मेरठ-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे
विश्व के सबसे लंबे मेरठ-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेसवे को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा। कुंभ में आयोजित कैबिनेट की बैठक में गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण की घोषणा की गई है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 11:27 AM (IST)
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। क्रांतिधरा मेरठ का सड़क मार्ग के जरिए तीर्थराज प्रयाग से मिलन होगा। इसका खाका योगी सरकार ने खींच दिया है। मंगलवार को प्रयागराज में कैबिनेट की बैठक में 600 किमी लंबे मेरठ से प्रयागराज के बीच चार लेन के गंगा एक्सप्रेस-वे की जो घोषणा की है, वह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे को कनेक्ट करेगा।
चुड़ियाला के आसपास मिलेगा छोर
अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना यह जा रहा है कि डासना से आगे चुड़ियाला के पास दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का जहां टोल प्लाजा बनना तय है उससे कुछ आगे चलकर ही गंगा एक्सप्रेस-वे का छोर मिलेगा। यहां से यह डीएमई के पांचवें पैकेज यानी एनएच-235 के हाजीपुर गांव के निकट से होते हुए इस विशेष मार्ग का हिस्सा आगे बढ़ जाएगा। इसी तरह से गढ़, बुलंदशहर, अमरोहा होते हुए मार्ग प्रयागराज की ओर आगे निकल जाएगा।
भूमि अधिग्रहण पर फोकस
अहम बात यह है कि इस प्रोजेक्ट की खातिर आवश्यक भूमि अधिग्रहण पर सरकार का मुख्य फोकस है। आमतौर पर इस तरह के प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के फेर में फंस जाते हैं लेकिन शुरू से ही यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य 30 महीने में पूरा किया जाएगा। कुंभ में चिकित्सकों की एक बैठक में उन्होंने इस पर विस्तार से बात की और भरोसा दिलाया है कि इस पूरे प्रोजेक्ट से वे भलीभांति अवगत हैं। समय से काम शुरू और खत्म किया जाएगा।
30 महीने में निर्माण कार्य बड़ी चुनौती है
मुख्यमंत्री ने 600 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे (ईपीई) के निर्माण कार्य को 30 महीने में पूरा करने का जो लक्ष्य लिया है, वह काफी बड़ी चुनौती मानी जा रही है। जानकारों के मुताबिक 600 किमी लंबी सड़क को तैयार करने के लिए 30 महीने का समय तुलनात्मक रूप से कम है। उदाहरण के तौर पर गत वर्ष ही तैयार हुए ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे की अगर बात करें तो कुंडली से पलवल के बीच के 135 किमी लंबे छह लेन के एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में 910 दिन का समय लगा था। जानकारों का कहना है कि अगर 600 किमी एक्सप्रेस-वे के निर्माण का लक्ष्य 30 महीने में हासिल करना है तो कम से कम 24-25 पैकेज में काम को बांटना पड़ेगा। अलग-अलग कांट्रेक्टर्स मिलकर इस काम को पूरा कर सकते हैं। बता दें कि ईपीई भी छह पैकेज में बंटकर तैयार हुआ था।
...तो हस्तिनापुर के दिन संवरेंगे
1857 की क्रांति की क्रांतिधरा मेरठ रामायणकालीन भी है और महाभारतकालीन। जैनधर्म का केंद्र हस्तिनापुर बन गया है। मेरठ में गंगा का किनारा हस्तिनापुर को छूकर निकलता है। लिहाजा माना जा रहा है कि लंबे अरसे से हस्तिनापुर में पर्यटन की संभावनाओं को पंख देने की जो आवाज उठ रही थी, वह अब साकार हो सकेगा। हस्तिनापुर सर्किट का सीधा संपर्क प्रयागराज से हो जाने से पर्यटकों का आवागमन भी बढ़ेगा। क्योंकि प्रयागराज से हरिद्वार-ऋषिकेश के तीर्थ पर निकलने वाले श्रद्धालु, पर्यटकों के यह मार्ग मुफीद साबित होगा।
दोनों ही ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे
गंगा एक्सप्रेस-वे भी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे होगा। ग्रीनफील्ड का अर्थ है बिल्कुल नई सड़क। बता दें कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का सबसे अहम पैकेज-4 भी ग्रीनफील्ड ही है। डासना से मेरठ के बीच 32 किमी के ग्रीनफील्ड का निर्माण कार्य इन दिनों युद्धस्तर पर चल रहा है। माना जा रहा है कि जुलाई तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
इनका कहना है
मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने वाले एक्सप्रेस-वे देने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का आभार। यह मेरठ के नजरिए से बेहद लाभकारी साबित होगा। लेकिन मेरठ को सड़क के साथ हवाई सेवाओं की भी जरूरत है। लिहाजा मुख्यमंत्री जल्द से जल्द मेरठ से उड़ान शुरू करवाकर अपना पुराना वादा पूरा करें।
-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
आजादी के बाद से आज तक किसी ने भी हस्तिनापुर के विकास की दिशा में ठोस काम नहीं किया। लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री इस क्षेत्र की पौराणिक महत्ता को सम्मान दिला रहे हैं। पहले पुल और अब हमारे क्षेत्र से होकर जा रही गंगा के किनारे एक्सप्रेस-वे का निर्माण मेरठ के साथ ही विशेष रूप से हस्तिनापुर की जनता को बड़ा तोहफा होगा। यहां के विकास का रास्ता खुलेगा। हमारे पर्यटन को पंख मिलेंगे।
-दिनेश खटीक, विधायक-हस्तिनापुर
मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री और पूरी टीम का साधुवाद। लेकिन यह कहना भी जरूरी है कि सड़क मार्ग से मेरठ-प्रयागराज को जोड़ना हाईकोर्ट बेंच और हमारी हवाई उड़ान का विकल्प नहीं है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे इसी कड़ी में जल्द से जल्द मेरठ से हवाई उड़ान दिलाएं और खंडपीठ की दिशा में कदम बढ़ाएं।
-डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
चुड़ियाला के आसपास मिलेगा छोर
अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना यह जा रहा है कि डासना से आगे चुड़ियाला के पास दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का जहां टोल प्लाजा बनना तय है उससे कुछ आगे चलकर ही गंगा एक्सप्रेस-वे का छोर मिलेगा। यहां से यह डीएमई के पांचवें पैकेज यानी एनएच-235 के हाजीपुर गांव के निकट से होते हुए इस विशेष मार्ग का हिस्सा आगे बढ़ जाएगा। इसी तरह से गढ़, बुलंदशहर, अमरोहा होते हुए मार्ग प्रयागराज की ओर आगे निकल जाएगा।
भूमि अधिग्रहण पर फोकस
अहम बात यह है कि इस प्रोजेक्ट की खातिर आवश्यक भूमि अधिग्रहण पर सरकार का मुख्य फोकस है। आमतौर पर इस तरह के प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण के फेर में फंस जाते हैं लेकिन शुरू से ही यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य 30 महीने में पूरा किया जाएगा। कुंभ में चिकित्सकों की एक बैठक में उन्होंने इस पर विस्तार से बात की और भरोसा दिलाया है कि इस पूरे प्रोजेक्ट से वे भलीभांति अवगत हैं। समय से काम शुरू और खत्म किया जाएगा।
30 महीने में निर्माण कार्य बड़ी चुनौती है
मुख्यमंत्री ने 600 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे (ईपीई) के निर्माण कार्य को 30 महीने में पूरा करने का जो लक्ष्य लिया है, वह काफी बड़ी चुनौती मानी जा रही है। जानकारों के मुताबिक 600 किमी लंबी सड़क को तैयार करने के लिए 30 महीने का समय तुलनात्मक रूप से कम है। उदाहरण के तौर पर गत वर्ष ही तैयार हुए ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे की अगर बात करें तो कुंडली से पलवल के बीच के 135 किमी लंबे छह लेन के एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में 910 दिन का समय लगा था। जानकारों का कहना है कि अगर 600 किमी एक्सप्रेस-वे के निर्माण का लक्ष्य 30 महीने में हासिल करना है तो कम से कम 24-25 पैकेज में काम को बांटना पड़ेगा। अलग-अलग कांट्रेक्टर्स मिलकर इस काम को पूरा कर सकते हैं। बता दें कि ईपीई भी छह पैकेज में बंटकर तैयार हुआ था।
...तो हस्तिनापुर के दिन संवरेंगे
1857 की क्रांति की क्रांतिधरा मेरठ रामायणकालीन भी है और महाभारतकालीन। जैनधर्म का केंद्र हस्तिनापुर बन गया है। मेरठ में गंगा का किनारा हस्तिनापुर को छूकर निकलता है। लिहाजा माना जा रहा है कि लंबे अरसे से हस्तिनापुर में पर्यटन की संभावनाओं को पंख देने की जो आवाज उठ रही थी, वह अब साकार हो सकेगा। हस्तिनापुर सर्किट का सीधा संपर्क प्रयागराज से हो जाने से पर्यटकों का आवागमन भी बढ़ेगा। क्योंकि प्रयागराज से हरिद्वार-ऋषिकेश के तीर्थ पर निकलने वाले श्रद्धालु, पर्यटकों के यह मार्ग मुफीद साबित होगा।
दोनों ही ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे
गंगा एक्सप्रेस-वे भी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे होगा। ग्रीनफील्ड का अर्थ है बिल्कुल नई सड़क। बता दें कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का सबसे अहम पैकेज-4 भी ग्रीनफील्ड ही है। डासना से मेरठ के बीच 32 किमी के ग्रीनफील्ड का निर्माण कार्य इन दिनों युद्धस्तर पर चल रहा है। माना जा रहा है कि जुलाई तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
इनका कहना है
मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने वाले एक्सप्रेस-वे देने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का आभार। यह मेरठ के नजरिए से बेहद लाभकारी साबित होगा। लेकिन मेरठ को सड़क के साथ हवाई सेवाओं की भी जरूरत है। लिहाजा मुख्यमंत्री जल्द से जल्द मेरठ से उड़ान शुरू करवाकर अपना पुराना वादा पूरा करें।
-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
आजादी के बाद से आज तक किसी ने भी हस्तिनापुर के विकास की दिशा में ठोस काम नहीं किया। लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री इस क्षेत्र की पौराणिक महत्ता को सम्मान दिला रहे हैं। पहले पुल और अब हमारे क्षेत्र से होकर जा रही गंगा के किनारे एक्सप्रेस-वे का निर्माण मेरठ के साथ ही विशेष रूप से हस्तिनापुर की जनता को बड़ा तोहफा होगा। यहां के विकास का रास्ता खुलेगा। हमारे पर्यटन को पंख मिलेंगे।
-दिनेश खटीक, विधायक-हस्तिनापुर
मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री और पूरी टीम का साधुवाद। लेकिन यह कहना भी जरूरी है कि सड़क मार्ग से मेरठ-प्रयागराज को जोड़ना हाईकोर्ट बेंच और हमारी हवाई उड़ान का विकल्प नहीं है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे इसी कड़ी में जल्द से जल्द मेरठ से हवाई उड़ान दिलाएं और खंडपीठ की दिशा में कदम बढ़ाएं।
-डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
- 120 मीटर चौड़ा होगा यह मार्ग
- 30 माह का समय निर्माण कार्य के लिए
- 910 दिनों में तैयार हुआ था 135 किमी लंबा ईपीई
- 02 दर्जन पैकेज में बंटे काम तो पूरा होगा लक्ष्य
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