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Year Ender 2020: मेरठ में आंख की किरकिरी बना रहा कूड़ा निस्तारण, हर बार मिली फटकार; फिर भी नहीं हुआ सुधार

मेरठ की आबादी लगभग 20 लाख है। प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कचरा शहर में निकलता है। लगभग 80 अस्थायी कूड़ाघर और 120 अस्थायी कूड़ाघर हैं। 2020 के दौरान कूड़ा निस्‍तार बड़ी समस्‍या रही। अधिकारियों की फटकार के बाद भी इसका समाधान नहीं हो सका।

By Himanshu DiwediEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 06:53 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 06:53 PM (IST)
Year Ender 2020: मेरठ में आंख की किरकिरी बना रहा कूड़ा निस्तारण, हर बार मिली फटकार; फिर भी नहीं हुआ सुधार
मेरठ में कूड़ा निस्‍तारण की समस्‍या का समाधान नहीं हो सका।

मेरठ, जेएनएन। शहर की आबादी लगभग 20 लाख है। प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कचरा शहर में निकलता है। लगभग 80 अस्थायी कूड़ाघर और 120 अस्थायी कूड़ाघर हैं। वर्तमान में कचरा लोहिया नगर में डंप किया जा रहा है। शहर का कचरा दो स्तर पर उठाया जाता है। पहला स्तर डोर टू डोर कूड़ा गाडिय़ों का है। प्रत्येक वार्ड में कूड़ा गाड़ी पहुंचती है। दो राउंड लगाती है। प्रति राउंड लगभग 300 घरों का कचरा एकत्र कर लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड ले जाती है। दो राउंड में एक वार्ड से लगभग 600 घरों का कचरा डोर टू डोर कूड़ा गाडिय़ों से कलेक्ट होता है। प्रति वार्ड न्यूनतम 1500 से 2000 तक मकान हैं। बाजार का एरिया अलग से है। कूड़ा गाडिय़ों की कमी और कूड़ा ट्रांसफर स्टेशनों की कमी से प्रति वार्ड 50 फीसद ही कूड़ा कलेक्शन डोर टू डोर हो पा रहा है। वार्ड का शेष कचरा हाथ ठेलों के माध्यम से अस्थायी व स्थायी कूड़ाघरों तक आता है। जहां से दूसरे स्तर पर डंपर व ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर कचरा उठाया जाता है। यह कचरा भी लोहिया नगर डंपिंग ग्रांउड जाता है।

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कोरोना महामारी के दौर में भी सफाई रही नदारद

साल का ज्यादातर समय कोरोना महामारी के दौर से ही गुजरा है। इस महामारी में सफाई और भी ज्यादा जरूरी हो गई थी। लेकिन नगर निगम उस कचरे को नहीं हटा सका। जो लंबे समय से एक ही स्थान पर डंप हैं। कंकरखेड़ा मार्शल पिच, मंगतपुरम, अब्दुल्लापुर, कंकरखेड़ा बाइपास किनारे, औरंगशाहपुर डिग्गी, परतापुर, मलियाना जसवंत मिल के सामने, शास्त्रीनगर में रंगोली मंडप के पास आदि स्थानों पर कचरा आज भी डंप है। यह कचरा न केवल शहर की आबोहवा प्रदूषित कर रहा है बल्कि संक्रामक रोग फैलने का कारण भी बन सकता है। खाली प्लाटों व सड़क पर गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई शुरू हुई। लेकिन यह प्रभावी तरीके से नहीं हुई। केवल खानापूर्ति कर दी गई। नाले में कचरा फेंकने वालों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया।

कूड़ा निस्तारण के लिए उठे कदम

वर्ष 2020 इस मायने में जरूर याद रखा जाएगा कि लंबे अर्से के बाद शहर में उत्सर्जित समग्र कचरे के निस्तारण की कार्ययोजना पर काम शुरू हुआ है। पूर्व नगर आयुक्त डा. अरवि‍ंद चौरसिया के अथक प्रयासों से वर्ष 2019 के अंतिम महीने में गांवड़ी में 15 टन प्रति घंटे का बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट स्थापित किया गया। प्रतिदिन 10 घंटे प्लांट चलाकर 150 टन कचरे का सेग्रीगेशन किया गया। गांवड़ी में डंप कचरे के पहाड़ को खत्म करने का यह प्रयोग सफल साबित हुआ। यहां कचरे से पालीथिन-प्लास्टिक कचरा(आरडीएफ ) व ईंट-पत्थर और कंपोस्ट को बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन से अलग-अलग किया गया। वर्तमान यह प्लांट दो शिफ्ट में चलाया जा रहा है। लगभग 30000 टन पुराना कचरा और गांवड़ी में बचा है। जो मार्च तक निस्तारित कर दिया जाएगा। गांवड़ी प्लांट से निकले आरडीएफ को दो कंपनियों को निगम बेच रहा है।

मुंबई की शक्ति प्लास्टिक प्रतिमाह 500 टन और मेरठ की ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी प्रतिमाह 900 टन आरडीएफ खरीद रही हैं। अब गांवड़ी में समग्र कचरा निस्तारण की कार्ययोजना पर काम हो रहा है। लीचेट ट्रीटमेंट प्लांट व नया कचरा रखने के लिए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। प्लांट के विस्तार को टेंडर हो चुके हैं। आने वाले नए साल में गांवड़ी में शहर में उत्सर्जित प्रतिदिन 900 टन कचरे को निस्तारित करने की योजना साकार होगी। लोहिया नगर क्षिंपग ग्राउंड समाप्त कर सारा कचरा गांवड़ी में ले जाया जाएगा। निगम का मुख्य ट्रेचिंग ग्राउंड गांवड़ी होगा। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की भी तैयारी है।

कूड़े से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट ट्रायल तक पहुंचा

वर्ष 2019 में पूर्व नगर आयुक्त डा. अरविंंद चौरसिया ने एक और प्रयोग का रिस्क लिया। ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी से कूड़े से निकले आरडीएफ से बिजली बनाने के प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए अनुबंध किया। कंपनी ने साल भर की कड़ी मशक्कत के बाद दिसंबर 2020 में कूड़ से बिजली बनाने का ट्रायल शुरू किया है। एक मेगावाट क्षमता का यह प्लांट है। ट्रायल चल रहा है। नए साल में उद्घाटन होगा। भविष्य में 10 मेगावाट तक इसका विस्तार करने की योजना है।

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेई का भी इस प्रोजेक्ट में अहम योगदान है। गैसीफिकेशन तकनीक पर आधारित कूड़े से बिजली बनाने का देश का यह पहला प्लांट बताया जा रहा है। इससे कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। एक मेगावाट बिजली बनाने को प्रति घंटे प्लांट को न्यूनतम एक टन आरडीएफ की जरूरत होगी। 24 घंटे में 24 टन आरडीएफ निस्तारित होगा। प्रदेश में कूड़े से बिजली बनाने का काम भी गति पकड़ेगा।

मंगतपुरम का कचरा बना सिरदर्द

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी मंगतपुरा में कूड़े का पहाड़ नहीं हट पा रहा है। लाखों टन कचरा यहां आबादी के बीच डंप है। बायोकैङ्क्षपग तकनीक से इसे निस्तारित कर पार्क विकसित करने की योजना बनी थी। लेकिन शासन ने इसे मंजूरी नहीं दी। नतीजा, नगर निगम की 14 वें वित्त आयोग की बैठक में बायोकैपिंग तकनीक के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। अब इस कचरे को बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगाकर निस्तारित करने की योजना है। हालांकि इससे पहले लोहिया नगर में डंप कचरे को बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगाकर निस्तारित करना है। इस पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है। इसके पीछे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी न मिलना मुख्य वजह है।

स्वच्छ सर्वेक्षण में हर बार फिसड्डी

स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में मेरठ नगर निगम 10 लाख से अधिक आबादी वाले देश के 47 शहरों में 41वें स्थान पर आया था। लेकिन देश का सातवां गंदगी वाला शहर भी घोषित हुआ था। हर बार स्वच्छ सर्वेक्षण की दौड़ में मेरठ फिसड्डी ही रहा। इसके पीछे नगर निगम प्रशासन का सर्वेक्षण को लेकर उदासीन रवैया है। सर्वेक्षण की तैयारी किसी परीक्षा को पास करने की तरह नहीं होती है। अंक अर्जित करने पर काम नहीं होता है। रूटीन कार्यों की तरह ही सर्वेक्षण की तैयारी चलती है। अब स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की बारी है।


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