मेरठ: नहीं सुधर रहे मेडिकल कालेज के हालात, कई बार की शिकायत पर भी नहीं बदली स्थिति
लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में मरीज और तीमारदारों के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है। यहां आने वाले मरीज जहां घंटों तक इलाज और भर्ती होने के लिए भटकते हैं वहीं तीमारदार भी अपने मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी और सामान पहुंचाने के लिए रुपये खर्च करते हैं।
मेरठ, जेएनएन। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में मरीज और तीमारदारों के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है। यहां आने वाले मरीज जहां घंटों तक इलाज और भर्ती होने के लिए भटकते हैं, वहीं तीमारदार भी अपने मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी और सामान पहुंचाने के लिए रुपये खर्च करते हैं। कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है।
बागपत के बड़ौत कस्बा निवासी रमेश कुमार अपने बीमार भाई को मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए लेकर आए थे। पहले पर्चा बनाने के नाम पर दौड़ाया गया। बाद में किसी प्रकार पर्चा बना तो उपचार कहां मिलेगा इसको लेकर भटकाया गया। किसी प्रकार आपात कालीन विभाग में पहुंचे तो पता चला कि यहां आक्सीजन युक्त बेड ही नहीं है। काफी मिन्नत के बाद मेडिकल स्टाफ ने मरीज की जांच की, लेकिन बाद में भर्ती करने से इंकार कर दिया।
परेशान होकर स्वजन बीमार को अपने साथ ले गए। ऐसे ही स्वजन बीमार नवजात बच्चे को आक्सीजन लगाकर मेडिकल अस्पताल लेकर आए, यहां भी उन्हें घंटों इधर-उधर घुमाया गया।
मेडिकल कालेज की अव्यवस्था के कारण हो रही परेशानियों के संबंध में कई तीमारदारों ने दिए गए नंबर पर फोन कर शिकायत भी की लेकिन आश्वासन से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। कई तीमारदारों ने बताया कि जब तक स्टाफ रुपये नहीं ले लेता तब तक कोरोना वार्ड में भर्ती मरीज की जानकारी नहीं देता है। सबसे अधिक दुविधा इस बात को लेकर है कि रुपये देने के बाद जो जानकारी मरीज के स्वास्थ्य के संबंध में मिल रही है।