मेरठ को फिलहाल प्रदूषण से मिली कुछ राहत, एक महीने के बाद बही साफ हवा
Pollution In Meerut मेरठ शहर को अभी प्रदूषण से कुछ राहत मिली है। माहभर बाद पहली बार एक्यूआइ का आंकड़ा 200 के नीचे आ गया। गंगानगर में साफ हवा बही। रात 10 बजे के बाद पीएम 2.5 की मात्रा 300 के आंकड़े को पार कर गई।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Pollution In Meerut मेरठ पारा गिरने के साथ ही वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचने का खतरा होता है। लेकिन तेज धूप और हवा की वजह से प्रदूषण टिक नहीं पाया, और माहभर बाद पहली बार एक्यूआइ का आंकड़ा 200 के नीचे आ गया। गंगानगर में दिनभर साफ हवा बही। रात 10 बजे के बाद पीएम 2.5 की मात्रा 300 के आंकड़े को पार कर गई। वहीं, पल्लवपुरम में पिछले दिन 274 की तुलना में प्रदूषण हल्का बढ़ गया, और एक्यूआइ 297 तक पहुंच गया।
रिपोर्ट के मुताबिक
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक डीजल वाहनों के संचालन, सड़क एवं भवनों के निर्माण, गांवों में कोल्हू संचालन एवं कचरा दहन की वजह से बड़ी मात्रा में पीएम2.5, पीएम10, सल्फर एवं मोनोआक्साइड वायुमंडल में घुल रही है। मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल समेत सभी क्लीनिकों की ओपीडी में सांस, अस्थमा एवं खांसी के मरीज बढ़े हैं। बच्चों में एलर्जी ज्यादा है। पोस्ट कोविड मरीजों में लंग्स की क्षमता कमजोर पडऩे से अस्पतालों में भर्ती करना पड़ रहा है।
एक दिन पहले का हाल
यदि पहले की बात करें तो एक दिन पहले मेरठ की हवा में 60 प्रतिशत प्रदूषण ज्यादा मिला। जयभीमनगर में एक्यूआई का स्तर 343 तक पहुंच गया, जो खतरनाक है। पल्लवपुरम में पिछले दिन 145 के मुकाबले शनिवार को 271, जयभीमनगर में 262 के मुकाबले 343, जबकि गंगानगर में 157 की जगह 227 मिला। जयभीमनगर गाजियाबाद के लोनी के बाद प्रदेश में दूसरा सबसे प्रदूषित केंद्र मिला था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि बागपत में एक्यूआइ 176, बुलंदशहर में 288, हापुड़ में 257, जबकि मुजफ्फरनगर में आंकड़ा 294 तक मिला। मेरठ में सड़क एवं भवन निर्माण, डीजल वाहनों की ज्यादा संख्या, जनरेटर एवं औद्योगिक इकाइयों से धुएं के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण ज्यादा है। वहीं, मेडिकल कालेज एवं जिला अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है। खांसी, अस्थमा, नाक में एलर्जी एवं हार्ट की बीमारियां बढ़ी हैं। ऐसे में अपने स्वास्थ्य का खास तौर ध्यान रखना चाहिए।