नाकाम निगम : कचरा मुक्त स्टार रेटिंग वाले शहरों में मेरठ को मिला यह स्टार Meerut News
कचरा कलेक्शन-निस्तारण में मेरठ निगम नाकाम। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय से जारी कचरा मुक्त स्टार रेटिंग वाले शहरों में मेरठ को जीरो स्टार मिला है।
मेरठ, जेएनएन। कचरा कलेक्शन और निस्तारण के मामले में नगर निगम की शर्मनाक स्थिति है। देश भर के विभन्न महानगरों के बीच हुई गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग प्रतियोगिता में मेरठ शहर को जीरो स्टार मिला है। हालात इतने बदतर हैं कि इस मुकाबले में नगर निगम के दावे क्वालीफाई राउंड में ही फेल हो गए। अब शहरी विकास मंत्रलय से जारी रेटिंग के परिणाम में नगर निगम की नाकामी की कमियां खुल कर गिनाई गई हैं।नाकाम मेरठ निगम
मंगलवार दोपहर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली से गार्बेज फ्री सिटी अर्थात कचरा मुक्त शहरों की स्टार रेटिंग के परिणाम घोषित किए गए। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे शहर को कचरा मुक्त स्टार रेटिंग ने भी शर्मसार कर दिया। नगर निगम ने गार्बेज फ्री सिटी अर्थात कचरा मुक्त शहर स्टार रेटिंग प्रतियोगिता में 5 स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया था। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक इस मुकाबले में क्वालीफाई करने के लिए 38 अंक प्राप्त करने जरूरी थे। लेकिन नगर निगम को 32 अंक ही मिले। कचरा मुक्त शहर के परीक्षण के 25 पैरामीटर्स में से नगर निगम केवल 16 पैरामीटर्स में ही पास हो सका। जबकि नौ आवश्यक पैरामीटर्स में वह फेल हो गया। जिससे मुकाबले में क्वालीफाई तक नहीं कर सके। इसके बावजूद केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय ने नगर निगम के दावों का परीक्षण कराया। नगर निगम के दावे जनता के फीडबैक में फेल हो गए। नतीजा, सौ फीसद डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, कचरा फेंकने पर जुर्माना, यूजर चार्ज वसूली, शत-प्रतिशत सीवेज ट्रीटमेंट और नालों पर जाल लगाने जैसे कई आवश्यक नॉर्म्स में नगर निगम को शून्य अंक मिले हैं। जबकि पड़ोसी जिला गाजियाबाद गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग में एक स्टार पाने में कामयाब रहा।
ओडीएफ डबल प्लस होना जरूरी था
गार्बेज फ्री सिटी के लिए 5 स्टार रेटिंग में आवेदन करने को शहर को ओडीएफ डबल प्लस होना जरूरी था। लेकिन 315 छोटे-बड़े नालों से बहने वाले सीवेज का शत-प्रतिशत ट्रीटमेंट प्लांट में न होना भारी पड़ गया। स्टार रेटिंग के क्वालीफाई राउंड में अनिवार्य यह मानक पूरा नहीं हुआ। दरअसल, नमामि गंगे योजना के तहत 214 एमएलडी एसटीपी प्रस्तावित है, लेकिन अफसर जमीन तक नहीं खोज सके।
ये हैं शहर के हालात
वर्तमान में शहर की आबादी लगभग 20 लाख है। प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कचरे का उत्सर्जन होता है। जबकि निस्तारण शून्य है। गांवड़ी में कचरा निस्तारण का प्लांट है। जहां डंप कचरे को निस्तारित किया जा रहा है। सारे शहर का कचरा लोहिया नगर डं¨पग ग्राउंड में प्रतिदिन डंप होता है। कचरे का पहाड़ लग गया है। मंगतपुरम और कंकरखेड़ा में पहले से कचरे का अंबार लगा है। 90 वार्ड में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए 110 वाहन हैं। 300 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन उत्सर्जित होता है लेकिन ट्रीटमेंट केवल 65 एमएलडी होता है।
हालात सुधरने के बजाए बिगड़े
वर्ष 2019 में इसी प्रतियोगिता में मेरठ नगर निगम को एक स्टार मिला था। हालात सुधरने के बजाए बिगड़ गए और वर्ष 2020 में शून्य पर आ गए।
इनमें हुए फेल
- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन शहर में 100 फीसद नहीं हो रहा है।
- सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र नहीं हो रहा है।
- पब्लिक, कामर्शियल और आवासीय क्षेत्रों की सफाई सही नहीं है।
- प्रत्येक वार्ड में छोटे-छोटे कचरा कलेक्शन के डस्टबिन नहीं रखे हैं।
- कचरा सड़क पर फेंकने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई नहीं की गई।
- शहर में सी एंड डी वेस्ट कलेक्शन की व्यवस्था नहीं कर सके।
- नालों के पानी की शत-प्रतिशत सीवेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं।
- नालों की स्क्रीनिंग नहीं की गई। ओडीएफ डबल प्लस नहीं हो सके।
इन्होंने बताया
नाले शत-प्रतिशत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े न होने के कारण ओडीएफ डबल प्लस नहीं हो पाया। मेरठ निगम गार्बेज फ्री सिटी के मुकाबले में क्वालीफाई नहीं कर सका था।
- डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया, नगर आयुक्त
चार स्थानों के बजाय केवल गांवड़ी में कचरा निस्तारण प्लांट लगा है। गार्बेज फ्री सिटी के रेटिंग में शून्य अफसरों की घोर लापरवाही का परिणाम है।
- सुनीता वर्मा, महापौर
गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग के लिए सर्वेक्षण शुरू हो चुका था। नगर आयुक्त ने कचरा निस्तारण का जो प्लान बनाया है, उस पर सही काम चल रहा है।
- डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
नगर निगम को कचरा निस्तारण प्लांट और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए धरातल पर काम करने की जरूरत है। गार्बेज फ्री सिटी की स्टार रेटिंग में मेरठ को जीरो मिलना वाकई शर्मनाक है।
-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद