खल रहा है नौचंदी और संगम का न चलना
रेलवे आम यात्रियों की परेशानियों के प्रति बेपरवाह नजर आ रहा है। लखनऊ और प्रयागराज के लिए ट्रेन न चलना अब लोगों को अखर रहा है।
मेरठ, जेएनएन। रेलवे आम यात्रियों की परेशानियों के प्रति बेपरवाह नजर आ रहा है। लखनऊ और प्रयागराज के लिए ट्रेन न चलना अब लोगों को अखर रहा है। आम जन का कहना है कि कोरोना काल में ट्रेनों का सफर सबसे सुरक्षित है। ट्रेनों का संचालन न होने से संक्रमण और बढ़ने की स्थितियां बन रही हैं। जिन लोगों को जरूरी कार्यो के लिए जाना है वे बस का सहारा ले रहे हैं, जिनमें संक्रमण की सबसे ज्यादा आशंका है। बस में तो आठ फुट की शरीरिक दूरी का पालन बिल्कुल नहीं होता और लंबे सफर में 10 से 12 घंटे बैठे-बैठे यात्रा करना लोगों की तबीयत खराब कर रहा है।
रेलवे ने अनलाक में 208 ट्रेनें चलाई थीं। इसमें वाया मेरठ गोल्डन टेंपल, शताब्दी, जनशताब्दी, छत्तीसगढ़, नंदा देवी, बलसाड़ एक्सप्रेस आदि चलीं। ये ट्रेनें दूसरे प्रदेशों के मुख्य स्टेशनों जैसे मुंबई, कोटा आदि को जाती हैं। उसके बाद दशहरा, फिर दीपावली और अब छठ स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। इनमें वाया मेरठ एक ट्रेन ऊधमपुर-प्रयागराज है जो सप्ताह में तीन दिन है। हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों का प्रदेश की राजधानी लखनऊ और प्रयागराज स्थित हाइकोर्ट में आना-जाना होता है पर उनके लिए रेलवे ने कोई विकल्प नहीं दिया है।
दैनिक यात्रियों पर 20 गुना बढ़ गया किराए का बोझ
दिल्ली और मेरठ के बीच पैसेंजर ट्रेनें भी नहीं चलने से दैनिक यात्रियों को कोरोना काल में मोटी चपत लग रही है। मेरठ से दिल्ली जाने वाले तरुण मेहता ने बताया कि कार पूल कर हम लोग जा रहे हैं। एक दिन में कम से कम आठ सौ से नौ सौ रुपये लग जाते हैं। माह में कम से कम आठ दिन कार ले जाते हैं, जिससे 6500 से आठ हजार खर्च हो रहे हैं। पैसेंजर ट्रेन चलने से माह में केवल 355 रुपये का मासिक पास बनवाना पड़ता था। यही रोजाना मेरठ से सहारनपुर जाने वाले योगेश कुमार का भी कहना है। मेरठ से दिल्ली जाने वाले दैनिक यात्रियों की संख्या साढ़े तीन हजार है।
धन, समय और स्वास्थ्य को हानि
अवध पूर्वांचल जन समिति के विनोद पाठक ने बताया कि ट्रेनें चलने से कोरोना फैलेगा, यह पूरी तरह गलत है। वास्तव में बसों या किसी अन्य साधन की तुलना में ट्रेन का सफर ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि इसमें दो सीटों के बीच की दूरी पर्याप्त होती है। रेलवे ने पहले से ही बिना आरक्षण के यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में ट्रेन से यात्रा करने से कोरोना संक्रमण की बहुत कम संभावना है। यदि लखनऊ जाने के लिए नौचंदी और प्रयागराज के लिए संगम एक्सप्रेस चला दी जाए तो लोगों की परेशानी बहुत हद तक कम हो जाएगी।
पांडव नगर निवासी जेपी यादव मेरठ से चलने वाली दोनों ट्रेनों का संचालन न होने से खासे व्यथित नजर आए। बताया कि गाजियाबाद और दिल्ली से ट्रेनें पकड़नी पड़ रही हैं जिससे समय अधिक लग रहा है। महिलाओं और बच्चों को लेकर बार-बार सामान लेकर चढ़ना-उतरना कष्टकारी होता है।
देश में 30 हजार ट्रेनें चलती हैं। कोरोना काल में जरूरी ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। संक्रमण फिर से बढ़ रहा है इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है। संगम और नौचंदी के संचालन के लिए रेल मंत्री से मेरी वार्ता हुई थी। उन्होंने उपयुक्त समय पर संचालन का आश्वासन दिया है।
-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद