Fight Against Corona: लॉकडाउन खुलने से खुल रही हर्ड इम्युनिटी की राह, समझिए चिकित्सकों के नजरिए से पूरी बात
विषाणु विज्ञानी बताते हैं कि 60 से ज्यादा फीसद आबादी में वायरस पहुंच गया तो फिर ये वैक्सीन बन जाएगा। यानी कोरोना वायरस की ताकत खत्म होगी और लोग संक्रमण से धीरे-धीरे उबर जाएंगे।
मेरठ, जेएनएन। चिकित्सकों का एक वर्ग लंबे समय से लॉकडाउन खोलने की पैरोकारी कर रहा है, जिसके पीछे हर्ड इम्युनिटी का तर्क है। विषाणु विज्ञानी बताते हैं कि 60 से ज्यादा फीसद आबादी में वायरस पहुंच गया तो फिर ये वैक्सीन बन जाएगा। यानी, कोरोना वायरस की ताकत खत्म होगी और लोग संक्रमण से धीरे-धीरे उबर जाएंगे। हालांकि इस दौरान किसी भी बीमारी से जूझ रहे लोगों और बुजुर्गो को बचाना जरूरी होगा, अन्यथा बड़ी संख्या में मौतें होंगी।
80 फीसद मरीजों में कोई लक्षण नहीं
भारत में ढाई माह से ज्यादा समय से लॉकडाउन चल रहा है, जिसे अब अनलाक किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस तेजी से संक्रमित हो रहा है, जो सिर्फ नुकसानदेह ही नहीं है। इसके अपने फायदे भी हैं। भारत में 80 फीसद मरीजों में कोई लक्षण नहीं आ रहा है या फिर हल्की खराश और बुखार हो रहा है। एसिम्टोमेटिक मरीजों में संक्रमण का पता नहीं चलता, जो सुपर स्प्रेडर बन जाते हैं। इनसे कोई बुजुर्ग, शुगर, सांस, हार्ट व कैंसर मरीज संक्रमित हुआ तो उसकी तबीयत गंभीर हो सकती है। किंतु युवाओं से लेकर 60 साल तक के स्वस्थ लोगों में से 98 फीसद मरीज ठीक हो जाते हैं।
एंटीबाडी बन जाएगी
विज्ञानियों का मानना है कि संक्रमितों के संपर्क में आने वालों में एंटीबाडी बन जाएगी। उन्हें बाद में कोरोना संक्रमण नहीं होगा, जबकि लॉकडाउन जारी रखने से हर्ड इम्युनिटी बनने में देरी होती। चिकित्सकों का दावा है कि कोरोना भारत में भी संक्रमण की पूरी साइकिल तय करेगा, जिसके बाद ही रफ्तार धीमी पड़ेगी। यूरापीय देशों के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका में हर्ड इम्युनिटी बन रही है।
इनका कहना है
भारतीय सालभर संक्रमण से घिरे रहते हैं, ऐसे में उनमें जबरदस्त इम्युनिटी होती है। इसलिए भारत में मौतों की दर बेहद कम है। 60 से 70 फीसद लोगों में संक्रमण पहुंचने पर हर्ड इम्युनिटी बनती है, जिससे अन्य आबादी भी सुरक्षित हो जाती है। किंतु भारत में यह स्थिति अभी दूर और रिस्क से भरी है, ऐसे में बेहद सावधानी बरतनी होगी।
- डॉ. वेद प्रकाश, ओएसडी व प्रोफेसर, केजीएमयू
देश में सामुदायिक संक्रमण के हालात हैं, ऐसे में वायरस को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है। भारत में लॉकडाउन आजमाया जा चुका है, ऐसे में आवाजाही खोलने से बड़ी संख्या में लोगों में प्रतिरोधक क्षमता भी बनेगी। किंतु अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी बचाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। इसके बीच सामंजस्य बनाना जरूरी होगा।
- डॉ. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ
अमेरिका और ब्रिटेन ने हर्ड इम्युनिटी के प्रयोग की गलती की थी और बाद में लॉकडाउन में उतरना पड़ा। कई देशों में कोरोना मरीजों को दोबारा भी हो गया। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी के भरोसे बैठना खतरनाक है। पोलियो और खसरा के वैक्सीन से हर्ड इम्युनिटी आई थी, न कि वायरस को खुला छोड़ने से। किंतु आशा है कि कोरोना की वैक्सीन इस साल आ जाएगी।
- डॉ. तनुराज सिरोही, वरिष्ठ फिजिशियन