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कार्बन डाई ऑक्साइड के 'अटैक' से फेफड़े का फूला 'दम'

चरक संहिता में लिखा है कि वायु ही प्राण है जबकि अब यही जहरीली होने लगी है। फेफड़ों की नलियों में सूजन से शरीर में न तो पर्याप्त मात्रा ऑक्सीजन पहुंच रही है और न ही विषाक्त गैस कार्बन डाई ऑक्साइड पूरी तरह बाहर निकल पा रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:00 AM (IST)
कार्बन डाई ऑक्साइड के 'अटैक' से फेफड़े का फूला 'दम'
कार्बन डाई ऑक्साइड के 'अटैक' से फेफड़े का फूला 'दम'

मेरठ, जेएनएन : चरक संहिता में लिखा है कि वायु ही प्राण है, जबकि अब यही जहरीली होने लगी है। फेफड़ों की नलियों में सूजन से शरीर में न तो पर्याप्त मात्रा ऑक्सीजन पहुंच रही है और न ही विषाक्त गैस कार्बन डाई ऑक्साइड पूरी तरह बाहर निकल पा रही है। कई मरीजों में ऑक्सीजन 75 फीसद तक रह गई, जबकि सीओटू ज्यादा होने से मरीजों में बेहोशी और गफलत के लक्षण मिले। ऐसा मरीज एक वाक्य भी पूरा नहीं बोल पाता, जो खतरनाक लक्षण है।

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..खांसते-खांसते ब्लड तक आ रहा है

गत 15 दिन से शहर की हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई। सप्ताहभर से सूक्ष्म कणों का घनत्व ज्यादा होने से सांस के साथ फेफड़ों में पार्टीकुलेट मैटर, सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन, मोनोऑक्साइड और बेंजीन जैसे खतरनाक रसायन पहुंचे। ये सांस की नलियों में खुजली, एलर्जी, संक्रमण करते हुए सूजन बढ़ाते हैं। मेडिकल कॉलेज के सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. संतोष मित्तल ने बताया कि स्थिति इतनी खराब है कि मानो मेरठ का व्यक्ति रोजाना करीब दस सिगरेट फूंक रहा है। मरीज खांसते हुए आइसीयू में पहुंच रहे हैं।

..बैक्टीरियल संक्रमण की आशंका

अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों में अटैक का खतरा बढ़ा। पीएम-10 जहां अपर रिस्पेरटिरी सिस्टम तक रुक जाता है, वहीं पीएम-2.5 ब्लड तक पहुंचकर शरीर में घूमने लगता है। इनसे एलर्जिक रानाइटिस, साइनोसाइटिस व अस्थमा होता है। कई बार फेफड़ों की कमजोरी से निमोनिया व अन्य बैक्टीरियल संक्रमण भी हो जाते हैं।

..जब नीला पड़ जाए कान व नाखून

ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिसीज की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में रहने वालों के फेफड़ों की क्षमता 30 प्रतिशत तक गिरने से शरीर में ऑक्सीजन कम पहुंच रही है। अस्थमा के कई मरीजों में लगातार खांसी से 85 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन रह गई। होठ, कान व नाखून नीले पड़ने के साथ बेहोशी के भी लक्षण उभरते हैं। सल्फर व नाइट्रोजन तेजी से एलर्जी बढ़ाते हैं। मरीजों में ऑक्सीजन कम और सीओटू बढ़ा मिल रहा है। सांस की गति एवं नब्ज तेज हो जाती है। खांसी से कई बार मरीज उल्टी तक कर देता है।

ये हैं मानक

- स्वस्थ शरीर में ऑक्सीजन-98 फीसद

- ब्लड में ऑक्सीजन-90 से 100 मिलीमीटर मरकरी

- कार्बन डाई ऑक्साइड-40 मिलीमीटर मरकरी

यह कहते हैं विशेषज्ञ

- कई मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा मानक 98 के सापेक्ष 70-80 प्रतिशत तक मिली, जो खतरनाक है। इसी दौरान शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा 40 की जगह 55 मिलीमीटर मरकरी तक पहुंच गई। मरीज एक वाक्य पूरा न बोल पाए तो तत्काल भर्ती करें।

- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ

- शरीर की हर सेल को शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन फेफड़े में पहुंचने वाली हवा में पीएम-2.5, पीएम-1 और पीएम-10 पांच से सात गुना है। सांस की एलर्जी होने पर शरीर में कम ऑक्सीजन पहुंचने से अटैक जानलेवा भी हो सकता है।

- डा. संदीप जैन, फिजीशियन, केएमसी


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