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जानिए कैसे हुआ था, पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर सबसे पहले कब्जा

भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध में मिली विजय को देशभर में स्वर्णिम विजय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। मेरठ छावनी स्थित पाइन डिवीजन ने उस युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाते हुए पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर कब्जा किया था।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 05:06 PM (IST)
जानिए कैसे हुआ था, पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर सबसे पहले कब्जा
जेसोर दिवस पर ताजा हुईं स्वर्णिम विजय की यादें।

मेरठ, अमित तिवारी। भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध में मिली विजय को देशभर में स्वर्णिम विजय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। मेरठ छावनी स्थित पाइन डिवीजन ने उस युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाते हुए पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर सबसे पहले कब्जा किया था। यह कब्जा छह दिसंबर की रात को हुआ था और सात को खुलना पर भी कब्जा कर दुश्मन को खदेड़ दिया था। उस दिन को पाइन डिव की ओर से जेसोर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष जेसोर दिवस के भी 50 वर्ष पूरे हुए और इस स्वर्णिम अवसर पर पाइन डिव की ओर से आयोजित समारोह में युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए शहीदों को सलामी दी गई। इस मौके पर डिव वर्तमान जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल संजय हुड्डा के साथ पूर्व में डिव के जीओसी रहे सात अन्य अधिकारियों ने भी शहीदों को सलामी दी और उनकी कुर्बानियों को याद किया। डिव मुख्यालय में बने शहीद स्मारक का निर्माण जीओसी रहते हुए जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह ने कराया था। उन्होंने उन सभी शहीदों को याद करते हुए युद्ध में मिली विजय को गौरवपूर्ण बताया।

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इन्होंने दी श्रद्धांजलि

शहीदों को श्रद्धांजलि देने वालों में हवलदार जीतेंद्र। सूबेदार मेजर निर्मलजीत सिंह, मेजर जनरल अरुण कुमार सप्रा, मेजर जनरल हरदेव सिंह, मेजर जनरल गुरदर्शन सिंह ग्रेवाल, लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार चोपड़ा, मेजर जनरल आदित्य जंग बहादुर जैनी, जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र कुमार वडेरा और मेजर जनरल संजय हुड्डा ने शहीद स्मारक पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों को नमन किया और सैन्य सलामी दी।

सैन्य धरोहर का किया भ्रमण

जेसोर दिवस के मौके पर मेरठ पहुंचे सभी अफसरों ने सपरिवार पाइन डिव की ओर से छावनी में बनाए गए धरोहर का भी भ्रमण किया। यहां विभिन्न युद्ध से जुड़ी तस्वीरों को देख सभी ने अपनी यादों को एक दूसरे से साझा किया। युद्ध के दौरान की तस्वीरें में निहित कहानियों को भी एक दूसरे से साझा किया। इसके साथ ही युद्ध में लड़ाई के दौरान की स्थितियों पर भी चर्चा की और एक दूसरे को बताया भी।

खूब लड़ी थी पाइन डिव

भारतीय सेना की पाइन डिव का सबसे पहला गठन 15 सितंबर 1940 में क्वेटा में माउंटेन डिवीजन के तौर पर हुआ था। इसके साथ 15, 20 और 21 इन्फेंट्री ब्रिगेड थी। द्वितीय विश्व युद्ध में मलाया में युद्ध लड़ा। इसे दोबारा 1 अगस्त 1964 में खड़ा किया गया और 1970 में माउंटेन डिवीजन से इन्फैंट्री डिवीजन का दर्जा मिला। उसके बाद 1971 के युद्ध में तत्कालीन जीओसी मेजर जनरल दलबीर सिंह की अगुवाई में 32, 40 और 350 इन्फेंट्री ब्रिगेड के साथ लड़ाई लड़ी। 32 ब्रिगेड अभी पाइन डिव का हिस्सा है और उनकी जीत में अहम भूमिका निभाया थी।


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