Meerut Coronavirus News: कोरोना ने दिया जिंदगी भर का गम, कोई मां से न मिल पाया, तो किसी ने कम उम्र में पत्नी को खोया
किसी को अंतिम समय में मां से न मिल पाने की कसक तो किसी को कम उम्र में ही पत्नी के छोड़ जाने का गम। हर किसी का दुख एक-दूसरे से बड़ा दिख रहा था। मेरठ के सूरजकुंड श्मशानघाट पर सुबह से रात तक ऐसी ही हृदयविदारक तस्वीरें दिखती हैं।
मेरठ, जेएनएन। किसी को अंतिम समय में मां से न मिल पाने की कसक तो किसी को कम उम्र में ही पत्नी के छोड़ जाने का गम। हर किसी का दुख एक-दूसरे से बड़ा दिख रहा था। किसी की आंखों के आंसू सूख चुके थे तो किसी की अश्रुधारा थमने का नाम नहीं ले रही थी। सूरजकुंड श्मशान घाट पर सुबह से रात तक ऐसी ही हृदयविदारक तस्वीरें दिखती हैं। कोरोना का ऐसा डर कि स्वजन का कंधा तक जाने वालों को नसीब नहीं हो रहा है। यहां पर आने वाले लोगों का दुख सीने में तीर-सा चुभता है। धधकती चिताओं में बदरंग होती जिंदगी का आभाष कर लोग यही कहते सुने जाते हैं कि हर घाव एक न एक दिन भरता है लेकिन कोरोना का यह घाव जीवनभर न भर पाएगा।
आखिरी बार मां का चेहरा भी नहीं देख सका
शास्त्रीनगर निवासी अरुण के मुताबिक एक हफ्ते पहले उनकी मां सावित्री देवी को हल्की खांसी हुई थी। उन्होंने टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्होंने मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया। लगातार उनका परिवार चिकित्सकों के संपर्क में था। सुबह-शाम वह कोविड वार्ड में अपनी मां को इम्युनिटी बढ़ाने वाली खाद्य सामग्री भेज रहे थे। दो तीन दिन पहले उनकी तबियत में सुधार भी हुआ। मां ने मिलने की इच्छा जताई थी लेकिन कोविड प्रोटोकाल के नियमों ने मां को बेटे से मिलने नहीं दिया। महिला की मौत के बाद वह चिता के सामने यही बोल रहा था। हे प्रभु, आखिरी बार मां से मिलवा तो देते।
पूरा परिवार संक्रमित, कंपनी के अन्य कर्मियों से उठवाई अस्थियां
दिल्ली के प्रताप बाग निवासी कैलाश चंद जैन ने बताया कि कोरोना की चपेट में उनकी पत्नी सरोज जैन व बेटा मनोज जैन समेत परिवार के अन्य सभी लोग आ गए। दिल्ली में बेड नहीं मिलने पर दामाद पंकज जैन ने उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। दो दिन पहले उपचार के दौरान सरोज जैन की मृत्यु हो गई। दामाद व बेटी ने मिलकर सरोज का अंतिम संस्कार किया। उसके बाद दंपती की भी तबियत बिगड़ गई। स्थिति यह हुई की अस्थियां उठाने के लिए भी परिवार का कोई व्यक्ति नहीं मिला। उन्होंने अस्थियां उठवाने के लिए अपनी कंपनी के अन्य कर्मचारियों का सहारा लिया। पीपीई किट पहनकर कर्मचारियों ने अस्थियों को गंगा में विसर्जति किया।
बच्चों को अब मां का प्यार कौन देगा
नौचंदी थाना क्षेत्र के फूलबाग कालोनी निवासी अर्चना सिंह पत्नी अतुल ्क्षसह हंसते खेलते परिवार के साथ जीवन व्यापन कर रहे थे। अचानक कोरोना संक्रमण ने उनके परिवार को तबाह कर दिया। एक हफ्ते पहले रिपोर्ट पाजिटिव आने पर अतुल ने अर्चना को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने बताया कि स्थिति ज्यादा बिगड़ गई है। उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाएगा। रविवार सुबह सूचना मिली कि पत्नी का देहांत हो गया। दंपती के दो बच्चे हैं। ऐसे में धधकती चिता के सामने सिर पर हाथ रखकर यही बोल रहे थे कि अब उनके बच्चों को मां का प्यार कैसे मिलेगा।