओं में भी तरोताजा है। मिल्खा सिंह दो नवंबर 2004 को मेरठ छावनी स्थित दीवान पब्लिक स्कूल की वार्षिक एथलेटिक मीट में मुख्य अतिथि के तौर पर मेरठ आए थे। एथलेटिक्स को जीवन समॢपत करने वाले मिल्खा सिंह ने मेरठ के युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि उन्हें बेहद खुशी होगी अगर अगला ओलंपियन धावक मेरठ की मिट्टी से निकले और देश का नाम ऊंचा करें। एथलेटिक्स के प्रति उनकी भावना ही ऐसी थी कि वह हर युवा में एक मिल्खा सिंह को देखते थे और उन्हें जी जान लगाकर दौडऩे को प्रेरित भी किया करते थे।
हर शब्द में जादू था और एक नई सीख भी
खेलकूद प्रतियोगिता के मौके पर मेरठ पधारे मिल्खा सिंह ने जितना भी समय स्कूल परिसर में गुजारा छात्र छात्राओं को खेल के प्रति आकर्षित करते रहे। उनके व्यक्तित्व से पहले ही प्रेरित छात्र छात्राओं ने उनको सुनने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल हरमोहन राउत ने भी बच्चों को ऐसे व्यक्तित्व के साथ बिताए हर पल में कुछ नया सीखने को प्रेरित किया था। एनुअल एथलेटिक मीट में मिल्खा सिंह ने खिलाडिय़ों को मशाल थमाई, पुरस्कृत किया और उनके प्रदर्शन की सराहना भी की थी। जिन्हें आटोग्राफ चाहिए था उन्हें भी निराश नहीं किया। जो साथ में तस्वीर लेना चाहते थे उनके साथ भी खड़े हुए।
उनके साथ बीता समय जीवन का मूल्य यादगार है
दीवान पब्लिक स्कूल के ही संजय शर्मा को दिल्ली एयरपोर्ट से मिल्खा सिंह के साथ आने और वापस उन्हें एयरपोर्ट तक छोडऩे का अवसर मिला था। संजय शर्मा बताते हैं कि मिल्खा सिंह जी से उनकी तमाम बिंदुओं पर बात हुई। जो चौंकाने वाली बात थी, उस समय 70 साल से अधिक आयु में भी वह हर दिन सुबह शाम दौड़ लगाया करते थे। पहली बार संजय शर्मा को लगा कि कुछ कानों का धोखा होगा। उन्होंने दोबारा पूछा। जवाब मिला वह आज ही सुबह शाम दौड़ लगाते हैं। संजय ने बताया कि वह घर के बाहर कहीं कुछ खाते पीते नहीं थे लेकिन गाजियाबाद पार करने के बाद मोदीनगर में एक जगह उन्होंने बार बार पूछने पर चाय पीने की इच्छा जताई। दुकानदार उनकी तरफ लगातार देखता रहा। अंत में उसने पूछा कि क्या वह मिल्खा सिंह जी हैं। संजय शर्मा के हां कहने पर दुकानदार ने पैसे लेने से मना कर दिया। बहुत जिद करने पर पैसे वहीं दुकान में रखकर आने पड़े, लेकिन वह पूरे समय मिल्खा सिंह जी को निहारता ही रहा, मानो वह भी उन्हें चाय पिलाकर स्वयं को धन्य मान रहा हो।
हर जन्मदिन पर देता रहा हूं बधाइयां
संजय शर्मा बताते हैं कि मिल्खा सिंह का जन्मदिन 20 नवंबर को होता है। साल 2004 में उनसे मुलाकात के बाद वह हर साल उन्हें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए फोन जरूर करते थे। पूरे साल बात भले ना हो लेकिन जन्मदिन पर फोन जाते ही मिल्खा सिंह जी बेटा जी बेटा जी कहकर ही बुलाते थे। जो उनका स्वभाव था। जो सभी से इसी तरह स्नेह के साथ बात करते थे। डेढ़ से 2 मिनट की बातचीत में उनका हालचाल लेने का मौका मिलता रहता था। उनकी बीमारी की खबरें सुनने के बाद मैसेज डाला था जिसका जवाब अब तक नहीं आया। हमेशा यही प्रार्थना करता था कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौटे और मेरे मैसेज का जवाब दें, पर शायद ईश्वर को कुछ और मंजूर था और बिना जवाब दिए ही वह हमें छोड़ कर चले गए।
इनका कहना है
मिल्खा सिंह जी का जाना एथलेटिक्स का एक हिस्सा खाली हो जाने जैसा है। ऐसा कोई धावक देश में नहीं जो मिल्खा सिंह की तरह दौड़ाने की इच्छा लेकर कदम बढ़ाना ना शुरू किया हो। उनको सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके फ्लाइंग सिख के खिताब को देश की युवा पीढ़ी और आगे बढ़ाएं।
- अनु कुमार, सचिव, जिला एथलेटिक संघ
खेल को जिस समर्पण की जरूरत होती है, उसी की प्रतिमूर्ति थे फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह। ट्रैक के जादूगर बनने के उनके सफर का हर एक पल प्रेरणा और ऊर्जा से भरपूर है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को इस नुकसान के समय में स्वयं को संभालने की हिम्मत दें। साथ ही देश की युवा पीढ़ी पर विशेष तौर पर धावकों को देश का अगला मिल्खा सिंह बनने को प्रेरित करें।
- पीके श्रीवास्तव, सचिव, उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ
इतने बड़े खिलाड़ी का हमें छोड़ कर चले जाना हमेशा ही कष्टकारी होता है। मिल्खा सिंह एथलेटिक्स के खिलाड़ी जरूर थे लेकिन हर खेल के खिलाड़ी की प्रेरणा थे। आसमान की ऊंचाइयों सी सफलता और सादगी बेहद सामान्य व्यक्ति के जैसी थी। 90 की उम्र तक पहुंच कर भी उनका जोश देखते ही बनता था। आशा है कि उन्होंने कोविड से भी आसानी से हार नहीं मानी होगी बल्कि उसे भी दौड़ में एक दो बार पछाड़ा जरूर होगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
- डॉ युद्धवीर सिंह, सचिव, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन
हम तो मिल्खा सिंह जी को टीवी पर दौड़ते हुए देखकर बड़े हुए। आज भी हम अपने एथलीट्स को उनके जैसा अनुशासित जीवन शैली जीने को प्रेरित करते हैं जिससे उनकी आभा का असर देश के अन्य खिलाडिय़ों पर भी हो सके। वह प्रेरणा के भंडार थे। उनके जाने के बाद भी देश के एथलिट उनकी ही तरह बनकर देश का नाम रोशन करने की कोशिश जरूर करेंगे। उन महान एथलीट को शत-शत नमन।
- आशुतोष भल्ला, उपाध्यक्ष, एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया