मेरठ में एक हजार घरों में बनने लगी गीले कचरे की कंपोस्ट,ऐसे जागरूक कर रहा नगर निगम Meerut News
मेरठ शहर में भी गीले कचरे से खाद बनाने की मुहिम अब रंग लाने लगी है। करीब एक माह की कवायद में एक हजार घरों में गीले कचरे की कंपोस्ट बनने लगी है। यह दावा नगर निगम के अधिकारियों ने किया है।
मेरठ, जेएनएन। स्वच्छ सर्वेक्षण में देश में चौथी बार अव्वल रहे इंदौर की तर्ज पर मेरठ में भी होम कंपोस्टिंग ( गीले कचरे से खाद बनाने का ) अभियान शुरू हुआ है। जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। करीब एक माह की कवायद में एक हजार घरों में गीले कचरे की कंपोस्ट बनने लगी है। यह दावा नगर निगम के अधिकारियों ने किया है।
होम कंपोस्टिंग अभियान को कारगर बनाने के लिए घर-घर फार्म भरवाए जा रहे हैं। फार्म में लोगों का नाम, पता और उनका मोबाइल नंबर लिया जा रहा है। इसके बाद इन लोगों को प्रेरक के तौर पर अनुबंधित संस्थाएं होम कंपोस्टिंग की तकनीकी सलाह दे रही हैं। नगर निगम ने चार संस्थाओं को इस काम में लगाया है। इन संस्थाओं ने एक माह में 1300 रजिस्ट्रेशन किए हैं। जिसके सापेक्ष 1054 घरों में गीले कचरे से कंपोस्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है। सहायक नगर आयुक्त इंद्र विजय ने बताया कि चारों संस्थाओं को घर-घर जाकर फार्म भरने के साथ होम कंपोस्टिंग के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए कहा गया है। इसमें कामयाबी मिल रही है।
लोग गीले कचरे को घर में बाल्टी या डस्टबिन में एकत्र कर रहे हैं। उनको मुफ्त में इनाकुलम कल्चर दिया जा रहा है। जिसके जरिए गीला कचरा 21 दिन में कंपोस्ट में बदल जाता है। इस कंपोस्ट का उपयोग लोग अपनी बागवानी में कर सकते हैं। लोगों को यह फायदमेंद काम लग रहा है। बागवानी के लिए घर में ही कंपोस्ट तैयार होने से उन्हें मार्केट से मंहगी कंपोस्ट नहीं खरीदनी पड़ रही है। साथ ही यह जैविक कंपोस्ट होने के कारण लोग गमलों में तमाम प्रकार की सब्जियां भी उगा रहे हैं।
मेरठ शहर में शास्त्रीनगर एच ब्लाक, डी ब्लाक, गंगानगर क्षेत्र, सिविल लाइंस, पुलिस लाइंस, साकेत, पल्लवपुरम तिरंगा पार्क, इंदिरा नगर, शर्मा नगर में बड़े पैमाने पर होम कंपोस्टिंग शुरू हुई है। सहायक नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम ने 75000 घरों में होम कंपोस्टिंग का लक्ष्य रखा है। उद्देश्य यह है कि लोग गीले कचरे की कंपोस्ट तैयार करें। घर की खाली पड़ी छत में बागवानी तैयार करें। इससे वातावरण में आक्सीजन की कमी दूर होगी। शहर में गीले कचरे की मात्रा कम होगी और शहर हरा-भरा बनेगा। इसीलिए इसे मिशन हरियाली नाम दिया गया है।