Coronavirus: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट, कोरोना संक्रमण से बचने की अब है असली परीक्षा
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट भी बताती है कि लॉकडाउन ने कोरोना को काफी हद तक रोका। लॉकडाउन में संक्रमण से बचने की असली परीक्षा अब होगी।
मेरठ, जेएनएन। Coronavirus जब सरकार लॉकडाउन में ढील दे रही है तो कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। ढाई माह के लंबे लॉकडाउन में व्यापार ठप पड़ गया। उपचार के अभाव में बड़ी संख्या में लोग जान गंवा बैठे। महत्वपूर्ण बात यह है कि बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आने से बच गए। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट भी बताती है कि लॉकडाउन ने कोरोना को काफी हद तक रोका। इसके बावजूद देश के कई क्षेत्रों में कम्युनिटी संक्रमण हो चुका है। डाक्टरों ने आगाह किया है कि लॉकडाउन में संक्रमण से बचने की असली परीक्षा अब होगी। मास्क, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजेशन को साथ रखकर जिंदगी शुरू करनी पड़ेगी।
जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
दुनिया के सभी देशों में बीमारी पीक पर जाकर ही ढलान पर आई है। भारत में भी यही होगा। लॉकडाउन से फायदा यह हुआ कि भारत में पीपीई किट, मास्क व अस्पताल तैयार हो गए। इलाज सिर्फ दो है। एक टीका और दूसरा 50 फीसद से ज्यादा लोगों में संक्रमण के हर्ड इम्युनिटी विकसित होना। बुजुगोर्ं को एक माह के लिए आइसोलेट करें। निजी अस्पतालों को भी इलाज के लिए प्रेरित करें।
- डा. एसपी सोंधी, सीनियर फिजिशियन
कोरोना संक्रमण दुनियाभर ने ङोला, पर कोई रोक नहीं पाया। लॉकडाउन इलाज नहीं, किंतु बड़ी राहत है। वायरस भारत में भी बढ़ेगा। 50 फीसद लोगों में संक्रमित होने के बाद उतरना शुरू हो जाएगा। लॉकडाउन में ढील भले की जा रही, किंतु हमें और सतर्क रहना है। यह बहुत आसान है। इस आदत से कई अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी।
- डा. तनुराज सिरोही, सीनियर फिजिशियन व पूर्व अध्यक्ष, आइएमए
लाकडाउन के बाद भी कोरोना संक्रमण फैला। इसका मतलब यह नहीं कि यह प्रयोग विफल रहा। लॉकडाउन न होता तो हालात बेहद भयावह होते। अब वायरस के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी है। यह ज्यादा जानलेवा नहीं है। ऐसे में सरकार को सतर्कता के साथ ढील देना चाहिए। केस बढ़ेंगे तो बचाव की जिम्मेदारी हमारी ही होगी।
- डा. एनके शर्मा, अध्यक्ष, आइएमए
दुनिया को चिंतित करने वाली कोरोना अकेली बीमारी नहीं है। जटिल रोगी इलाज के लिए अस्पतालों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पुलिस उन्हें जबरन लौटा देती है। उनकी जिंदगी का क्या? कोरोना सामान्य इंन्फ्लुएंजा से ज्यादा घातक कतई नहीं है। जांच बढ़ाएं और सतर्कता बरतते हुए अस्पताल व बाजार खोलें। इस में बचाव भी है।
- डा. सुनील गुप्ता, सीनियर सर्जन, केएमसी