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मेरठी किक में दम..पर करियर में उछाल नहीं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबाल को उतना ही पसंद व खेला जाता है जितना भारत में क्रिकेट को। भारत में भी फुटबाल क्लब खेल और खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के बावजूद खिलाड़ियों का रुझान इस ओर करियर के तौर पर कम ही देखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 04:00 PM (IST)
मेरठी किक में दम..पर करियर में उछाल नहीं
मेरठी किक में दम..पर करियर में उछाल नहीं

मेरठ, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबाल को उतना ही पसंद व खेला जाता है जितना भारत में क्रिकेट को। भारत में भी फुटबाल क्लब, खेल और खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के बावजूद खिलाड़ियों का रुझान इस ओर करियर के तौर पर कम ही देखा जा रहा है। इसका एक कारण फुटबाल के क्षेत्र संसाधनों की कमी तो दूसरी ओर सरकारी उदासीनता बड़ा कारण माना जा रहा है। देश में अंडर-17 व‌र्ल्ड कप होने के बावजूद फुटबाल के प्रति अपेक्षित रुझान स्कूली बच्चों में भी कम ही दिख रहा है। मेरठ में एक दर्जन से अधिक फुटबाल क्लब और उनके बेहतरीन खिलाड़ी हैं, लेकिन फुटबाल में मेरठ की दस्तक राष्ट्रीय स्तर पर कम ही दिखती है। कई खिलाड़ी नौकरियों के लिए भटक रहे हैं।

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मेरठ से निकलते ही बेहतर अवसर

जिला फुटबाल संघ के सचिव ललित पंत के अनुसार देश में जिस तरह फुटबाल का माहौल पिछले कुछ सालों में बना है, मेरठ में उतना नहीं बन पाया है। यहां के बहुत से खिलाड़ी नोएडा, दिल्ली, कोलकाता आदि जगहों के क्लबों से खेलते हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं। देश के करीब 20 राज्यों में फुटबाल का बेहतरीन माहौल है, जिनमें महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्व के राज्य आदि शामिल हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में संसाधन और माहौल दोनों की कमी है। दूसरी तस्वीर पूरब के राज्यों से सटे देवरिया जैसे जिलों में दिखती हैं, जहां फुटबाल मैच देखने के लिए पांच-10 रुपये टिकट भी लगते हैं और लोग देखने भी जाते हैं।

नहीं मिला नौकरियों में मौका

अंडर-19 नेशनल और प्रदेश में सीनियर स्तर के फुटबाल खिलाड़ी ललित वर्मा मेरठ में टाप रैंकिग फुटबाल खिलाड़ियों में एक हैं। बावजूद इसके वे अब तक नौकरी की तलाश में हैं। ललित के अनुसार सेना के अलावा रेलवे सहित तमाम विभागों, शिक्षण संस्थानों आदि में फुटबाल खिलाड़ियों को नौकरियां मिल रही हैं, लेकिन बिना सिफारिश उनका चयन आज तक नहीं हो सका। वे आर्टीलरी सेंटर हैदराबाद में भी दो बार चयन प्रक्रिया में हिस्सा ले चुके हैं। दिल्ली व अन्य शहरों में क्लबों में खेलने का मौका मिलता है जिससे खिलाड़ी थोड़ा बहुत आगे बढ़ पाते हैं।

व‌र्ल्ड कप के बाद बदल रहा माहौल

दिल्ली में फुटबाल क्लब से खेलने वाले मेरठ के फुटबाल खिलाड़ी विवेक के अनुसार देश में अब आइएफसी, आइलीग, रिलायंस आदि प्रतियोगिताओं के साथ ही अंडर-17 व‌र्ल्ड कप होने के बाद फुटबाल का माहौल बन रहा है। इस साल बालिकाओं की अंडर-17 व‌र्ल्ड कप भी होनी थी, जो अब 2021 में होगी। क्लबों में मैच या लीग के आधार पर खिलाड़ियों का कांट्रेक्ट होता है। अनुभव के आधार पर एक हजार रुपये प्रति मैच से लेकर 60-70 हजार रुपये लीग तक की फीस मिलती है। इसके अलावा सुब्रतो कप या राष्ट्रीय स्तर की क्लब प्रतियोगिताओं के फाइनल मैचों को देखते भारतीय चयनकर्ता भी आते हैं। यह मैच अक्सर शिलांग या गोवा में होते हैं।


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