गन्ने के रस के रूप में भगवान आदिनाथ ने ग्रहण किया प्रथम आहार
श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर साकेत में श्रीमद् जिनेंद्र 1008 आदिनाथ जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के ज्ञान कल्याणक के दिन पूजा के बाद आदिनाथ के केवल ज्ञान प्राप्त होने की क्रियाओं का मंचन किया गया।
मेरठ, जेएनएन। श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर साकेत में श्रीमद् जिनेंद्र 1008 आदिनाथ जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के ज्ञान कल्याणक के दिन पूजा के बाद आदिनाथ के केवल ज्ञान प्राप्त होने की क्रियाओं का मंचन किया गया। आदिनाथ भगवान (विशाल जैन) की छह महीने तक तप करने के बाद उनकी आहारचर्या छह महीने बाद हुई। हस्तिनापुर के राजा श्रेयांश (राजीव जैन शालु जैन) व राजा सोम ( अजय जैन अर्चना जैन) ने गन्ने का रस का आहार देकर भगवान आदिनाथ के प्रथम आहार देने का सौभाग्य प्राप्त किया। उनके साथ अनेक राजाओं और रानियों विजय जैन, अनू जैन, सुनील जैन, मंजू जैन, रजनी जैन, गीता जैन, सचिन जैन और निकिता जैन आदि ने भगवान को आहार देकर सौभाग्य प्राप्त किया। इसके बाद आदिनाथ केवल ज्ञान की प्राप्ति होने पर धर्मेद्र (दिनेश जैन) ने समोशरण की रचना की। जिसमें संसार के सभी भव्य प्राणियों ने अपनी-अपनी भाषा में भगवान की वाणी को ग्रहण किया। भगवान आदिनाथ के रूप में साक्षात अरिहंत श्री 108 परम पूज्य आचार्य भारत भूषण जी महाराज ने प्राणियों के गूढ प्रश्नों का आगम अनुसार उत्तर दिया। इसके बाद शाम को भगवान आदिनाथ के दोनों पुत्र भरत (आर्जव जैन) और बाहुबली (पारस जैन) के युद्ध का मंचन किया गया। इसमें दिखाया गया कि भरत चक्रवर्ती ने छह खंडों का राज्य जीतने के बाद जब नगर में प्रवेश करना चाहा तो उनका चक्र रत्न नगर के बाहर रुक गया। साकेत जैन समाज के प्रवक्ता विनीत जैन ने बताया कि आचार्य श्री भारत भूषणमहाराज एवं मुनि श्री भव्य भूषण जी महाराज ने मुख्य प्रतिमाओं का केवल ज्ञान और सूर्य मंत्र के द्वारा शुद्धिकरण किया। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का दुर्लभ मंत्रोच्चार किया गया। शनिवार को मोक्ष कल्याणक के अवसर पर सभी प्रतिमाओं को मंदिर जी में प्रतिष्ठित कर दिया जाएगा।