सांसद-विधायक से मिलेंगे गढ्ढा बाजार के व्यापारी
लालकुर्ती पैठ बाजार स्थित गढ्ढा मार्केट के दुकानदार एनसीआरटीसी के अधिकारियों के रवैये से खासे आहत हैं।
मेरठ, जेएनएन। लालकुर्ती पैठ बाजार स्थित गढ्ढा मार्केट के दुकानदार एनसीआरटीसी के अधिकारियों के रवैये से खासे आहत हैं। व्यापारियों ने सांसद और विधायक इस मामले में पहल करने की मांग की है। एनसीआरटीसी ही दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल की परियोजना क्रियान्वयन करा रही है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक साल में छह कंपनियां बदल चुकी हैं। हर बार नई कंपनी के प्रतिनिधि आते हैं और दुकानें तोड़े जाने की बात कहते हैं। न ही उनको कोई लिखित में पत्र दिया जा रहा है न ही कैंट बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी कुछ बोल रहे हैं। कार्यदायी संस्था के लोग नाप जोख करते हैं। पूछने पर कहते हैं कि यहां पर रैपिड का स्टेशन बनना है। यहां पर निकास के लिए सड़क बनेगी। इसलिए यहां की दुकानें हटाई जाएंगी। हमारी रोजी रोटी छीनने का भय दिखाया जा रहा है।
1950 से है बाजार का अस्तित्व
गढ्ढा मार्केट व्यापार संघ से जुड़े 50 दुकानदार हैं। इसके अलावा 15 - 20 दुकानें और हैं। व्यापारियों का कहना है कि रैपिड रेल के निर्माण से जुड़ी एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने 64 दुकाने हटाए जाने की बात कही है। यहां पर मुख्यत: बर्तन, चूड़ियों, तिरपाल, हार्ड वेयर की दुकानें हैं। अध्यक्ष सतपाल भाटिया ने बताया कि 1950 में उनके पूर्वज यहां पर अस्थाई ठीहे लगाकर व्यापार करते थे। पहले यहां छह फुट गहरा गढ्ढा था। इसके चलते इसे गढ्ढे वाला मार्केट कहते थे। हमने धीरे धीरे गढ्ढा भरा और मार्केट अस्तित्व में आया। 1971 में कैंट बोर्ड ने यहां पर टीन डाल कर दुकानें बनवाई थी। उसका किराया भी नियमित रूप लिया जाता है। महामंत्री मनीष अग्रवाल ने कहा कि 1990 में पक्की दुकान बनाने के लिए कैंट बोर्ड ने 10 हजार रुपये प्रत्येक दुकानदार से जमा कराए थे। उनका अभी तक कुछ पता नहीं है। पक्की दुकान का कौन कहे, अब यह दुकाने हटाने की नौबत आ रही है। व्यापारियों की पीड़ा
सड़क के दूसरी ओर पर्याप्त जगह खाली पड़ी है। दुकानदारों को उजाड़ कर रास्ता निकालना गलत है। इस बारे में हम सांसद और विधायक से मिलेंगे। अगर हटना जरूरी हो तो हमें आबूलेन में खाली पड़ी जगह पर दुकानें बना कर दी जाए।
सतपाल भाटिया, अध्यक्ष, गढ्ढा बाजार व्यापार संघ रैपिड रेल का निर्माण करने वाली एजेंसियां बार-बार बदल रही हैं। हर बार नए लोग आते हैं और दुकानों को हटाने की बात कहता है। वह लिखित में कुछ नहीं देता है। अब जब तक लिखित में नहीं मिलेगा, हम कोई वार्ता नहीं करेंगे।
मनीष अग्रवाल, महामंत्री, गढ्ढा मार्केट व्यापार एसोसिएशन बसे-बसाए बाजार को उजाड़ना गलत है। यहां से सैकड़ों लोगों का गुजारा हो रहा है। आसपास कई ऐसी जगह हो सकती है। जहां से रास्ता निकल सकता है।
शहराज अख्तर, संगठन मंत्री,
अगर स्टेशन भूमिगत बनना है तो दुकानें ऊपर रहेंगी। ऐसे में कोई दिक्कत नहीं होगी। अगर दुकाने हटाई जाएं तो पहले हमें पक्की दुकानें बना कर दी जाएं। वह भी हमारी तय जगह पर।
मोबिन, पूर्व अध्यक्ष