किंतु-परंतु के बावजूद एजुकेशन हब बना मेरठ
दिल्ली की दहलीज तक कॉलेजों को मान्यता देने वाला चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) अपने विस्तार को लेकर हांफ रहा है।
दो राज्य विश्वविद्यालय, 47 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, सौ से अधिक पब्लिक स्कूल और तीन केंद्रीय विद्यालयों के साथ मेरठ की पहचान एजुकेशन हब के तौर पर होने लगी है। जिले में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा के लिए स्कूल-कॉलेजों की कोई कमी नहीं है। हर साल इनकी संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन गुणवत्ता कठघरे में है।
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दिल्ली की दहलीज तक कॉलेजों को मान्यता देने वाला चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) अपने विस्तार को लेकर हांफ रहा है। सीसीएसयू से संबद्ध कालेजों की संख्या 900 तक गई है। अभी भी बहुत से कॉलेज संबद्धता की कतार में हैं। कॉलेजों की लगातार बढ़ती संख्या से विवि सभी पर निगरानी नहीं कर पा रहा है।
सीसीएसयू से हर साल एक लाख 50 हजार स्टूडेंट डिग्री लेकर निकलते हैं। डिग्री बांटने में प्रदेश में सीसीएसयू का नंबर दूसरा है। इतनी डिग्री बांटने के बाद भी विवि और कॉलेजों में छात्रों के प्लेसमेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि कुछ कॉलेज निरंतर शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। उधर, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में भी शोध पर कम काम हो रहा है। विवि में वेटनरी कॉलेज को अभी तक मान्यता नहीं मिल पाई है।
निजी कालेजों के सामने चुनौती बढ़ी
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से जुड़े तकनीकी कालेजों के सामने अब सीटें भरने की चुनौती पैदा हो गई है। पिछले तीन साल से ज्यादातर कालेजों की सीटें नहीं भर पा रही हैं। प्लेसमेंट को लेकर भी कई कालेज खेल करते रहे। हालांकि कुछ कालेज छात्रों को इंडस्ट्रीज की जरूरत के हिसाब से तैयार करने की कोशिशों में जुटे हैं।
कहीं छात्र नहीं, कहीं शिक्षक नहीं
उच्च शिक्षा में शिक्षक और छात्रों का अनुपात भी गड़बड़ है। निजी कॉलेजों में छात्रों का कम प्रवेश होने से एक शिक्षक पर आठ छात्रों का अनुपात है। दूसरी ओर एडेड कॉलेजों में एक शिक्षक पर 87 छात्रों का अनुपात है।
सेटेलाइट से क्लास
शहर में चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स के लिए कई सेंटरों ने सेटेलाइट क्लास की व्यवस्था की है। सीसीएसयू में भी रिमोट सेसिंग की पढ़ाई सेटेलाइट के माध्यम से हो रही है। कई निजी स्कूल-कॉलेजों में शुरुआती कक्षाओं से ही कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है।
निजी स्कूलों में महंगी पढ़ाई
सीबीएसई और आइसीएसई के स्कूलों में आपसी प्रतिस्पर्धा से स्कूली शिक्षा अपेक्षाकृत बेहतर है। हालांकि गिने- चुने स्कूल ही हैं जिन्होंने गुणवत्ता को बरकरार रखा है। निजी स्कूलों की फीस जरूर कुछ महंगी है। शहर में तीन केंद्रीय विद्यालय भी अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।
सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल
बेसिक शिक्षा के अंतर्गत अधिकतर स्कूल सहायता प्राप्त ही हैं। शहर के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या तो कुछ ठीक है लेकिन बच्चे नदारद हैं। वहीं देहात के स्कूलों में जहां बच्चे अधिक हैं वहां शिक्षक काफी कम हैं। ऐसे कई स्कूल हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कुछ स्कूल तो किराये के जर्जर भवनों में चल रहे हैं। माध्यमिक व बेसिक में नई नियुक्ति न होने और हर साल शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने से शिक्षक-छात्र का अनुपात बिगड़ता जा रहा है।
एजुकेशन हब की राह में कानून-व्यवस्था बड़ी बाधा
एनसीआर के इस शहर में स्कूल से लेकर कॉलेजों तक छात्राओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। 126 साल पुराने मेरठ कॉलेज में भी आए दिन छात्रों के बीच मारपीट से छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। सीसीएसयू कैंपस का भी यही हाल है।
एजुकेशन हब के लिहाज से मेरठ काफी संभावनाशील है लेकिन खराब कानून-व्यवस्था इस राह में सबसे बड़ी बाधा है। पहले दूसरे राज्यों से ही नहीं, दूसरे देशों से भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट यहां पढ़ाई के लिए आते थे, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। अब तो हर साल बड़ी संख्या में शहर के मेधावी स्टूडेंट्स दिल्ली और अन्य शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
मेरठ में शिक्षा
- राज्य विश्वविद्यालय- 2
- एडेड डिग्री कालेज: 12
- अल्पसंख्यक कालेज: 01
- राजकीय डिग्री कालेज : दो
- सेल्फ फाइनेंस कालेज- 138
- इंजीनियरिंग कालेज: 47
- शिक्षकों की कमी: 30 फीसद
- छात्र संख्या : दो लाख
- सरकारी स्कूल - 3007
- सरकारी शिक्षक- 16,367