मेरठ रोडवेज का हाल : कर्मियों और बसों की कम संख्या से लड़खड़ाया संचालन Meerut News
मेरठ में रोडवेज बसों के संचालन की व्यवस्था बेपटरी हो गई है। कारण यह है कि एक ओर 40 बसें 10 वर्ष से अधिक उम्र की होने के कारण बेड़े से बाहर होने जा रही हैं। दूसरी ओर इन दिनों चालक और परिचालक ड्यूटी पर आने को तैयार नहीं हैं।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ रोडवेज बसों का संचालन चौतरफा झटके झेल रहा है। एक ओर 40 बसें 10 वर्ष से अधिक उम्र की होने के कारण बेड़े से बाहर होने जा रही हैं। एनजीटी के आदेशों के क्रम में अब मेरठ से उनका संचालन नहीं हो सकेगा। वहीं इन दिनों चालक और परिचालक ड्यूटी पर आने को तैयार नहीं हैं। लगातार अनुपस्थित रहने वाले आठ चालक और परिचालकों की संविदा समाप्त कर दी गई है। वहीं 45 और कर्मचारियों की सूची तैयार हो गई है। जिन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
यह सभी चालक और परिचालक ऐसे हैं जो कोरोना का संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लाकडाउन 20 मार्च से ही अनुपस्थित चल रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार इन्होंने कोई पूर्व सूचना भी नहीं दी है। चालक प्रदीप कुमार, संजीव कुमार, संजय कुमार, कर्मवीर सिंह, परिचालक अशोक कुमार, हरनाम सिंह, तुषार गर्ग, अभिषेक चौधरी की संविदा समाप्त कर दी गई है। डिपो प्रभारी देवेंद्र भारद्वाज ने बताया कि कई बार संपर्क कर चेतावनी देने के बावजूद चालक और परिचालक काम पर नहीं लौटै जिसके चलते संविदा समाप्त करने की कार्रवाई की गई है।
एक ओर बसों की संख्या कम होन और दूसरी ओर कर्मचारियों का न होना अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बतातें चलें कि रोडवेज की जून में यात्री कम होने से 80 बसों का आरटीओ में समर्पण कर दिया गया था। मेरठ परिक्षेत्र के बेड़े में 775 बसें हैं। जिनमें लगभग 680 - 690 बसों का ही संचालन हो पा रहा है। वहीं ट्रेनों का संचालन आरंभ होने से प्रदेश के अंदर और उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा जाने के लिए लोग बसों पर निर्भर हैं। एआरएम आरके वर्मा ने बताया कि जो 40 बसें जाएंगी उनकी स्थान पर उन्हीं जनपदों से अपेक्षाकृत नई बसें आएंगी ताकि उनका संचालन हो सके। पर बतातें चलें कि अभी तक नौ बसें जा चुकी हैं लेकिन उनके स्थान पर एक भी बस नहीं आई है।