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मेरठ : मेडिकल कालेज की चौखट पर तीन घंटे तक तड़पती रही महिला, नहीं मिला इलाज, ई-रिक्शा में ही तोड़ा दम

लिसाड़ीगेट के श्यामनगर निवासी हुस्नआरा को सांस लेने में तकलीफ थी। स्वजन उन्हें ई-रिक्शा में बुधवार को सुबह 11 बजे मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। यहां पर उपचार नहीं मिला जिस कारण मेडिकल कालेज की चौखट पर ई रिक्‍शा में महिला ने दम तोड़ दिया।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 11:36 AM (IST)
मेरठ : मेडिकल कालेज की चौखट पर तीन घंटे तक तड़पती रही महिला, नहीं मिला इलाज, ई-रिक्शा में ही तोड़ा दम
ई रिक्‍शा में ही महिला ने दम तोड़ दिया। मौत से पहले की तस्‍वीर...

मेरठ, जेएनएन। एलएलआरएम मेडिकल कालेज लेवल-3 अस्पताल है। एल-3 अस्पताल वह होता है जहां कोरोना के गंभीर मरीजों को इलाज मिलता है। श्यामनगर के लोग भी यही मानकर हुस्नआरा को मेडिकल कालेज ले आए। पर उन्हें क्या पता था यहां इलाज मिलना तो दूर, उन्हें देखकर इस अस्पताल का हाकिम ही पीठ फेर लेगा। नतीजा, सुबह 11 बजे बोल-चाल रही हुस्नआरा डेढ़ बजते-बजते लाश में तब्दील हो गई। मेडिकल कालेज में हुस्नआरा के साथ ही व्यवस्था ने उस वक्त दम तोड़ा, जब प्रभारी मंत्री हर मरीज को इलाज दिलाने का दावा कर रहे थे, लेकिन तड़पती हुस्नआरा की चीखें मंत्री के कानों तक नहीं पहुंचीं। इलाज न मिलने के कारण एक महिला की रिक्शा पर पड़े-पड़े मौत हो गई।

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एक बार कोई देख तो लेता

लिसाड़ीगेट के श्यामनगर निवासी हुस्नआरा को सांस लेने में तकलीफ थी। स्वजन उन्हें ई-रिक्शा में बुधवार को सुबह 11 बजे मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। यहां प्राथमिक उपचार देने की बजाय उन्हें कोरोना जांच कराकर आने को कह दिया गया। सैंपल देने के बाद वे फिर इमरजेंसी पहुंचा। इस बार उनका आक्सीजन स्तर मापा गया। आक्सीजन स्तर 50 पहुंचने पर उन्हें कोविड वार्ड ले जाने को कह दिया। कोविड वार्ड पहुंचे तो वहां बिना जांच रिपोर्ट भर्ती करने से मना कर दिया गया। बेबस स्वजन हुस्नआरा को लेकर मेडिकल कैंपस के चक्कर काटते रहे। भर्ती करने की गुंजाइश तलाशते रहे। आखिरकार मेडिकल इमरजेंसी के गेट पर लगभग डेढ़ बजे हुस्नआरा ने दम तोड़ दिया। बेटी और अन्य स्वजन शव लेकर चले गए।

पास से गुजरे प्राचार्य पर न पूछा हाल

ई-रिक्शा में हुस्नआरा को लेकर भटकते स्वजन के पास से एक बार मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र कुमार भी गुजरे लेकिन उन्होंने मरीज का हाल नहीं जाना। उन्होंने कोविड वार्ड पर मीडियाकर्मियों को देखकर अपनी गाड़ी इमरजेंसी की ओर घुमा ली और थोड़ी देर बाद एक कर्मचारी को भेजकर मीडियाकर्मियों को वहां से हट जाने की सलाह दी।


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